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मध्यप्रदेश प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार एक बार फिर विवादों में आ गए हैं। शनिवार, 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर कई अलग-अलग जिलों में कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।
वहीं, एक कार्यक्रम में मंत्री परमार भी शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का दलाल कहा था। वहीं अब इस बयान को लेकर शिक्षा मंत्री ने माफी मांगी है।
राजा राममोहन राय को बताया अंग्रेजों का दलाल
मध्यप्रदेश के आगर मालवा में बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम में मंत्री परमार ने विवादित बयान दिया था। उन्होंने इस दौरान राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का दलाल बताया।
परमार ने कहा कि अंग्रेजी शासन भारतीयों की आस्था बदलने के लिए मिशनरी स्कूलों का इस्तेमाल कर रहा था। उनके अनुसार, राजा राममोहन राय भी इस साजिश का हिस्सा थे।
परमार ने यह भी कहा कि धर्मांतरण के खिलाफ सबसे बड़ा संघर्ष बिरसा मुंडा ने किया। उनका मानना था कि आदिवासी समाज को बचाने का श्रेय बिरसा मुंडा को जाता है।
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री ने पहले राजा राममोहन राय को बताया था अंग्रेजों का दलाल फिर बयान से पलटे मंत्री, बोले-मैं माफी मांगता हूं#MadhyaPradesh#Education#rajarammohanrao#statement#ministerpic.twitter.com/C3xUCco7zZ
— TheSootr (@TheSootr) November 16, 2025
मंत्री ने एक्स पर ट्वीट कर मांगी माफी
मंत्री परमार ने इस विवाद को लेकर अपनी सफाई देने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम के दौरान मुझसे गलती से राजा राममोहन राय के बारे में कुछ गलत शब्द निकल गए।
इसके लिए मैं दिल से दुखी हूं और प्रायश्चित करता हूं। राजा राममोहन राय हमारे इतिहास के महान समाज सुधारक थे। इनका मैं व्यक्तिगत रूप से सम्मान करता हूं।
प्रसिद्ध समाज सुधारक श्री राजा राम मोहन राय जी ने अपने काल में समाज सुधार का बहुत काम किया है।
— इन्दरसिंह परमार (@Indersinghsjp) November 16, 2025
उनके लिए त्रुटिवश निकले शब्दों पर, मुझे दुःख है।
मैं प्रायश्चित करता हूँ.. pic.twitter.com/HlKhNP80cN
मंत्री इंदर सिंह परमार के विवादित बयान की खबर पर एक नजर...
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मिशनरी स्कूलों के खिलाफ भी दिया बयान
वहीं इस दौरान परमार ने कहा कि अंग्रेजों के समय में मिशनरी स्कूल ही शिक्षा का एकमात्र साधन थे। इन स्कूलों में धर्मांतरण की गतिविधियां चलती थीं।
परमार ने बताया कि बिरसा मुंडा भी शिक्षा पाना चाहते थे। वहीं, मिशनरी गतिविधियां देखकर उन्होंने उन स्कूलों को छोड़ दिया। फिर वे अंग्रेजी शासन के खिलाफ आंदोलन में शामिल हो गए।
धर्मांतरण को मिला अंग्रेजों का समर्थन
मंत्री परमार ने कहा कि अंग्रेजों ने कुछ लोगों को समाज सुधारक बना दिया। उनका असली उद्देश्य धर्मांतरण बढ़ाना था। इसी का जिक्र करते हुए उन्होंने राजा राममोहन राय को अंग्रेजों का दलाल बताया था।
परमार का कहना था कि केवल बिरसा मुंडा ने धर्मांतरण को रोकने की कोशिश की। उन्होंने आदिवासी समाज को बचाने के लिए संघर्ष किया।
पिछली सरकारों पर हमला
परमार ने पिछली सरकारों पर भी हमला बोला और आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि पिछली सरकारों ने आदिवासी नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों का इतिहास दबाया था। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने धर्मांतरण के प्रयासों को बढ़ावा दिया, उन्हें महान बताया गया था। साथ ही, असली वीरों को छिपा दिया गया था।
साल 2025 को बताया खास
मंत्री परमार ने इस अवसर पर यह भी कहा कि साल 2025 एक ऐतिहासिक साल है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस साल बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती, सरदार पटेल की 150वीं जयंती और वंदे मातरम् के विशेष स्मरण का आयोजन हुआ। उन्होंने आदिवासी समाज के योगदान को भी सराहा। खासकर उनके वन संरक्षण के कार्य को सबसे अहम बताया।
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