मप्र के सबसे बड़े 71.58 करोड़ के आबकारी घोटाले में ED की जांच में 3 अधिकारियों के नाम

मध्यप्रदेश के 71.58 करोड़ के आबकारी घोटाले में ईडी ने बड़ा खुलासा किया है। इसमें शराब ठेकेदारों के साथ आबकारी अधिकारियों के नेटवर्क की भी बात सामने आई है।

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Sanjay Gupta
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मप्र में आबकारी विभाग के सबसे बड़े और चर्चित घोटाले 71.58 करोड़ मामले में ईडी की जांच रिपोर्ट 'द सूत्र' के पास एक्सक्लूसिव मौजूद है। इसमें शराब ठेकेदारों के साथ आबकारी अधिकारियों के नेटवर्क की भी बात सामने आई है। 

तत्कालीन इंदौर सहायक आयुक्त आबकारी संजीव दुबे का नाम तो है ही साथ ही एक जिला आबकारी अधिकारी (डीईओ) और एक सहायक जिला आबकारी अधिकारी (एडीईओ) का भी नाम है। इसमें ठेकेदारों ने पूछताछ में यह भी बताया है कि यह घोटाले से कमाई राशि का हिस्सा कैसे अधिकारियों के पास जाता था।

दोनों मुख्य आरोपी एसी दुबे के मोहरे

इस जांच से यह सामने आया है कि यह घोटाला (इंदौर आबकारी घोटाला) करने वाले मुख्य आरोपी अंश त्रिवेदी और राजू दशंवत तत्कालीन सहायक आयुक्त दुबे के ही मोहरे थे। दोनों को एक-एक कर कई शराब दुकानें आपरेट करने के लिए ठेकेदारों के जरिए मौखिक निर्देशों पर पर दी गई। दुकानें आबकारी नियमों के परे रखकर बिना लिखित करार के दी गई।

indore abkari ghotala

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लेकिन इससे  भी बड़ी हैरानी की बात यह है कि ईडी ने आरोपियों में केवल ठेकेदारों को ही लिया है, इसमें दुबे के साथ ही किसी अन्य आबकारी अधिकारी को अभी आरोपी नहीं बनाया गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट के विविध केस (पवन डिबूर वर्सेस ईडी) में भी आया है कि भले ही आरोपी एफआईआर में नहीं हो लेकिन यदि इसमें लाभ पा रहा है तो वह भी आरोपी है। वहीं जांच में आया कि यह घोटाले की राशि आबकारी अधिकारियों के पास जा रही थी।

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ऐसे अधिकारियों को जा रही थी राशि

मुख्य आरोपी अंश त्रिवेदी ने जांच के दौरान ईडी को बताया कि- कम राशि का चालान भरकर घोटाले से आई राशि कैश आबकारी अधिकारियों के पास ट्रांसफर कर दी जाती थी। उसके एकाउंटेंट मनोज शर्मा ने दो से ढाई करोड़ की राशि नकद में दिसंबर 2015 से मार्च 2016 तक की एक्साइज ड्यूटी भरने के लिए कन्हैयालाल दांगी को दिए। चालान घोटाले से बची अतिरिक्त नकदी आबकारी अधिकारियों को दे दी गई।

इन तीन अधिकारियों के आए नाम

संजीव दुबे- तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी

sanjeev dubey

यह तत्कालीन सहायक आयुक्त थे और घोटाले वाले तीन सालों के दौरान यही इंदौर में पदस्थ रहे। ठेकेदार अंश त्रिवेदी और राजु दशंवत व अन्य के बयानों में सीधे तौर पर इनका नाम आया। ठेकेदार अविनाश मंडलोई ने कहा कि दुबे के कहने पर ही राजू दशंवत को दुकानों का कंट्रोल (Indore News) दिया गया था। राकेश जायसवाल ठेकेदार ने कहा कि संजीव दुबे के दबाव में मई 2017 में अपनी जीपीओ दुकान राजू दशवंत को ऑपरेशन के लिए दे दी।

इसी तरह राजू दशंवत ने माना कि कई दुकानें मौखिक तौर पर ठेकेदारों की सहमति से बिना किसी लिखित करार के संजीव दुबे के निर्देशन में आपरेट की जा रही थी। ताकि आबकारी राजस्व मिल सके। यानी जिन दुकानों में चालानों के जरिए यह घोटाला हुआ इन्हें आपरेट करने के लिए जिम्मा दुबे द्वारा दिलवाया गया। वह भी आबकारी दुकान ट्रांसफर नियमों के परे जाकर मौखिक तौर पर। 

बीएल दांगी- जिला आबकारी अधिकारी

Bl dangi

दुबे के बाद दूसरे अधिकारी का जो नाम आया है वह है मंदसौर में अभी पदस्थ जिला आबकारी अधिकारी बीएल दांगी। ठेकेदारों ने ईडी को बताया कि इस घोटाले में फर्जी चालान बनाने का काम मुख्य तौर पर कन्हैया लाल दांगी ने किया, यह बीएल दांगी जिला आबकारी अधिकारी के साले हैं। बीएल दांगी के निर्देश पर ही अंश त्रिवेदी ने कन्हैयालाल दांगी को अपने साथ शराब दुकानों पर रखा।

सुखनंदन पाठक- तत्कालीन एडीईओ महू

Sukhnandan pathak

तीसरे अधिकारी का जो नाम ईडी की चालान में ठेकेदारों (MP News) के बयानों में आया है वह है तत्कालीन महू के सहायक जिला आबकारी अधिकारी यानी एडीईओ सुखनंदन पाठक। ठेकेदार राकेश जायसवाल के बयान में है कि- मई 2017 में संजीव दुबे तत्कालीन सहायक आयुक्त आबकारी व सुखनंदन पाठक तत्कालीन महू एडीईओ के दबाव में आकर उन्होंने जीपीओ चौराहा कीदुकान राजू दशवंत को आपरेट करने के लिए दी थी।

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यह घोटाला क्या है

वित्तीय साल 2015-16, 2016-17 व 2017-18 के दौैरान यह घोटाला हुआ। इसमें पहले आकलन आया कि इसमें 41.73 करोड़ की राशि थी। लेकिन बाद में यह आंकड़ा बढ़कर 71.58 करोड़ रुपए हुआ। इसमें से आबकारी विभाग ने ठेकेदारों से 22.16 करोड़ रिकवर कर ली लेकिन 49.42 करोड़ राशि अभी भी बाकी है।

इस मामले में तत्कालीन सहायक आयुक्त दुबे ने 11 अगस्त 2017 में रावजी बाजार थाना में ठेकेदारों व उनसे जुड़े 22 लोगों पर एफआईआर कराई। दुबे इंदौर में नवंबर 2015 से सितंबर 2017 तक पदस्थ रहे और घोटाला सामने आने के बाद इन्हें हटा दिया गया।

घोटाला कैसे किया 

इस घोटाले में चालान राशि भरने में हेरफेर कर यह कांड हुआ। इसमें ठेकेदार बैंक में चालान में राशि कम लिखते थे, शब्दों में राशि नहीं लिखी जाती थी और अंकों में जीरो कम लगाते जैसे 5000 रुपए का चालान भरते और इसे जब आबकारी भंडार में बताते तो जीरो ज्यादा लगाकर 50 हजार बता देते। इस तरह फर्जी राशि भरकर आबकारी विभाग से शराब अधिक कीमत की उठाते और राशि कम जमा कराते। इस तरह दुबे के पूरे कार्यकाल के दौरान तीन साल में यह घोटाला 71.58 करोड़ का हुआ।

Ansh Trivedi

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ईडी के पीएमएलए केस में ये 14 आरोपी

इसमें ईडी द्वारा जो 14 आरोपी बनाए गए इसमें अंश त्रिवेदी, राजू दशवंत (अंश और राजू दोनों गिरफ्तार होकर जेल में हैं), विजय श्रीवास्तव, अविनाश मंडलोई, राकेश जायसवाल , प्रदीप जायसवाल, राहुल चौकसे, दीपक जायसवाल, योगेंद्र जायसवाल, मेसर्स मिलियन ट्रेडर्स भोपाल प्रालि, सूर्य प्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, मुकेश शिवहरे व भारती शिवहरे बनाए गए। अभी आबकारी अधिकारियों को चालान में आरोपी नहीं बनाया गया है।

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