मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य बार काउंसिल को उन 6 हजार लॉ ग्रेजुएट्स के नामांकन लंबित रखने के लिए नोटिस जारी किया है, जिनके नामांकन पिछले चार महीने से अटके हुए हैं। हाईकोर्ट ने 26 नवंबर को इस मामले की अगली सुनवाई तय की है।
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क्या है पूरा मामला
याचिका के अनुसार, राज्य बार काउंसिल की निष्क्रियता के कारण हजारों लॉ ग्रेजुएट्स अपने पेशेवर करियर (professional career) में प्रगति नहीं कर पा रहे हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि नामांकन प्रक्रिया में देरी संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) का उल्लंघन करती है, जो रोजगार का अधिकार देता है। इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से राज्य बार काउंसिल को नामांकन समिति की बैठक जल्द से जल्द बुलाने का निर्देश देने की मांग की गई है।
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खास-खास बिंदुओं से जानें पूरा मामला-
• हाईकोर्ट का नोटिस (High Court Notice): मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य बार काउंसिल को नोटिस जारी किया है किक्यों 6,000 लॉ ग्रेजुएट्स का नामांकन अभी तक लंबित है।
• याचिका का उद्देश्य (Purpose of Petition): याचिका में बार काउंसिल की निष्क्रियता को चुनौती दी गई है और कहा गया है कि इससे हजारों लॉ ग्रेजुएट्स के पेशेवर उन्नति में बाधा उत्पन्न हो रही है।
• संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन (Violation of Constitutional Rights): याचिकाकर्ता का दावा है कि नामांकन प्रक्रिया में देरी अनुच्छेद 19(1)(g) के अंतर्गत उनके अधिकारों का उल्लंघन है।
• प्रोसेसिंग में देरी (Delay in Processing): पिछली बार 29 जुलाई, 2024 को नामांकन समिति की बैठक हुई थी और तब से अब तक कोई नई बैठक नहीं हुई।
• न्यायिक सेवा के उम्मीदवारों पर प्रभाव (Impact on Judicial Service Candidates): नामांकन में देरी से न्यायिक सेवा के योग्य उम्मीदवारों की संख्या पर भी प्रभाव पड़ रहा है, क्योंकि परीक्षा के लिए तीन साल की कानूनी प्रैक्टिस (legal practice) आवश्यक है।
FAQ
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