प्रतिष्ठित व्यास सम्मान से विभूषित और जाने माने साहित्यकार डॉ. शरद पगारे का निधन

प्रतिष्ठित व्यास सम्मान से विभूषित देश के जाने माने उपन्यास एवं कथाकार डॉ. शरद पगारे का निधन हो गया। उन्होनें 93 साल का आयु में अंतिम सांस ली। डॉ. पगारे के निधन से साहित्यजगत में एक बड़ी हानि हुई है।

Advertisment
author-image
Sanjay gupta
New Update
MP Indore literary writer Dr Sharad Pagare passes away
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

INDORE. साहित्य जगत से एक बुरी खबर आई है। प्रतिष्ठित व्यास सम्मान से विभूषित देश के जाने माने ऐतिहासिक उपन्यास एवं कथाकार और शहर के जाने माने पत्रकार व लेखक प्रोफेसर सुशीम पगारे के पिता डॉ. शरद पगारे का शुक्रवार की रात निधन हो गया। वे 93 साल के थे। डॉ. पगारे के निधन से साहित्यजगत में एक बड़ी हानि हुई है। उनकी अंतिम यात्रा शनिवार 29 जून की सुबह उनके निवास स्थान से निकली जाएगी। जो जूनी इंदौर रीजनल पार्क मुक्तिधाम पर जाएगी जहां दोपहर 12 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

रिटायरमेंट के बाद स्वतंत्र लेखन कर रहे थे डॉ. पगारे

साहित्यकार और इतिहासकार डॉ. शरद पगारे शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन में संलग्न थे। शिल्पकर्ण विश्वविद्यालय, बैंकाक में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं देने वाले डॉ. पगारे वे मध्य प्रदेश के पहले साहित्यकार हैं, जिन्हें देश के प्रतिष्ठित 'व्यास सम्मान से विभूषित किया गया।

65 सालों से लेखन में लगे थे डॉ. पगारे

कुछ समय पहले साहित्य क्षेत्र के अत्यंत प्रतिष्ठापूर्ण 'व्यास सम्मान' से विभूषित देश के जाने-माने ऐतिहासिक उपन्यासकार और कथाकार शरद पगारे लगभग 65 सालों से अनवरत लेखन कर रहे थे। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. पगारे ने इतिहास के अंधेरे में खोए हुए चरित्रों को साहित्य के माध्यम से सामने लाकर ऐतिहासिक उपन्यासों के क्षेत्र में लीक से हटकर लेखन किया है और एक नयी जमीन तैयार की है।

ये खबर भी पढ़ें...MP में मौत के सवा महीने बाद पुलिसकर्मी को मिला प्रमोशन , जानें हैरान करने वाला पूरा मामला

खंडवा में हुआ था जन्म

मध्य प्रदेश के खंडवा में 5 जुलाई 1931 को जन्मे शरद पगारे इतिहास में एमए, पीएचडी हैं। मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में इतिहास के प्रोफेसर के रूप में तीन से अधिक दशकों तक अध्यापन रिसर्च के साथ ही ऐतिहासिक एवं साहित्यिक कथाओं व उपन्यासों का नियमित लेखन किया। साल 1987-88 में रोटरी इंटरनेशनल इल्योंनाय अमेरिका द्वारा विश्व से दस चयनित प्रोफेसरों में डॉ. शरद पगारे को विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में शिल्पकर्ण विश्वविद्यालय बैंकॉक, थाईलैंड में अध्यापन के लिए भेजा गया था।

ये खबर भी पढ़ें... MP : पहली पत्नी से तंग आकर की लव मैरिज , फिर दोनों से परेशान होकर भजन गायक ने लगाई फांसी , जानें पूरा मामला

प्रमुख रचनाएं

उपन्यास : शाहजहाँ प्रेमिका गुलारा बेगम (11 संस्करणों में प्रकाशित, मराठी, गुजराती, उर्दू, मलयालम, पंजाबी में प्रकाशित) औरंगजेब महबूबा बेगम जैनाबादी (6 संस्करणों में प्रकाशित मराठी में प्रकाशन तथा दिल्ली के क्षितिज थिएटर ग्रुप द्वारा नाट्य रूपान्तर एवं 10-11 नवंबर 2011 को श्रीराम सेंटर, मण्डी हाउस, नवी दिल्ली में मंचन), गन्धर्वसेन (मराठी में प्रकाशन), पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी (तीन संस्करण, वाणी प्रकाशन) उजाले की तलाश, जिन्दगी के बदलते रूप (तीन संस्करण, मराठी में अनूदित) आदि।

ये खबर भी पढ़ें... Chhattisgarh : एसीबी ने 4 हजार की रिश्वत लेते पटवारी को रंगे हाथ पकड़ा , किसान से इसलिए मांगी थी घूस

कहानी संग्रह: नारी के रूप, एक मुट्ठी ममता, सांध्य तारा, जिंदगी एक सलीब सी, दूसरा देवदास, भारत की श्रेष्ठ ऐतिहासिक प्रेमकथाएं, चंद्रमुखी का देवदास।

सम्मान और पुरस्कार: शरद पगारे अनेक सम्मानों एवं पुरस्कारों से अलंकृत हैं। जिनमें हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग का साहित्य वाचस्पति केके बिरला फाउंडेशन, दिल्ली का व्यास सम्मान (पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी), बालकृष्ण शर्मा नवीन सम्मान (पाटलिपुत्र की सम्राज्ञी), विश्वनाथ सिंह पुरस्कार (गुलारा बेगम) मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य का वागीश्वरी एवं दिव्य पुरस्कार, साहित्य शिरोमणि सारस्वत सम्मान आदि शामिल हैं।

ये खबर भी पढ़ें... दिल्ली और जबलपुर एयरपोर्ट हादसे को लेकर कांग्रेस का मोदी सरकार पर निशाना , प्रियंका गांधी ने पूछा- क्या PM लेंगे जिम्मेदारी?

इंदौर न्यूज,एमपी न्यूज

Madhya Pradesh एमपी न्यूज इंदौर न्यूज ख्या​ति साहित्यकार शरद पगारे Hindi News