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BHOPAL. कैडर व्यवस्था में बदलाव से प्रशासनिक सिस्टम और कार्यालयीन व्यवस्था तनावपूर्ण हो गई है। इससे संभाग और जिला स्तर के निकायों में कर्मचारियों की कमी और बढ़ने का संकट खड़ा हो गया है। मध्यप्रदेश सरकार ने दो दशक पुरानी व्यवस्था बदलने से अब विभागों ने आउटसोर्स, अस्थायी और संविदाकर्मियों की छंटनी शुरू कर दी है।
कर्मचारियों को सूचीबद्ध किए जाने की प्रक्रिया से पूरे प्रदेश में खलबली मची है। नौकरी जाने के डर से आउटसोर्स कर्मियों के सामने घर चलाने का गंभीर तनाव पैदा हो गया है।
नौकरी से निकालने के आदेश से बढ़ रहा गुस्सा
सरकार के फैसले से कर्मचारी अब सरकार के खिलाफ ही मोर्चा खोल रहे हैं। सरकार ने 10 में से 7 श्रेणियां खत्म कीं, जिनमें लाखों कर्मचारी शामिल हैं। कर्मचारियों की इतनी बड़ी संख्या और उनका विरोध सरकार की परेशानी बढ़ा सकता है। इस घोषणा का सर्वाधिक असर आउटसोर्स कर्मचारियों पर पड़ा है। अब 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी वर्ष 2026 की शुरुआत से आंदोलन करेंगे।
विभागों के कर्मचारियों को बाहर करने के आदेश आग में घी समान हैं। सिस्टम से बाहर हुए बिजलीकर्मी, टेलीमेडिसिन कंसल्टेंट और लैब टेक्नीशियन विरोध पर हैं।
आउटसोर्स कर्मचारी की खबर पर एक नजर..👉 मध्य प्रदेश सरकार ने 10 में से 7 कर्मचारी श्रेणियां खत्म कर दी हैं। 👉 करीब 1.5 से 2 लाख आउटसोर्स कर्मियों की तत्काल छंटनी की आशंका है। 👉 टेलीमेडिसिन के 1200 कर्मचारी पहले ही सेवा से बाहर किए गए। 👉 अब निजी कंपनियां कर्मचारियों का वेतन और सुविधाएं तय करेंगी। 👉 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी जनवरी 2026 से बड़ा आंदोलन करेंगे । | |
कैडर समाप्ति का ज्यादा असर आउटसोर्स पर
मध्य प्रदेश में सरकार के विभागों के लिए 10 लाख से ज्यादा आउटसोर्स कर्मचारी अब तक काम कर रहे हैं। अब तक इन कर्मियों को विभागों में सृजित पदों के विरुद्ध काम पर रखा जाता था। उनकी सेवाएं अब निजी कंपनियों के जरिए ली जाएंगी। यानी ये कर्मचारी पूरी तरह कंपनी के अधीन होंगे।
कर्मचारी विभाग से किसी तरह की मदद नहीं ले पाएंगे और उन्हें वेतन, पीएफ, छुट्टी सहित अन्य सुविधाओं पर कंपनी ही निर्णय लेगी। आउटसोर्स कर्मचारी सालों से सरकार से नियमित करने की मांग कर रहे थे। अब उन्हें कंपनी के अधीन होना पड़ रहा है। इस वजह से आउटसोर्स कर्मचारियों में सबसे ज्यादा नाराजगी है।
सरकार के एकतरफा निर्णय से नाराज संगठन
आउटसोर्स कर्मचारियों (Outsourced Employees) के संगठन सरकार की घोषणा के बाद से ही विरोध कर रहे हैं। संघ के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि सीएम ने 16 दिसंबर को कर्मचारी कैडर खत्म करने की घोषणा की थी। इसे अभी महज 9 दिन ही हुए हैं और विभागों ने छंटनी शुरू कर दी है।
विभागों में अधिकारी आउटसोर्सकर्मियों को बाहर का रास्ता दिखाने में जुट गए हैं। लिस्ट तैयार की जा रही हैं। सरकार ने निजी कंपनियों के दखल से होने वाली भावी दिक्कतें अनदेखा कर दीं। इस गंभीर मुद्दे पर सरकार ने पूरी तरह एकतरफा निर्णय लिया है। जबकि पहले कर्मचारी संगठनों से भी इस पर बात की जानी चाहिए थी।
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इन विभाग से बाहर होंगे सबसे ज्यादा आउटसोर्सकर्मी
मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य, बिजली और लोक निर्माण जैसे विभागों में सर्वाधिक आउटसोर्सकर्मी हैं। पीएचई, सहकारिता, कृषि और ग्रामीण विकास विभागों में भी इनकी संख्या बहुत अधिक है। नगरीय प्रशासन, आवास और अन्य सरकारी संस्थाओं में भी हजारों आउटसोर्सकर्मी काम कर रहे हैं। सरकार के हालिया निर्णय से टेलीमेडिसिन कर्मचारियों की उम्मीदें पूरी तरह खत्म हो गई। संगठन मंत्री आशीष सिसौदिया के अनुसार 1200 कर्मचारी सेवा से बाहर हो चुके हैं।
नगरीय निकायों में ई-अटेंडेंस की नई व्यवस्था लागू कर दी गई है। इस व्यवस्था की आड़ में हजारों कर्मचारियों की छंटनी की तैयारी कर ली गई। लोक निर्माण, पीएचई, वन और स्वास्थ्य विभागों में भी संकट गहरा गया है। महिला बाल विकास और ऊर्जा विभाग के कर्मचारियों को भी हटाया जा रहा है।
विभिन्न निगमों, मंडलों और संस्थाओं में व्यापक स्तर पर छंटनी की तैयारी है। करीब डेढ़ से दो लाख आउटसोर्स कर्मचारियों को घर बैठाया जा सकता है। इन सभी विभागों से कर्मचारियों को निकालने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
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इतने कर्मचारी होंगे बाहर
टेलीमेडिसिन व अन्य कर्मचारी 12 हजार
जनसेवा मित्र 9 हजार
स्वच्छताग्राही 20 हजार
मीटर रीडर्स 4 हजार
सीखो कमाओ योजना 5 हजार
बिजली कंपनियां 25 हजार
सभी विभागों से कम्प्यूटर ऑपरेटर 75 हजार
महिला एवं बाल विकास विभाग 5 हजार
पुलिस हाउसिंग 200
जल जीवन मिशन 400
स्वान इंजीनियर 300
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