एमपी सरकार ने गेहूं-धान खरीद से किया इनकार, कर्ज संकट के चलते केंद्र से मदद मांगी

एमपी सरकार के 77 हजार करोड़ रुपए के कर्ज के कारण गेहूं-धान की सरकारी खरीद रोक दी है। अब केंद्र से खरीदी की जिम्मेदारी लेने की गुहार लगाई गई है। इससे किसानों पर असर पड़ने की आशंका है।

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Amresh Kushwaha
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BHOPAL. मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं-धान की खरीद से इनकार कर दिया है। इसके पीछे राज्य पर 77 हजार करोड़ का कर्ज और बढ़ते खर्च सबसे बड़ी वजह बताए गए हैं। सीएम मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अपील की है कि अब आप ही किसानों से गेहूं-धान खरीदें।

जानें क्या बदल जाएगी खरीद की प्रक्रिया?

आमतौर पर राज्य सरकार किसानों से गेहूं-धान खरीदती है और फिर भारतीय खाद्य निगम उसे लेता है। सरकार के नए प्रस्ताव में अब केंद्र सरकार की सीधी भूमिका हो सकती है। इससे राज्य का नागरिक आपूर्ति निगम प्रक्रिया से बाहर हो जाएगा।

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किसानों के लिए क्या बदल जाएगा?

सरकार का कहना है कि किसानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन जानकारों का कहना है कि FCI के सख्त नियमों की वजह से कई किसान अपनी फसल बेच नहीं पाएंगे। ऐसे में उन्हें फसल औने-पौने भाव में निजी व्यापारियों को बेचनी पड़ सकती है।

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पहले 5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला

  1. राज्य सरकार ने भारी कर्ज के कारण गेहूं-धान खरीदने से हाथ खींच लिए हैं।

  2. मुख्यमंत्री ने केंद्र को पत्र लिखकर सीधे खरीद की अपील की है।

  3. कर्ज की वापसी और खर्च की प्रतिपूर्ति में राज्य को बड़ी दिक्कत रही।

  4. व्यवस्था बदलने पर FCI द्वारा सख्त गुणवत्ता के मानक लागू होंगे।

  5. किसानों को उपज बेचने में दिक्कत और आर्थिक नुकसान की आशंका बढ़ी है।

सरकार को खरीद में हर साल बड़ा घाटा

प्रदेश सरकार हर साल भारी मात्रा में गेहूं-धान खरीदती है। इस साल करीब 78 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया, लेकिन सरकारी वितरण में इसका बहुत थोड़ा हिस्सा जाता है। बाकी अनाज FCI के पास जाता है, और पूरे खर्च की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर होती है।

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कर्ज और रकम की वापसी में राज्य की परेशानी

खरीद की रकम के भुगतान में राज्य सरकार को काफी परेशानी होती है। बैंकों से हजारों करोड़ का कर्ज उठाकर अनाज खरीदा जाता है। FCI के भुगतान में 2-3 साल लग जाते हैं। कई बार पूरी राशि नहीं मिलती और राज्य को बड़ा घाटा उठाना पड़ता है।

बदलाव के पक्ष में और विरोध में भी राय

राज्य सरकार के मुताबिक व्यवस्था बदलने से प्रदेश की फीसली बचत होगी। वहीं कर्मचारी संघ और विपक्ष का कहना है कि इससे किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है। विपक्ष ने सरकार पर किसानों के हितों को अनदेखा करने का आरोप लगाया है।

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क्या बोले विशेषज्ञ और पूर्व अधिकारी?

रिटायर्ड अधिकारी मानते हैं कि नागरिक आपूर्ति निगम की खराब स्थिति का कारण कुप्रबंधन है। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि FCI के पास किसानों की चिंता कम होगी, जिससे वे निजी व्यापारियों के भरोसे रह जाएंगे।

आगे क्या होगा, केंद्र को लेना है फैसला

अब अंतिम फैसला केंद्र सरकार को लेना है कि खरीद की प्रक्रिया कैसी होगी। किसानों की नजर सरकार की अगली नीति पर टिकी है।

FAQ

क्या केंद्र सरकार ने अभी गेहूं-धान की खरीद का निर्णय लिया है?
अभी केंद्र सरकार ने अंतिम फैसला नहीं लिया है। प्रस्ताव पर विचार हो रहा है।
किसानों को अब फसल बेचने में कौनसी दिक्कत आ सकती है?
FCI के सख्त मानकों से फसल रिजेक्ट हो सकती है और किसानों को औने-पौने दाम मिलने की आशंका है।
मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूं-धान की खरीद बंद क्यों की?
खरीदी, भंडारण व भुगतान के खर्च के कारण राज्य पर कर्ज का बोझ बहुत बढ़ गया है।
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