शराब ठेकेदार डकार गए मध्यप्रदेश सरकार के 756 करोड़, कैग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

मध्यप्रदेश सरकार को 756 करोड़ रुपए का नुकसान शराब ठेकेदारों ने पहुँचाया है,नुकसान की यह जानकारी का कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है। इस रकम से 5 लाख पीएम आवास और 1500 किमी सड़कें बन सकती थीं।

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Sanjay Dhiman
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भारत के नियंत्रक महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट में चाैकाने वाला मामला सामने आया है। कैग रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के शराब ठेकेदारों ने सरकार को 756 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है। यह राशि इतनी अधिक है कि इसके द्वारा 5 लाख गरीबों के लिए पीएम आवास (PMAY) योजनाओं का निर्माण किया जा सकता था, या फिर 1500 किलोमीटर लंबी सड़कें बनाई जा सकती थीं। रिपोर्ट के अनुसार, यह नुकसान पिछले तीन सालों में हुआ है और अब तक सरकार इस राशि की वसूली में नाकाम रही है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 31 मार्च 2022 तक खत्म हुए वित्तीय वर्ष में यह खुलासा हुआ, जिसे 31 जुलाई को मध्यप्रदेश विधानसभा में पेश किया गया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 के बीच 52 में से 26 जिला आबकारी विभाग और आबकारी आयुक्त कार्यालय की जांच के दौरान यह आंकड़ा सामने आया। 

756 करोड़ रुपए का नुकसान: ये है मुख्य कारण

कैग ने इस रिपोर्ट में 6 प्रमुख कारणों का जिक्र किया है, जिनकी वजह से सरकार को यह भारी नुकसान उठाना पड़ा। यह कारण सरकार की शराब नीति, लाइसेंसिंग प्रक्रिया, और विभागीय गड़बड़ियों से जुड़े हैं।

1. नई शराब नीति का रद्द होना: 471 करोड़ का नुकसान

साल 2020-21 में लागू की गई शराब नीति को केवल चार महीने बाद अगस्त में रद्द कर दिया गया था। इसके कारण सरकार को 471.38 करोड़ रुपए का राजस्व का नुकसान हुआ, जो अभी तक वसूल नहीं हो पाया। रिपोर्ट में कहा गया कि कई ठेकेदारों ने अपनी सुरक्षा जमा राशि वापस पाने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया।

2. 11 ठेकेदारों से 232 करोड़ रुपए की वसूली न हो पाई

2020-21 में प्रदेश के 52 जिलों में शराब बेचने के लिए 329 लाइसेंस जारी किए गए थे, लेकिन 38 ठेकेदारों ने शराब दुकानों का संचालन करने से इनकार कर दिया। सरकार ने इन दुकानों के नए ठेके दिए, लेकिन 11 ठेकेदारों से 232 करोड़ रुपए वसूल नहीं हो पाए।

3. वित्तीय आकलन में कमी

कैग की रिपोर्ट के अनुसार, विभाग के पास बोलीदाताओं की वित्तीय स्थिति का सही आकलन करने का कोई प्रावधान नहीं था। इससे विभाग को नुकसान उठाना पड़ा, जैसे धार जिले में 9.58 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। 

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यह विकास कार्य हो सकते है 756 करोड़ रुपए में 

अगर इस रकम का सही उपयोग होता, तो इसके द्वारा कई सरकारी योजनाओं को लागू किया जा सकता था। आइए जानते हैं कि इस राशि में क्या-क्या संभव था:

1500 किमी नई सड़क बन सकती थी

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत 756 करोड़ में 1500 किमी सड़कें बन सकती थीं। मध्यप्रदेश में 1 किमी सड़क बनाने की औसत लागत करीब 50 से 55 लाख रुपए है। इस राशि से 750 किमी सीमेंट और डामर की सड़कें बनाई जा सकती थीं।

8 नए जिला अस्पताल बन सकते थे

756 करोड़ में 8 नए जिला अस्पताल सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस बनाए जा सकते थे। एक अस्पताल की लागत करीब 100 करोड़ होती है, और 10 लाख रुपए में 7500 जनऔषधि केंद्रों की स्थापना की जा सकती थी। 

756 करोड़ के नुकसान के इस मामले को ऐसे समझें 

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756 करोड़ का नुकसान: कैग रिपोर्ट के अनुसार, शराब ठेकेदारों ने मध्यप्रदेश सरकार को 756 करोड़ रुपए का नुकसान पहुँचाया है, जो अभी तक वसूल नहीं हो पाया है।

शराब नीति का रद्द होना: 2020-21 की एमपी की शराब नीति को चार महीने बाद रद्द कर दिया गया, जिससे सरकार को 471 करोड़ रुपए की राजस्व हानि हुई।

लाइसेंसिंग और वसूली में गड़बड़ी: 38 ठेकेदारों ने शराब दुकानों का संचालन करने से इनकार किया, जिससे सरकार 232 करोड़ रुपए की वसूली में नाकाम रही।

विभागीय गड़बड़ियां: कैग ने विभागीय प्रक्रियाओं में वित्तीय आकलन की कमी और सुरक्षा राशि जमा न करने जैसी कई गड़बड़ियों का खुलासा किया।

सरकार की योजनाओं पर असर: अगर यह 756 करोड़ सरकार की योजनाओं पर खर्च होते, तो 1500 किमी सड़कें, 8 नए जिला अस्पताल, और 5 लाख पीएम आवास बनाए जा सकते थे।

 

15 हजार स्मार्ट क्लासरूम

756 करोड़ रुपए में 15 हजार स्मार्ट क्लासरूम बनाए जा सकते थे, जो शिक्षा के स्तर को बेहतर बना सकते थे। स्मार्ट क्लासरूम की एक यूनिट की लागत लगभग 5 लाख रुपए है।

5 लाख गरीबों को पक्के मकान

756 करोड़ रुपए में 5 लाख गरीबों के लिए पक्के मकान बनाए जा सकते थे, जिनका अनुमानित खर्च 1.5 लाख रुपए प्रति आवास होता है। यह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हो सकता था। 

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क्या है कैग और कैसे करता है काम 

CAG का मतलब है भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India). यह एक संवैधानिक पद है जो भारत सरकार और राज्य सरकारों के सभी वित्तीय लेनदेन की जांच करता है, यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का उपयोग सही तरीके से हो रहा है या नहीं। 
CAG के बारे में कुछ मुख्य बातें:
संवैधानिक पद:
CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और यह एक स्वतंत्र संवैधानिक पद है। 
मुख्य कार्य:
CAG का मुख्य कार्य केंद्र और राज्य सरकारों के सभी प्राप्तियों और व्यय की जांच करना है। 
सार्वजनिक धन का संरक्षक:
CAG को "सार्वजनिक धन का संरक्षक" भी कहा जाता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि सरकार का पैसा सही तरीके से खर्च हो रहा है या नहीं।
स्वतंत्रता:
CAG की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए, इसे राष्ट्रपति द्वारा ही हटाया जा सकता है, और वह भी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को हटाने की प्रक्रिया के समान। 
वर्तमान CAG:
वर्तमान में, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के. संजय मूर्ति हैं। 

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