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Jabalpur. मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर में स्थित 117 साल पुराने अंजुमन इस्लामिया इंग्लिश मीडियम स्कूल ने एक ऐसा आदेश जारी किया है जिसने शिक्षा जगत में चर्चा छेड़ दी है। स्कूल प्रबंधन ने पारंपरिक रविवार की छुट्टी को बदलते हुए अब शुक्रवार को अवकाश घोषित किया है।
वहीं रविवार को नियमित कक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। इस आदेश की जानकारी अभिभावकों को स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से दी गई। इसके बाद से इस पर विरोध और सवालों का दौर शुरू हो गया है।
जुम्मे की नमाज के कारण बदलनी पड़ी छुट्टी
स्कूल प्रबंधन का कहना है कि लंबे समय से शुक्रवार के दिन छात्रों की उपस्थिति बेहद कम रहती थी। इसके पीछे का कारण यह है कि अधिकांश विद्यार्थी जुम्मे की नमाज के लिए अवकाश लेते थे।
बार-बार की अनुपस्थिति के कारण शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हो रही थीं। इसलिए संस्था ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 से साप्ताहिक अवकाश को रविवार से बदलकर शुक्रवार करने का निर्णय लिया।
स्कूल प्रशासन का दावा है कि संस्था के अधीन आने वाले कुछ अन्य विद्यालयों में पहले से ही शुक्रवार अवकाश का प्रावधान लागू है।
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बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने जताया विरोध
अंजुमन इस्लामिया स्कूल के इस आदेश पर भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा ने कड़ी आपत्ति जताई है। मोर्चा नेताओं ने इसे तुगलकी फरमान बताया है। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि भारत में दशकों से रविवार अवकाश का नियम लागू है। इसे किसी निजी संस्था को बदलने का अधिकार नहीं है। उन्होंने जिला प्रशासन से इस आदेश को तत्काल निरस्त करने की मांग की है।
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जानकारी मिलने पर मांगा जाएगा जवाब- शिक्षा विभाग
जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने मीडिया से चर्चा में बताया कि उन्हें इस तरह के आदेश की कोई औपचारिक जानकारी नहीं थी। यदि विद्यालय ने वाकई शुक्रवार को अवकाश घोषित किया है, तो प्रबंधन से लिखित स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
उन्होंने कहा कि राज्य शिक्षा नियमों के तहत किसी भी स्कूल को अपने स्तर पर छुट्टी के दिन में बदलाव करने से पहले विभागीय अनुमति लेना आवश्यक है।
अभिभावक भी असमंजस में
अभिभावकों के अनुसार, इस फैसले से बच्चों की दिनचर्या और ट्यूशन शेड्यूल पूरी तरह बिगड़ जाएंगे। कई माता-पिता ने सवाल उठाया है कि जब सभी स्कूल रविवार को बंद रहते हैं, तो अंजुमन इस्लामिया के छात्र कैसे सामूहिक गतिविधियों या प्रतियोगिताओं में भाग ले सकेंगे। कुछ ने इस निर्णय को धार्मिक झुकाव वाला बताते हुए शासन से हस्तक्षेप की मांग की है।
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कानूनी और सामाजिक बहस की स्थिति
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या किसी निजी स्कूल को अपने स्तर पर साप्ताहिक अवकाश बदलने का अधिकार है? शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा निर्णय राज्य शिक्षा विभाग की अनुमति के बिना वैध नहीं ठहराया जा सकता।
वहीं, यह मुद्दा अब धार्मिक और सामाजिक विमर्श का विषय भी बन गया है। मौके पर तहसीलदार भी पहुंच चुके हैं। साथ ही, इस मामले का पटाक्षेप करने की कोशिश की जा रही है।
117 वर्ष पुराना अंजुमन इस्लामिया स्कूल अब शिक्षा से ज्यादा अपने नए आदेश को लेकर चर्चा में है। शुक्रवार की छुट्टी और रविवार को कक्षा का यह फैसला क्या प्रशासन के जरिए स्वीकृत किया जाएगा या विरोध के चलते वापस लिया जाएगा। अब यही देखने वाली बात होगी।
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