इंदौर ट्रक हादसाः क्या किए सुरक्षा उपाय, इंदौर पुलिस कमिश्नर हाईकोर्ट में देंगे जवाब

इंदौर में तेज रफ्तार ट्रक से हादसे पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। ट्रक नो एंट्री में घुसा था और राहगीरों-गाड़ियों को टक्कर मारी थी। हादसे में तीन लोगों की मौत और 35 लोग घायल हुए थे।

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Neel Tiwari
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Photograph: (The Sootr)

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JABALPUR. इंदौर में कुछ दिन पहले एक तेज रफ्तार ट्रक ने कई लोगों को कुचल दिया था। इस हादसे पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया है। दरअसल इंदौर शहर में कुछ दिनों पहले एक ट्रक अचानक नो एंट्री में घुस गया था।

ट्रक ने रास्ते में खड़ी गाड़ियों और राहगीरों को टक्कर मार दी थी। इस घटना में तीन लोगों की मौत हो गई थी और करीब 35 लोग घायल हुए थे। इस घटना पर हाईकोर्ट ने इंदौर पुलिस कमिश्नर से जवाब मांगा है।

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हाईकोर्ट ने लिया है स्वतः संज्ञान

इंदौर ट्रक हादसे को लेकर कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई में पूछा था कि आखिर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई। जब उस इलाके में भारी वाहनों का आना मना है, तो ट्रक वहां पहुंचा कैसे। कोर्ट ने यह भी पूछा कि पुलिस ने समय रहते ट्रक को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की।

पुलिस कमिश्नर देंगे अब तक उठाए कदमों की जानकारी

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। इस मामले में अधिवक्ता विवेक शर्मा को Amicus Curiae नियुक्त किया गया है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि हादसे के बाद भी अब तक उचित प्रबंधन के कदम नहीं उठाए गए है।

हाईकोर्ट ने इंदौर के पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह को 19 नवंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए फिर से पेश होने के आदेश दिए हैं। दोपहर 3:30 बजे पर कमिश्नर को बताना होगा कि इस हादसे के बाद क्या कदम उठाए गए। कोर्ट ने कहा कि शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को ठीक करने के लिए ठोस कार्रवाई की जाए। साथ ही सरकार से कहा गया कि वह हादसों को रोकने के लिए नया प्लान तैयार करे।

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आठ पुलिस अधिकारी हुए थे निलंबित

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हादसे के बाद तुरंत एक्शन लिया था। सरकार ने आठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। मृतकों के परिवारों को 4 लाख रुपए और घायलों को 1 लाख रुपए की मदद दी गई थी। घायलों का इलाज सरकार के खर्चे पर कराया जा रहा है।

लोगों का सवाल- क्यों नहीं होती कार्रवाई

हादसे के बाद लोगों में गुस्सा है कि ऐसे ट्रक शहर के बीचों-बीच कैसे आ जाते हैं। रोजाना सड़कों पर भारी वाहन दिखाई देते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती। लोगों का कहना है कि अगर पहले ध्यान दिया जाता, तो यह हादसा नहीं होता।

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हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

कोर्ट ने पहले ही कहा था कि यह सिर्फ एक हादसा नहीं बल्कि पुलिस की बड़ी लापरवाही है। अब कोर्ट यह देखेगा कि पुलिस ने पिछले आदेशों का पालन किया या नहीं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कहा कि लोगों की जान की सुरक्षा सरकार की जिम्मेदारी है। अगर अगली सुनवाई तक सही रिपोर्ट नहीं आई, तो सख्त आदेश दिए जाएंगे।

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विशेष निगरानी टीम बनाए जाने का मिला सुझाव

कोर्ट में न्याय मित्र ने सुझाव दिया है कि शहर के संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। साथ ही ट्रैफिक नियंत्रण के लिए विशेष निगरानी टीम बनाई जाए। यह कदम भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने की दिशा में अहम साबित हो सकता है। कोर्ट ने Amicus Curiae के सुझावों को भी अमल में लाने के लिए निर्देश दिए है।

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