शराब महकमे के एक आदेश ने एमपी सरकार को लगाई 1200 करोड़ की चपत, जिम्मेदार कौन?

चंद ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए आबकारी अधिकारियों ने बड़ा कांड कर दिया है। एक आदेश से सरकार को करीब 1200 करोड़ रुपए की चपत लगी है। पूरा मामला शराब के ठेकों से जुड़ा है। 

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Ravi Kant Dixit
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मध्य प्रदेश में इन दिनों शराब दुकानों की नीलामी प्रक्रिया चल रही है। अब तक हुई नीलामी में करीब 90 फीसदी शराब दुकानों के ग्रुप नीलाम हो चुके हैं। 29 जिलों में सभी ग्रुप नीलाम हो गए हैं। हालांकि इस बार अब तक आठ जिले सिंगल ठेकेदार समूह को गए हैं। राजधानी भोपाल में चार ठेकेदारों को ही सभी दुकानें दी गई हैं। 31 मार्च तक सभी दुकानों की नीलामी प्रक्रिया पूरी होनी हैं। इस नीलामी प्रक्रिया के बीच आबकारी विभाग के एक आदेश ने विभाग से लेकर सरकार के स्तर तक खलबली मचा दी है। 

दरअसल, आबकारी विभाग ने 26 मार्च की आधी रात को आनन—फानन में एक आदेश निकाला कि जो शराब ठेके रिन्यू हो चुके हैं, उन्हें ही 26 मार्च के बाद शराब की सप्लाई की जाएगी। इस बीच जो ठेके रिन्यू नहीं हुए, उन्हें सप्लाई नहीं की जाएगी। अब इससे नुकसान यह हुआ कि 27 मार्च से 31 मार्च 2025 के बीच जो करीब एक हजार करोड़ रुपए की शराब उठनी थी, वह नहीं उठ पाएगी। साथ ही इससे सरकार को सीधे तौर पर करीब 200 करोड़ के राजस्व का नुकसान होगा। इसमें वैट टैक्स, परिवहन टैक्ट और अन्य तरह के टैक्स शामिल हैं। इस तरह से कुल 1200 करोड़ रुपए की चपत लग गई है। 

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सीएस से मिले ठेकेदार, तब खुलासा

 आबकारी विभाग के इस आदेश के बाद कुछ शराब ठेकेदारों ने भोपाल में चीफ सेक्रेटरी से मुलाकात की तो इस मामले का खुलासा हुआ। इस आदेश की खबर न तो विभागीय मंत्री को थी और ना ही पीएस को जानकारी थी। सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने भी इस प्रकरण में अपनी नाराजगी जाहिर की है। 

अब इस कांड को देखें तो ये आर्थिक अपराध है। किसी को पता ही नहीं है। बड़े अफसर मानो आंख मूंदें बैठे हैं। नीचे के स्तर पर खेल चल रहा है। सरकार को अंधेरे में रखकर ऐसे आदेश निकाले जा रहे हैं। 

यह है आबकारी विभाग का आदेश 

आबकारी विभाग के कमिश्नर के नाम से जारी आदेश में कहा गया है, 'पहले निर्देश दिया गया था कि ई-आबकारी पोर्टल पर शराब की मांग (डिमांड) बनाने की समय सीमा 27 मार्च 2025 रात 11:30 बजे तक और आपूर्ति की अंतिम तारीख 29 मार्च 2025 तक बढ़ा दी गई है। अब इस आदेश में बदलाव किया गया है। यह समय सीमा बढ़ाने की सुविधा केवल उन शराब दुकानों को मिलेगी, जिनके लाइसेंसधारकों ने वर्ष 2025-26 के लिए अपना लाइसेंस नवीनीकरण करा लिया है।

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क्यों निकाला गया ऐसा आदेश 

कुछ ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए यह आदेश निकाला गया। इसे उदाहरण से समझें तो मान लीजिए 'एक्स' के नाम पर कोई ठेका है। इसकी अवधि नियम अनुसार 31 मार्च तक है और 1 अप्रैल से ठेके नए सिरे से नीलाम होंगे। ज्यादातर बार क्या होता है कि शराब का स्टॉक बच जाता है। लिहाजा, बाजार में ठेकों से सस्ते में शराब बिकने लगती है। इसके बाद भी यदि स्टॉक बचता है तो ठेकेदार 'एक्स' वह स्टॉक कम दाम में या तो पड़ोसी जिले में ठिकाने लगाता है या फिर उसी ठेकेदार को दे देता है, जिसके नाम पर नए सिरे से ठेका अलॉट हुआ है। ऐसे में नुकसान होता है। इसी नुकसान को बचाने के लिए आबकारी ने इस तरह का आदेश निकाला और अब सरकार को चपत लगी है। 

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एक्सपर्ट व्यू 

पूर्व में आबकारी विभाग से जुड़े अफसर बताते हैं कि जो आदेश जारी किया गया है, नियम के अनुसार वह अवैधानिक है। नियम कहता है कि जब 1 अप्रैल से 31 मार्च की अवधि तक ठेके नीलाम किए गए हैं, तो उन्हें पांच देने पहले सप्लाई कैसे रोकी जा सकती है। यह पूरी तरह नियम विरुद्ध है। हां, यदि कोई अनियमितता है, कोई और गड़बड़ी के चलते लाइसेंस निरस्त किया गया या कोई और ठोस वजह है तो सप्लाई रोकी जा सकती है, लेकिन रिन्युअल के नाम पर सप्लाई रोकना नियमों के खिलाफ है।

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