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BHOPAL. वित्तीय प्रबंधन के मामले में मध्य प्रदेश सरकार पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। कमाई कम, वसूली में पीछे रहने के बावजूद सरकार अपने खर्चों पर कसावट नहीं कर पा रही है। सरकार से मिलने वाले अनुदान और सहायता राशि को निकाय, प्राधिकरण जैसे संस्थान ही नहीं विभाग भी बेहिसाब खर्च कर रहे हैं। इसके विपरीत वे खर्च की गई राशि का सटीक ब्यौरा देने में हाथ पीछे खींचते हैं। बीते पांच सालों में सरकार द्वारा अपने अधीनस्थ संस्थानों को 66 हजार 597 करोड़ रुपए दिए गए थे। लेकिन इस राशि से निकायों ने जो काम कराए उसकी गुणवत्ता और खर्च के ब्यौरे के साथ उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा ही नहीं कराए। इससे ये साफ ही नहीं हो सका कि आखिर जो राशि खर्च की गई है उसका लाभ लोगों को मिल भी रहा है या नहीं।
सरकार साल दर साल बजट में इजाफा कर रही है। साल 2025-26 के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने 4 लाख 21 हजार करोड़ से ज्यादा राशि का बजट पेश किया है। यानी इस साल विभिन्न विभाग और निकायों को भी बीते साल के मुकाबले ज्यादा राशि मिलेगी। इसे वे सरकार की योजनाओं के साथ ही विकास कार्यों पर खर्च पाएंगे। सवाल अब भी यही है कि विभाग और निकाय कैग की आपत्ति के बाद उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने में मुस्तैदी दिखाएंगे या उनका रवैया पहले के सालों की तरह रहेगा।
31 हजार करोड़ के उपयोगिता प्रमाण पत्र गायब
मध्य प्रदेश सरकार ने साल 2022 तक निकाय और प्राधिकरणों को 30,926 करोड़ उपलब्ध कराए थे। इस राशि से निकायों द्वारा विभिन्न निर्माण, विकास कार्य कराए। इसके साथ ही इसी राशि में से सरकार की योजनाओं के तहत भी हितग्राहियों को मदद उपलब्ध कराई गई। इसके विरुद्ध 20 हजार से ज्यादा उपयोगिता प्रमाण पत्र तय समय सीमा के बाद भी जमा नहीं कराए गए। विभागों ने सरकार को यह भी हिसाब नहीं दिया कि बीते सालों में मिली राशि का उपयोग आखिर कैसे किया गया। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग ने विभागों की चुप्पी और जवाबदेही तय न होने पर सरकार के धन के दुरुपयोग का भी अंदेशा जताया है।
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पेंडेंसी में ऊर्जा विभाग सबसे आगे
कैग की रिपोर्ट के आंकड़ों को देखें तो वित्त वर्ष 2013-14 में 13,209 करोड़ के 19 हजार से ज्यादा जबकि 2015 से 2022 के बीच 2,326 करोड़ के कामों के विरुद्ध 550 से ज्यादा उपयोगिता प्रमाण पत्र पेश नहीं किए गए। कैग ने उपयोगिता प्रमाण पत्रों के मामले में पीछे रहे विभागों को भी सूचीबद्ध किया है। सबसे ज्यादा 11 हजार पेंडेंसी ऊर्जा विभाग, पंचायत राज विभाग द्वारा 8 हजार से ज्यादा, नगरीय विकास विभाग के 3 हजार, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति के 2 हजार, ग्रामीण विकास विभाग के 1500 और सामाजिक न्याय, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, कृषि एवं किसान कल्याण, पीएचई, अनुसूचित जाति_जनजाति कल्याण विभाग के 2500 से ज्यादा उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं कराए गए।
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सख्त मॉनिटरिंग सिस्टम की जरूरत
एक ओर सरकार आर्थिक संकट के दौर में है। विकास कार्यों के लिए धन जुटाने कर्ज लिया जा रहा है। अब स्थिति यहां तक आ गई है कि कर्ज चुकाने के लिए भी सरकार कर्ज लेने मजबूर है। दूसरी ओर विभागों में बजट से खर्च राशि, विकास कार्यों पर किए गए भुगतान के हिसाब-किताब पर नजर रखने का कारगर सिस्टम नहीं है। कैग ने विभाग और निकायों द्वारा खर्च की गई राशि से कराए गए कामों के उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा नहीं करने पर टिप्पणी की है। कैग ने भी उपयोगिता प्रमाण पत्र पेश करने में विभाग स्तर पर आने वाली बाधाओं की पहचान करने की ठोस व्यवस्था करने की अनुशंसा भी की है।
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