फैमिली पेंशन : कर्मचारी के बेटे को शादीशुदा बताकर रोकी पेंशन, हाईकोर्ट ने दिया जारी रखने का आदेश

मध्यप्रदेश में एक परिवार की पेंशन शादी के शक में रोक दी गई थी। इसके बाद मामला ग्वालियर हाईकोर्ट पहुंच गया था। कोर्ट ने कहा कि शादी होना पेंशन रोकने की वजह नहीं है। विभाग को पेंशन फिर से जारी करने का आदेश मिला है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. फैमिली पेंशन की उलझनों में फंसे हजारों परिवारों को बड़ी राहत मिली है। ग्वालियर हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। सरकारी कर्मचारी के बेटे की पेंशन बंद करने पर कोर्ट ने आपत्ति जताई है। कोर्ट ने ऊर्जा विभाग को पेंशन जारी करने का आदेश दिया है।

ऊर्जा विभाग ने कर्मचारी के निधन के बाद बेटे के जवान होने का कारण देकर पेंशन रोक दी थी। पेंशन रुकने से परिवार मुश्किल में था। इसके बाद परिवार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसपर बुधवार, 26 नवंबर को कोर्ट ने सुनवाई की और फैसला सुनाया।

यह है कर्मचारी पेंशन का मामला

ऊर्जा विभाग के लाइन हेल्पर गंगाराम केवट का कुछ समय पहले निधन हो गया था। उनके निधन के बाद परिवार ने पेंशन के लिए विभाग को आवेदन किया था। इसके जवाब में विभाग ने पेंशन मंजूर तो की, लेकिन इस आदेश में एक शर्त जोड़ दी। शर्त थी कि गंगाराम के बेटे के विवाह होते ही पेंशन बंद हो जाएगी।

इस शर्त से परिवार परेशान था। गंगाराम के बेटे नीरज ने कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने ग्वालियर हाईकोर्ट से मदद की अपील की थी।

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ग्वालियर हाईकोर्ट ने दी बड़ी राहत

ग्वालियर हाईकोर्ट ने नीरज केवट की याचिका पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने ऊर्जा विभाग को नोटिस भेजा था। जवाब में अधिकारियों ने कहा कि नीरज केवट विवाहित लग रहे हैं। इसलिए उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। विभागीय अधिकारी के जवाब को कोर्ट ने इस वजह को गलत माना है।

कोर्ट ने कहा कि यह पेंशन रोकने का वैध कारण नहीं है। वहीं याचिकाकर्ता नीरज ने भी नियमों का हवाला दिया। उन्होंने एमपी सिविल सेवा पेंशन नियम बताए। उन्हीं नियमों के आधार पर उन्होंने पेंशन रोकने पर आपत्ति जताई।

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फैमिली पेंशन की खबर पर एक नजर...

  • ग्वालियर हाईकोर्ट ने कहा कि शादी होना फैमिली पेंशन रोकने की वाजिब वजह नहीं है।

  • ऊर्जा विभाग ने कर्मचारी गंगाराम केवट के बेटे नीरज की पेंशन उनके विवाह की आशंका बताकर रोक दी थी।

  • कोर्ट ने विभाग की दलील खारिज की और इसे नियमों के खिलाफ बताया।

  • एमपी सिविल सेवा पेंशन नियमों के अनुसार पुत्र को 25 साल की उम्र तक पेंशन मिलनी चाहिए, चाहे वह विवाहित हो या अविवाहित।

  • हाईकोर्ट ने ऊर्जा विभाग को पेंशन तुरंत जारी करने का आदेश दिया।

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विवाहित होने से नहीं रोक सकते पेंशन

एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए शादी वाली शर्त को गलत बताया है। कोर्ट ने ऊर्जा विभाग को पेंशन जारी करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि शादी होने से बेटे को मिलने वाली पेंशन नहीं रोकी जा सकती।

इससे मृत कर्मचारी के विवाहित पुत्र का पेंशन पाने का अधिकार समाप्त नहीं होता है। नियमों के मुताबिक पुत्र को 25 वर्ष की उम्र तक पेंशन मिलनी चाहिए। यह हक शादीशुदा या अविवाहित होने से नहीं बदलता है।

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