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Photograph: (THESOOTR)
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 ( civil judge recruitment 2022 ), बैकलॉग पदों के चलते विवादों में घिरी हुई है। हाईकोर्ट ने इस भर्ती परीक्षा के इंटरव्यू का रिजल्ट जारी करने करने के आदेश दिए हैं।
भर्ती प्रक्रिया में प्रथम दृष्टया गंभीर अनियमितताएं पाते हुए यह स्पष्ट किया कि सभी नियुक्तियां याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेंगी। मामला अब आगामी 21 नवंबर को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
अनारक्षित वर्ग के 17 बैकलॉग पदों पर आपत्ति
एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस द्वारा दायर जनहित याचिका क्रमांक 40833/2024 में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने सिविल जज भर्ती 2022 में अनारक्षित वर्ग के 17 बैकलॉग पद विज्ञापित कर नियमों का उल्लंघन किया है।
नियमानुसार, बैकलॉग (backlog) केवल आरक्षित वर्ग के लिए होते हैं, जबकि अनारक्षित वर्ग के लिए बैकलॉग का कोई प्रावधान नहीं है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकीलों ने भर्ती नियम 1994 में 22 जून 2023 को किए गए संशोधन को भी चुनौती दी है, विशेष रूप से नियम 5(4) की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए गए हैं।
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एससी-एसटी वर्ग को नहीं मिला प्रतिनिधित्व
भर्ती प्रक्रिया को लेकर सबसे बड़ा विवाद यह है कि 199 पदों में से रिजल्ट जारी होने पर एक भी एसटी अभ्यर्थी का चयन नहीं हुआ। वहीं एससी वर्ग के 18 पदों में से मात्र 3 अभ्यर्थी सफल पाए गए। यह स्थिति तब है जब सिविल जज जैसी भर्ती में हाईकोर्ट स्वयं 100 प्रतिशत आरक्षण नीति लागू करता है । जिसमें 50% अनारक्षित, 14% ओबीसी, 16% एससी और 20% एसटी का अनुपात निर्धारित है।
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सुप्रीम कोर्ट दे चुका है रिजल्ट जारी करने का आदेश
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सिविल जज भर्ती 2022 में तीन वर्ष व्यतीत होने के बाद भी नियुक्तियां नहीं हो सकी हैं। प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के तीनों चरण पूरे होने के बावजूद कुल 199 पदों में से मात्र 79 अभ्यर्थी ही योग्य पाए गए, जिनमें ओबीसी के 15, एससी के 3 और एसटी के 0 उम्मीदवार शामिल हैं। यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा है और सुप्रीम कोर्ट ने इंटरव्यू रिजल्ट यथाशीघ्र जारी करने का आदेश दे दिया है।
याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच के समक्ष हुई, जिन्होंने याचिका में उठाए गए मुद्दों को गंभीर और महत्वपूर्ण मानते हुए कहा कि नियुक्ति आदेश फिलहाल याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन जारी किए जाएंगे।
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वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने दी दलीलें
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, अधिवक्ता पुष्पेंद्र कुमार शाह और परमानंद साहू ने पैरवी की। उन्होंने तर्क दिया कि वेकलॉग आरक्षण, संविधान के अनुच्छेद 16(4-A) तथा सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के विपरीत लागू किया गया है, जिससे सामाजिक न्याय और समान अवसर की भावना को ठेस पहुंची है।
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अगली सुनवाई 21 नवंबर को
हाईकोर्ट ने इस मामले को 21 नवंबर 2025 को अंतिम बहस के लिए सूचीबद्ध किया है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट आदेश का भी उल्लेख किया, जिसमें लंबित भर्ती प्रक्रियाओं को शीघ्र संपन्न करने के निर्देश दिए गए हैं, परंतु साथ ही यह स्पष्ट किया कि इस भर्ती में की जाने वाली कोई भी नियुक्ति अंतिम निर्णय के अधीन ही रहेगी।
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