जर्जर सड़कों पर हाईकोर्ट का नोटिस, केंद्र सहित राज्य और कई विभागों को स्थिति सुधारने के निर्देश

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश की जर्जर सड़कों और बढ़ते सड़क हादसों को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों सहित कई विभागों को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया और 15 दिसंबर को अगली सुनवाई तय की।

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Neel Tiwari
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Photograph: (THESOOTR)

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मध्य प्रदेश की टूटी-फूटी और गड्ढों से भरी सड़कों का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार सहित कई विभागों को हाईकोर्ट का नोटिस जारी किया है। 

कोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि सभी पक्ष दो सप्ताह के भीतर यह बताएं कि प्रदेश की सड़कों को सुधारने और हादसों पर नियंत्रण के लिए अब तक क्या ठोस कदम उठाए गए हैं।

इंदौर के रिटायर कर्मचारी ने दायर की याचिका

यह मामला इंदौर के निवासी और सेवानिवृत्त कर्मचारी राजेंद्र सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका से जुड़ा है। उनकी ओर से अधिवक्ता अभिनव मल्होत्रा ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका में बताया गया कि प्रदेश में 2023 में 5840 सड़क हादसे हुए थे जिसमें की 2161 मौतें भी हुईं। यह आंकड़े 2022 के मुकाबले 31.4 फीसदी ज्यादा हैं।

याचिका में प्रदेशभर की जर्जर सड़कों का मुद्दा उठाते हुए कहा गया कि गड्ढों के कारण प्रतिदिन सड़क हादसों में लोगों की जान जा रही है, परंतु जिम्मेदार विभाग लापरवाह बने हुए हैं।

याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि सड़क हादसों और मौतों की संख्या के मामले में मध्य प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर पहुंच चुका है। यह स्थिति की भयावहता को दर्शाता है। उन्होंने कोर्ट से मांग की कि सड़कों के रखरखाव और निर्माण में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।

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केंद्र, राज्य और कई विभागों को नोटिस

हाईकोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कई प्रमुख एजेंसियों और सरकारी विभागों को जवाब देने के लिए नोटिस जारी किए हैं। इनमें-

  • भारत सरकार।
  • मध्य प्रदेश राज्य सरकार।
  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)।
  • मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम (MPRDC)।
  • मध्य प्रदेश ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण (MPRRDA)।
  • और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग शामिल हैं।

सभी को निर्देश दिया गया है कि वे दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट पेश करें, जिसमें बताया जाए कि सड़कों की स्थिति सुधारने और हादसों को रोकने के लिए क्या ठोस प्रयास किए गए हैं।

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हाईकोर्ट ने जताई चिंता

यह सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजन बेंच में हुई। कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की कि सड़कों की खराब हालत अब जनजीवन और सुरक्षा दोनों पर असर डाल रही है। कोर्ट में यह मामला पहुंचने से उम्मीद है कि अब इस लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को तय की गई है।

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जनता को राहत की उम्मीद

हाईकोर्ट के इस सख्त रुख से आम लोगों में उम्मीद जगी है कि अब सरकार और संबंधित विभाग सड़क रखरखाव के प्रति गंभीर होंगे। प्रदेश में मानसून के बाद से कई जिलों में सड़कें गड्ढों में तब्दील हो चुकी हैं, जिससे हर दिन हादसे हो रहे हैं। अदालत की यह पहल न केवल जिम्मेदारियों को तय करेगी बल्कि आने वाले दिनों में सड़क सुरक्षा को लेकर ठोस सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।

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