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मध्य प्रदेश में लागू हुई भावांतर योजना में वही सोयाबीन बिक्री को लेना है जो एफएक्यू (औसत अच्छी गुणवत्ता) वाला हो। इस आदेश को लेकर किसानों में भारी नाराजगी थी।
इसे देखते हुए सीएम डॉ. मोहन यादव ने इसे लेकर अधिकारियों को साफ आदेश दे दिए हैं। किसान हित में सीएम का यह फैसला बेहद अहम है।
इंदौर में इस योजना के तहत 46 हजार किसान पंजीकृत हैं और 24 अक्टूबर से खरीदी शुरू हो गई है। पहले दिन ही कलेक्टर इंदौर शिवम वर्मा ने मंडियों का दौरा कर सभी को किसान हित में काम करने के आदेश दिए।
सीएम ने कहा - कोई एफएक्यू का झंझट नहीं
सीएम डॉ. मोहन यादव ने साफ शब्दों में कहा है कि - 24 अक्टूबर से जहां भी जिस मंडी से किसान अपनी उपज बेचें, उन्हें लाइन में लगने की जरूरत नहीं। धक्के खाने की जरूरत नहीं, जो एफएक्यू का नाटक चलता था उसकी आवश्यकता नहीं।
हमने प्रशासन, सभी कलेक्टर, अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं कि मंडी में व्यापारी व्यापार करें लेकिन किसानों को कोई घाटा नहीं हो। उपज का सही मूल्य मिले। साथ ही अंतर की भरपाई सरकार करेगी।
पहले एफएक्यू को लेकर क्या थे आदेश
पहले शासन ने कृषि उपज मंडी सचिवों को एक पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि भावांतर योजना में वही सोयाबीन बिक्री को लेना है जो एफएक्यू (औसत अच्छी गुणवत्ता) वाला हो।
भावांतर योजना में मुख्य आधार रहता है मॉडल रेट। यदि एफएक्यू आधारित सोयाबीन की बिक्री के रेट को लिया जाता है, वह अधिक होगा। यानी ऐसे में सोयाबीन का मॉडल रेट भी अधिक आता।
किसानों की मांग थी कि जब एमएसपी पर खरीदी नहीं और भावांतर लागू किया तो एफएक्यू वाले आदेश से तो इस योजना का कोई मतलब ही नहीं निकलेगा। इसे सीएम ने भी गंभीरता से लिया और किसानों की इस मांग पर अधिकारियों को साफ आदेश दे दिए हैं।
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इंदौर कलेक्टर ने भी दिए आदेश
इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने भी कहा कि एफएक्यू वाला कोई मुद्दा नहीं है। सभी उपज पर यह लागू होगा। उन्होंने आगे कहा मुख्यमंत्रीजी ने इस संबंध में किसान हित में निर्देश दिए हैं और मंडी अधिकारियों को बता दिया गया है।
किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिलेगा और एमएसपी और मॉडल रेट अंतर का भुगतान सरकार पंजीकृत किसानों को करेगी।
एफएक्यू (FAQ) सोयाबीन की गुणवत्ता में यह देखा जाता है
इसका अर्थ है कि समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए सोयाबीन के दाने कुछ मानकों को पूरा करते हों। इन मानकों में हैं कि नमी 12% से अधिक न हो, टूटे हुए दानों की संख्या 15% से अधिक न हो, सिकुड़े हुए और अपरिपक्व दानों की संख्या 5% तक ही हो और कचरा 2% से अधिक न हो और उपज साफ-सुथरी होनी चाहिए और उसमें कचरा या मिट्टी जैसे पदार्थ कम होने चाहिए।
शासन के पत्र में यह भी लिखा था
शासन द्वारा मंडी सचिवों को भावांतर के लिए लिखे गए पत्र में यह भी था कि भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत इसी गुणवत्ता वाली कृषि उपज पर भावांतर का लाभ मिलेगा।
इसलिए इस गुणवत्ता वाली उपज का अधिक मूल्य किसानों को दिलाया जाए। साथ ही जो भी उपज एमएसपी से कम में बिक रही है, उस कृषि उपज का सैंपल आवश्यक रूप से रखा जाए।
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