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5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला
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मध्य प्रदेश में लाखों कर्मचारी अब इलाज का बिल देख कर नहीं घबराएंगे। सरकार 2026 में उनके लिए एक नई हेल्थ योजना शुरू करने की तैयारी में है। यह योजना दिखने में आयुष्मान जैसी होगी, पर खास तौर पर कर्मचारियों के लिए बनेगी।
कई साल से कर्मचारी कैशलेस इलाज की मांग करते रहे हैं। अब सरकार ने इस मांग को फाइलों से निकालकर ड्राफ्ट योजना तक पहुंचा दिया है। अगर सब तय समय पर चला, तो नए साल में मेडिकल चिंता काफी कम हो सकती है।
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नई योजना क्या है, नाम से लेकर मॉडल तक
प्रस्तावित स्कीम का नाम रखा गया है- मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना। यह नाम ही बताता है कि मॉडल आयुष्मान भारत जैसा ही रखा गया है। योजना के तहत प्रदेश के अंदर और बाहर दोनों जगह अस्पतालों से अनुबंध होगा। यानी कर्मचारी भोपाल ही नहीं, दूसरे राज्यों में भी कैशलेस इलाज करा सकेंगे। लक्ष्य है कि इमरजेंसी में जेब के बदले कार्ड काम आए।
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मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना कितनी राशि की कवरेज है?
जानकारी के अनुसार इस योजना में दो अलग तरह की सीमा तय की गई है। सामान्य बीमारियों के इलाज और ओपीडी के लिए 5 लाख रुपए तक की सुविधा होगी। जब बीमारी गंभीर हो, तो कवरेज 10 लाख रुपए तक बढ़ जाएगा। यह राशि परिवार के लिए होगी, अकेले कर्मचारी के लिए नहीं। इससे बड़े ऑपरेशन और लंबा इलाज भी manageable हो पाएगा।
कौन होंगे लाभार्थी, सिर्फ नियमित नहीं, यह पूरी लिस्ट है
MP Medical Treatment Scheme का दायरा केवल स्थायी कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहेगा।
स्थायी और अस्थायी कर्मचारी शामिल होंगे।
संविदा और शिक्षक संवर्ग को भी कवर मिलेगा।
सेवानिवृत्त कर्मचारी और पेंशनर्स भी योजना में जुड़ेंगे।
इसके साथ ही नगर सैनिक, कार्यभारित और स्वशासी संस्थाओं के कर्मचारी भी शामिल हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी कवर में आएंगे। आशा, उषा कार्यकर्ता, आशा सुपरवाइजर और कोटवार भी लाभ ले सकेंगे। कुल संख्या 15 लाख से ज्यादा बताई जा रही है। एमपी सरकारी कर्मचारी
अंशदान का फार्मूला, वेतन और पेंशन से कटेगी यह राशि
योजना मुफ्त तो होगी, पर इसमें कर्मचारियों की भी साझेदारी रहेगी। मासिक वेतन या पेंशन से 250 से 1000 रुपए तक अंशदान काटने का प्रस्ताव है। कितना अंशदान लगेगा, यह वेतन और ग्रेड के हिसाब से तय होगा। जितना हिस्सा कर्मचारी देगा, उससे कई गुना अधिक राशि सरकार देगी। इस तरह कुल प्रीमियम से बड़ा हेल्थ कवर तैयार होगा।
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अभी क्या होता है, बिल पहले भरें, बाद में इंतजार करें
फिलहाल हालात बिल्कुल उलट हैं। अभी कर्मचारी और पेंशनर्स इलाज का पूरा खर्च खुद उठाते हैं। बाद में बिल जोड़कर विभाग से प्रतिपूर्ति की उम्मीद रखते हैं। प्रस्ताव कैबिनेट तक जाता है और CGHS दर से भुगतान तय होता है। कई बार खर्च ज्यादा होने से पूरी राशि वापस नहीं मिल पाती। तब कर्मचारी खुद की जेब से ज्यादा हिस्सा भरने को मजबूर हो जाते हैं।
इसमें सबसे कड़वी हकीकत यह भी है कि, पहले भी इसकी घोषणा हुई थी, लेकिन जमीन पर नहीं उतरी।
फरवरी 2020 में सरकार ने कर्मचारियों के लिए फ्री इलाज का ऐलान किया था। आदेश भी जारी हुआ, पर योजना शुरू नहीं हो सकी। health scheme
कारण कभी फाइलें रहीं, कभी बजट और मॉडल पर सहमति नहीं बन सकी। इस बार सरकार हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड के मॉडल देख कर आगे बढ़ रही है। वहां इसी तरह की योजनाएं चल रही हैं। इससे सीखकर एमपी अपनी स्कीम (मध्यप्रदेश कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना) को फाइनल करना चाहती है।
एमपी इन्हीं मॉडल्स को देखकर अपना ड्राफ्ट तैयार कर रहा है। अस्पतालों के पैनल, क्लेम प्रोसेस और प्रीमियम शेयर जैसे पॉइंट वहां से लिए जा रहे हैं। उत्तराखंड भी समान योजना चला रहा है, जिससे व्यावहारिक अनुभव मिल रहा है।
योजना लागू हुई तो क्या बदलेगा, एक छोटी कहानी में समझें
मान लीजिए किसी जिले के स्कूल शिक्षक को अचानक हार्ट की दिक्कत हुई। अभी की व्यवस्था में वह पहले अस्पताल का बिल भरते हैं, फिर महीनों तक फाइलों का इंतजार करते हैं।
नई योजना लागू होने पर वही शिक्षक कार्ड दिखाकर सीधा भर्ती हो सकेंगे।
परिवार को इलाज के बीच पैसों का इंतजार नहीं करना होगा।
अस्पताल भुगतान सीधे सरकार या बीमा कंपनी से लेगा।
मरीज और परिवार इलाज पर ध्यान दे सकेंगे, कर्ज और बिल पर नहीं।
कब तक लागू होगी मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना
योजना का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है और सुझाव भी लिए जा चुके हैं। अब अगला कदम कैबिनेट की मंजूरी और वित्तीय स्वीकृति है। संकेत हैं कि 2026 के शुरुआती महीनों में योजना पर अंतिम फैसला हो सकता है। उसके बाद अस्पतालों के साथ अनुबंध और टेक्निकल प्लेटफॉर्म तैयार होगा। सरकार चाहती है कि नया वित्तीय वर्ष शुरू होते ही योजना को जमीन पर उतारा जा सके। आयुष्मान योजना
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