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BHOPAL. सरकार एक ओर युवाओं को सरकारी नौकरी के सपने दिखा रही है तो दूसरी ओर सरकार के विभाग और निकायों में मिलने वाले रोजगार के रास्ते भी बंद कर रही है। आउटसोर्स कंपनियों को विभागों के काम की जिम्मेदारी सौंपने से पहले ही हजारों पदों पर नियुक्तियां बंद हो चुकी हैं।
ऐसे में प्रदेश बेरोजगार युवा सरकारी घोषणाओं के बीच खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। ऐसे ही युवा और आउटसोर्स कंपनियों के जरिए सरकारी विभागों में मामूली वेतन पर का कर रहे शोषित कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ रही है।अब बैंकिंग सेक्टर के आउटसोर्स कर्मचारी भी अब आंदोलन की राह पर प्रदेश के कर्मचारियों के साथ आ गए हैं।
मध्य प्रदेश में रोजगार को लेकर युवाओं में छटपटाहट साफ नजर आ रही है। इसी को देखते हुए सूबे के मुखिया सीएम डॉ.मोहन यादव भी एक लाख से ज्यादा सरकारी नौकरियों की घोषणा कर चुके हैं। इसको लेकर सरकार ने पुलिस सहित विभिन्न विभागों में भर्ती परीक्षाएं भी शुरू कराई है।
भर्तियों से युवाओं को रोजगार की राहत मिल पाती उससे पहले ही अधिकारियों ने नई मुश्किल खड़ी कर दी है। वित्त विभाग के ढाई दशक पुराने आदेश को आधार बनाकर नगरीय प्रशासन विभाग के एक पत्र ने हजारों कर्मचारियों की परेशानी बढ़ा दी है।
इस पत्र से वे कर्मचारी अपनी नौकरी को लेकर आशंकित हैं जो डेढ़ या दो दशक से निकायों में काम कर रहे हैं। हांलाकि पत्र में उन्हें नौकरी से हटाने का उल्लेख नहीं है लेकिन अचानक जिस तरह से जानकारी मांगी गई है उससे कर्मचारी खुद को संकट में मान रहे हैं।
तृतीय-चतुर्थ श्रेणी के 23 हजार पद खत्म
सरकारी नौकरी के सपने देखने वाले प्रदेश के हजारों युवाओं में निराशा गहराने लगी है। सरकारी नौकरी की तैयारी में सालों बिताने के बाद अब इनमें से ज्यादातर घर चलाने के लिए आउटसोर्स कंपनियों के शोषण का शिकार होने मजबूर हैं। सरकार ने विभागों ने चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की नियुक्तियों पर तो पूरी तरह रोक ही लगा रही है।
इस वजह से हाईस्कूल या हायर सेकेण्डरी तक पढ़ाई करने वालों के सामने सरकारी नौकरी तक पहुंचने का कोई जरिया ही नहीं बचा है। इस वजह से गरीब तबके के युवा सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने बिजली कंपनियों में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के करीब 23 हजार पदों को खत्म कर दिया गया है। अब इन पदों पर भी आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से काम लिया जाएगा।
आउटसोर्स की जकड़ में विभाग
युवा जहां सरकारी नौकरी की तलाश में सालों तक मेहनत करने के बाद टूट रहे हैं। वहीं सरकार अपने ही तंत्र को कमजोर कर आउटसोर्स व्यवस्था को मजबूत करने में जुटी है। तहसील या जिला नहीं राज्य की प्रशासनिक मुख्यालय वल्लभ भवन में भी आउटसोर्स व्यवस्था ने जड़ें जमा ली हैं।
विभागों की गोपनीयता, अहम दस्तावेजों की सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहे हैं। प्रदेश भर में कर्मचारियों की जरूरत है। विभागों में हजारों पद खाली पड़े हैं। हर माह विभागों से कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं इसके बावजूद सरकार चंद पदों पर नियुक्तियां निकाल रही हैं। इसका असर विभागों के काम-काज पर नजर आ रहा है।
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कंपनियों को शोषण के लिए छोड़ा
आउटसोर्स व्यवस्था अब इतनी हावी हो चुकी है कि तहसील और विकासखंड स्तर पर चलने वाले सरकारी काम-काजों के लिए अधिकारी पूरी तरह कंपनी के कर्मचारियों पर आश्रित हैं। सरकार अपने ही प्रदेश की युवा शक्ति को कंपनियों के शोषण का शिकार बना रही है। बिजली कंपनी में आउटसोर्स कर्मचारियों से बिना सुरक्षा साधन उपलब्ध कराए जोखिम भरे काम कराए जा रहे हैं।
आगर मालवा जिले के सुसनेर में आउटसोर्स कर्मचारी लखन बैरागी 24 की करंट लगने से मौत होने के बाद कंपनी ने पल्ला झाड़ लिया था। लखन को बिजली के खंभे पर काम कराने के लिए न तो हेलमेट दिया गया था न ही रबर के दास्ताने दिए गए थे। सीहोर जिले में बिजली की लाइन सुधारते समय आउटसोर्सकर्मी विजय कुमार की जान करंट लगने से चली गई थी।
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भगवान भरोसे बिजली आउटसोर्स कर्मचारी
बीते एक साल में 50 से ज्यादा आउटसोर्स बिजलीकर्मियों की मौत हादसों की वजह से हुई लेकिन कंपनियां ने उनके इलाज में भी मदद नहीं की। जबकि इनकी सुरक्षा का दायित्व कंपनियों का था। आउटसोर्स कंपनियों के माध्यम से मध्य प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा कर्मचारी विभागों के लिए काम कर रहे हैं।
सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए युवाओं को कंपनियों के भरोसे छोड़ दिया है। ये कर्मचारी अब भी काम तो सरकार के विभागों के लिए कर रहे हैं लेकिन उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी किसी की नहीं है। कलेक्टर रेट से भी ज्यादा राशि लेकर कंपनियां आउटसोर्सकर्मियों को मामूली वेतन दे रही हैं।
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बैंकिंग आउटसोर्सकर्मी हुए एकजुट
आउटसोर्स कंपनियां का दखल अब बैंकिंग सेक्टर तक आ गया है। अब तक केंद्र सरकार के जनधन, मनरेगा जैसे बैंक खातों का संचालन जिन कियोस्क के माध्यम से हो रहा था अब सरकार ने उनके और बैंकों के बीच भी कंपनियों को खड़ा कर दिया है। कियोस्क चलाने वाले बैंक मित्र अब खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं क्योंकि आउटसोर्स कंपनी एनआईसीटी ने इसी माह इन बैंक मित्रों के खातों से बिना बताए चार- चार हजार रुपए उड़ा लिए हैं।
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आउटसोर्स के खिलाफ आंदोलन
प्रदेश में पंचायत से लेकर तहसील और राजधानी स्तर तक सरकारी कार्यालयों में आउटसोर्स कंपनियों का अतिक्रमण बढ़ने से युवा सरकारी नौकरियों से दूर हो रहे हैं। आउटसोर्स कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा का कहना है अब प्रदेश के आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ बैंकिग क्षेत्र में काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारी भी आंदोलन में शामिल हो गए हैं। सरकार को आउटसोर्स व्यवस्था की खामियों और भविष्य में प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे को हो रहे नुकसान की ओर ध्यान खींचने 12 अक्टूबर को बड़े आंदोलन की तैयार हो गई है। सरकार युवाओं का हक छीन रही है जो उसकी ही सेहत के लिए ठीक नहीं है।