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पूरी खबर को 5 पॉइंट में समझें-
- एमपी में बनेंगी 50 नई आधुनिक स्वावलंबी गोशालाएं बनेगी।
- सरकार ने अगले 2 साल में सड़कों से गाय को हटाने का लक्ष्य रखा है।
- हर गाय के कंधे पर डिजिटल मेटेलिक चिप लगेगी।
- सिर्फ 50 गोशालाओं की निगरानी मंत्री और बड़े अफसर करेंगे ।
- अज्ञात नस्ल की गायों की नस्ल का सुधार भी किया जाएगा।
सड़कों पर भटकती गाय
मध्य प्रदेश की सड़कों पर अक्सर बेसहारा गाय घूमती नजर आती हैं। इससे न केवल गाय को कष्ट होता है, बल्कि दुर्घटनाएं भी बढ़ती हैं। अब राज्य सरकार ने इस समस्या का समाधान ढूंढ लिया है। पशुपालन विभाग जल्द ही प्रदेश में 50 नई स्वावलंबी गोशालाएं खोलने जा रहा है। सरकार का मुख्य लक्ष्य अगले दो वर्षों में सड़कों को गाय से मुक्त करना है।
स्वावलंबी गोशालाएं का मतलब, जो गाय के रखरखाव के लिए सरकारी मदद पर निर्भर नहीं रहतीं। गोबर और गोमूत्र से खाद, फिनाइल या सीएनजी जैसे उत्पाद बनाकर अपनी कमाई खुद करती हैं।
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5 हजार गाय के रहने का होगा इंतजाम
पशुपालन एवं डेयरी विभाग के पशुपालन मंत्री लखन पटेल ने हाल ही में विभाग की उपलब्धियां बताईं। उन्होंने कहा कि इन आधुनिक गोशालाओं की क्षमता बहुत अधिक होगी। एक गोशाला में कम से कम 5 हजार गाय को रखा जा सकेगा। वर्तमान में 20 गोशालाओं के लिए टेंडर की प्रोसेस भी शुरू हो चुकी है। यह कदम बेसहारा गोवंश को सुरक्षित छत देने के लिए उठाया गया है।
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चिप से होगी गाय की निगरानी
अक्सर शिकायत आती है कि गोशालाएं सिर्फ डॉक्यूमेंट पर चलती हैं। इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार हाई-टेक सिस्टम अपना रही है। इन 50 आधुनिक गोशालाओं में रहने वाली हर गाय को एक डिजिटल चिप लगाई जाएगी। यह मेटेलिक चिप गाय के कंधे के पास इंजेक्ट की जाएगी। इससे आसानी से जान सकेंगे कि गाय गोशाला में है या कहीं बाहर।
चिप में होगा पूरा बायोडाटा
यह चिप किसी आधार कार्ड की तरह काम करेगी। इसमें गाय की नस्ल, उसकी उम्र और गोशाला आने की तारीख रजिस्टर होगी। अधिकारी हैंड हेल्ड डिवाइस से यह डेटा सॉफ्टवेयर पर अपलोड करेंगे। इससे मुख्यालय में बैठे अधिकारी भी गाय की सही संख्या देख सकेंगे। अब कोई भी गोशाला संचालक गायों की संख्या को लेकर झूठ नहीं बोल पाएगा।
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गाय की नस्ल का होगा सुधार
मध्यप्रदेश में करीब 10 लाख बेसहारा गाय हैं। इनमें से ज्यादातर अज्ञात नस्ल की होती हैं। अपर मुख्य सचिव उमाकांत उमराव ने बताया कि विभाग अब नस्ल सुधार पर काम करेगा। इसके तहत अज्ञात नस्ल के बैलों का बंध्याकरण किया जाएगा। वहीं, गाय की ब्रीडिंग उच्च नस्ल के बैल से कराई जाएगी। इससे आने वाली पीढ़ी बेहतर और दुधारू नस्ल की पैदा होगी।
दो साल में बदल जाएगी प्रदेश की सूरत
मंत्री लखन पटेल ने कहा कि दो साल में सड़कों का नजारा बदलेगा। अभी प्रदेश में लगभग 3 हजार छोटी-बड़ी गोशालाएं संचालित हो रही हैं। हालांकि, उनकी निगरानी करना विभाग के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण काम रहा है। ये 50 नई गोशालाएं पूरी तरह सरकार और तकनीक की निगरानी में रहेंगी। मंत्री और बड़े अधिकारी खुद समय-समय पर वहां जाकर निरीक्षण करेंगे।
आत्मनिर्भर बनेंगी ये नई गोशालाएं
इन गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। यहां गोबर और गौमूत्र से विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाएंगे। इससे होने वाली कमाई से गोशाला का खर्च निकाला जाएगा। इससे सरकार पर आर्थिक बोझ कम होगा और गाय की सेवा भी बेहतर होगी।
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