मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल के पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वह राजस्थान के एक व्यक्ति को कथित तौर पर अवैध हिरासत में रखने के मामले में 7 दिनों के भीतर हलफनामा दाखिल करें। यह आदेश एमपी हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया है, जिसे भोपाल क्राइम ब्रांच द्वारा अवैध रूप से हिरासत में रखने का आरोप है।
CCTV फुटेज संरक्षित करने का निर्देश
हाईकोर्ट ने इस मामले में भोपाल में स्थित एमपी नगर की क्राइम ब्रांच यूनिट को 4 से 9 दिसंबर 2024 तक के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने का आदेश दिया है। इसे एक पेन ड्राइव में जमा करने के लिए भी कहा गया है। यह कदम मामले की जांच में मदद के लिए उठाया गया है और इसे अंतरिम उपाय के रूप में लागू किया गया है।
राजाराम की याचिका और आरोप
यह मामला राजस्थान के बीकानेर निवासी राजाराम द्वारा दायर की गई याचिका से जुड़ा है। राजाराम ने आरोप लगाया है कि उसे 4 से 8 दिसंबर तक भोपाल क्राइम ब्रांच ने अवैध रूप से उसे हिरासत में रखा था। उसकी शिकायत के मुताबिक, उसके खिलाफ झूठी FIR दर्ज की गई थी और उसे रुपए की मांग करने के लिए दबाव डाला गया था।
18 लाख रुपए की मांग और धमकियां
राजाराम के वकील सत्यम अग्रवाल के मुताबिक, चार पुलिस अधिकारियों ने राजाराम से 18 लाख रुपए की मांग की थी। इसके बाद, राजाराम को यह धमकी दी गई कि अगर उसने रकम नहीं दी, तो उसके खिलाफ फर्जी FIR दर्ज की जाएगी और उसके परिवार को नुकसान पहुंचाया जाएगा। वकील ने यह भी बताया कि इन अधिकारियों ने राजाराम के विरोध करने पर उसे छोड़ा था।
पुलिस अधिकारियों की पहचान
राजाराम ने इन चार पुलिस अधिकारियों की पहचान दिलीप बॉक्सर, जुबेर पठान, जीतू और प्रतीक के रूप में की है। याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से मांग की है कि इन अधिकारियों की पहचान सार्वजनिक की जाए ताकि उन्हें याचिका में पक्षकार बनाया जा सके और मामले की जांच की जा सके।
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