पंचायतें ठेके पर, अब अस्पतालों की बारी, कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने उठाए पीपीपी मॉडल पर सवाल

केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बैतूल कार्यक्रम विकास कार्यों की सौगात दी। कांग्रेस ने सरकारी संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने का आरोप लगाया। जीतू पटवारी ने सरकार के PPP मॉडल पर सवाल उठाए।

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Ramanand Tiwari
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Congress President Jitu Patwari raised questions on PPP model

Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर एक बार फिर राजनीतिक टकराव तेज हो गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने धार और बैतूल में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेजों का भूमिपूजन किया। यह मेडिकल कॉलेज पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर बनाए जाना है। 

इस आयोजन के तुरंत बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आयोजन पर सवाल उठा दिए। उन्होंने सरकार पर सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों को निजी हाथों में सौंपने का आरोप लगाते हुए विरोध दर्ज कराया।

‘पंचायतें ठेके पर, अब अस्पतालों की बारी’

भोपाल में बोलते हुए जीतू पटवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश की करीब तीन हजार पंचायतें पहले ही ठेके पर जा चुकी हैं।उन्होंने कहा कि सरपंच तो चुना जाता है, लेकिन बाद में एक निजी संस्था पंचायत को सालाना 25 लाख रुपये देने का प्रस्ताव रखती है।

बदले में पूरा प्रशासन अपने हिसाब से चलाती है। पटवारी ने कहा कि जमीनी रिसर्च करने पर इसकी सच्चाई सामने आ जाएगी।

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पीपीपी मॉडल पर उठे गंभीर सवाल

जीतू पटवारी ने कहा कि जिस तरह पंचायतें निजी संस्थाओं के हवाले की जा रही हैं, उसी तरह अब जिला अस्पताल भी ठेके पर दिए जा रहे हैं।

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कहीं ऐसा न हो कि भविष्य में मंत्रालय भी ठेके पर चलने लगें और एक दिन मुख्यमंत्री खुद कह दें कि मुझे भी पीपीपी मॉडल पर ले लो।

चार जिला अस्पताल निजी संस्थाओं को देने का आरोप

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि सरकार ने चार जिला अस्पताल निजी संस्थाओं को सौंप दिए हैं। उन्होंने इसे फैसलों की पारदर्शिता पर सवाल बताते हुए कहा कि जैसे मुख्यमंत्री “पर्ची से” आए, वैसे ही ऊपर से पर्ची आई और चार अस्पताल दे दिए गए।

पटवारी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि सरकार कहती है अस्पताल तो सरकारी रहेंगे, दूसरे आएंगे, अपने लोगों का फ्री इलाज करेंगे। काम भी वही करेंगे और इलाज भी उन्हीं का होगा। ऐसे में ताली बजाने और अभिनंदन करने को कहा जा रहा है।

प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में फ्री इलाज पर सवाल

जीतू पटवारी ने कहा कि मध्य प्रदेश के सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में सौ बेड पर मुफ्त इलाज अनिवार्य है। यह नियम है, लेकिन हकीकत में इसका पालन कहीं नहीं हो रहा।

उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि प्रदेश में एक भी ऐसा प्राइवेट मेडिकल कॉलेज बता दिया जाए, जहां सौ बेड पर वास्तव में मुफ्त इलाज मिल रहा हो।

मेडिकल कॉलेजों की जमीनी पड़ताल की तैयारी

पटवारी ने ऐलान किया कि कांग्रेस पार्टी पूरे मध्य प्रदेश में आठ दिन का अभियान चलाएगी। इस दौरान पार्टी के कार्यकर्ता और नेता मेडिकल कॉलेजों में जाकर यह जांच करेंगे कि सौ बेड पर मुफ्त इलाज मिल रहा है या नहीं।
उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में ऐसा एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं मिलेगा, जहां यह व्यवस्था सही तरीके से लागू हो।

‘कर्ज का उत्सव, संपत्तियों की बिक्री’

जीतू पटवारी ने कहा कि सरकार कर्ज लेकर उसका उत्सव मना रही है और बदले में जनता की संपत्तियां बेची जा रही हैं। उन्होंने सीरप से बच्चों की मौतों का जिक्र करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के लोगों को अब सच समझना होगा।

सरकार पर गंभीर लापरवाही का आरोप

कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं आपातकाल जैसी स्थिति में पहुंच चुकी हैं, जबकि मुख्यमंत्री स्वागत और अभिनंदन में व्यस्त हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने कर्ज लिया और उसका जश्न मनाया, तो आने वाले समय में कांग्रेस सरकार बनने पर उसी कर्ज का बोझ चुकाना पड़ेगा।

स्वास्थ्य ढांचा कांग्रेस की देन

जीतू पटवारी ने दावा किया कि मध्य प्रदेश की मेडिकल और स्वास्थ्य सेवाएं कांग्रेस सरकारों ने खड़ी की हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने जो मेडिकल कॉलेज बनाए हैं, उनमें न तो पूरी मशीनें हैं और न ही जरूरी उपकरण।

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एक साल में दो बार जांच कैसे?

पटवारी ने साइंस हाउस से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकारी पैसे से मुफ्त जांच की बात हुई थी। विधानसभा में जयवर्धन सिंह के सवाल के जवाब में बताया गया कि एक साल में 14 करोड़ से ज्यादा जांचें हुईं। जबकि प्रदेश की आबादी साढ़े सात करोड़ है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या एक ही व्यक्ति की साल में दो-दो बार जांच कर दी गई?

एक ही समूह को चार अस्पताल देने का आरोप

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि मोहन सरकार ने एक ही समूह से जुड़ी दो संस्थाओं को चार जिला अस्पताल सौंप दिए हैं। उन्होंने कहा कि देश के स्वास्थ्य मंत्री और राज्य सरकार जनता की पोषित संपत्तियों को निजी हाथों में दे रही है। जो बेहद गंभीर सवाल खड़े करता है।

मध्य प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को लेकर सरकार और कांग्रेस आमने-सामने हैं। एक ओर सरकार इसे विकास का मॉडल बता रही है। कांग्रेस इसे सरकारी स्वास्थ्य ढांचे के निजीकरण की शुरुआत करार दे रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा और सियासी गर्मी बढ़ा सकता है।

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