BHOPAL. मध्यप्रदेश में कई सिंचाई परियोजनाओं की नए सिरे से समीक्षा की तैयारी कर ली गई है। सीएस अनुराग जैन ने पार्वती, छिंदवाड़ा कॉम्पलेक्स, गोंड सिंचाई और रतनगढ़ प्रोजेक्ट सहित अन्य परियोजनाओं पर चल रहे काम, भुगतान का भौतिक सत्यापन कराने के निर्देश भी दिए हैं। प्रदेश में परियोजनाओं की लेटलतीफी, भुगतान और टेंडर संबंधित अनियमितताओं की शिकायतों को देखते हुए इनका परीक्षण करेगा।
सिंचाई प्रोजेक्ट का काम जांचेंगे अफसर
प्रदेश में सिंचाई साधनों की उपलब्धता के लिए सरकार नई-नई परियोजनाओं को स्वीकृति दे रही है। प्रदेश में करीब 3736 करोड़ रुपए के 10 बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट चल रहे हैं। सरकार बड़ी और महत्वपूर्ण परियोजनाओं को इसी साल पूरा कराना चाहती है। इसको देखते हुए सीएस ने अपने स्तर पर इन परियोजनाओं पर जारी काम की जानकारी जुटाई है।
सीएस ने सिंचाई विभाग के तकनीकी अधिकारियों को इन परियोजनाओं के काम का भौतिक सत्यापन करने की जिम्मेदारी सौंपी है। सीएस अनुराग जैन ने प्रदेश में चल रही 36 हजार 705 करोड़ लागत की 38 सिंचाई परियोजनाओं की जानकारी भी ली है। सीएस ने इन परियोजनाओं को चार साल की टाइम लिमिट में पूरा करने के लिए निर्देश भी दिए हैं।
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निर्माण और भुगतान का होगा सत्यापन
जल संसाधन विभाग का पार्वती सिंचाई प्रोजेक्ट, छिंदवाड़ा कॉम्पलेक्स, रतनगढ़ प्रोजेक्ट, मुंझरी और चोटिखेड़ा सिंचाई परियोजना की समीक्षा में काम में देरी की बात सामने आई है। मेंटोना कंपनी जिस छिंदवाड़ा कॉम्पलेक्स इरीगेशन प्रोजेक्ट पर काम कर रही है उस पर पहले से ही विवाद खड़े होते रहे हैं।
मुंझरी और चोटिखेड़ा प्रोजेक्ट का अनुबंध करने वाली कंपनियों द्वारा तय अवधि में काम पूरा कर पाने पर भी शासन को संशय है। वहीं अन्य सभी सिंचाई परियोजनाओं पर जारी काम और विभाग से किए गए भुगतान का सत्यापन भी आने वाले दिनों में शासन करेगा।
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सीएस ने अपने हाथ में ली कमान
सिंचाई परियोजनाओं को निर्धारित समय में पूरा कराने सीएस अनुराग जैन ने मोर्चा संभाला है। सीएस ने 200 करोड़ की लागत वाली सिंचाई परियोजनाओं को टाइम लिमिट भी तय कर दी है। बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट प्रदेश में विकास की नई तस्वीर पेश कर पाएंगे इसलिए सरकार इन प्रोजेक्ट को आगामी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यानी 2028 में ही पूरा कराना चाहती है।
मध्यप्रदेश सरकार की इसी मंशा को देखते हुए सीएस जैन प्रदेश में सिंचाई परियोजनाओं के काम-काज पर ब्यौरा जुटाते हुए स्वयं उनकी निगरानी कर रहे हैं। वहीं जिन बांध निर्माण में अन्य विभाग या नियमों की उलझन बाधा बन रही है उन्हें दूर करने के निर्देश भी संबंधित अधिकारियों को दिए गए हैं।