MP में लापता बेटियों के मामले बढ़े, चार साल में 47 हजार बच्चियां हुईं गायब

मध्यप्रदेश में बीते साढ़े चार सालों में 47 हजार बेटियां गायब हुईं हैं। इंदौर शहर में सबसे ज्यादा लापता बच्चियां हैं। जानिए इस समस्या की जड़ और प्रभावित परिवारों की स्थिति।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (thesootr)

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मध्यप्रदेश में पिछले साढ़े चार सालों में 47 हजार बेटियां गायब हो चुकी हैं। विधानसभा में पूछे गए सवालों के जवाब में यह चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। इसके अलावा 11 हजार बेटे भी लापता हुए हैं।

खासकर इंदौर और धार जिले में गायब होने के मामले सबसे अधिक हैं। इस मुद्दे पर सरकारी आंकड़े यह संकेत देते हैं कि प्रदेश में लापता होने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है, और इन बच्चों के लापता होने के कारणों पर ध्यान देने की जरूरत है।

इंदौर में लापता बच्चों के सबसे ज्यादा मामले

इंदौर शहर में बाणगंगा और लसूड़िया क्षेत्रों से सबसे ज्यादा बेटियां गायब हो रही हैं। बाणगंगा थाना क्षेत्र से 449 बेटियां गायब हुईं। इसके बाद लसूड़िया क्षेत्र से 250, चंदन नगर से 220, और आजाद नगर से 178 बेटियां लापता हो चुकी हैं। इन आंकड़ों के बाद यह सवाल उठता है कि क्या इंदौर से गायब हो रहे बच्चे का सही तरीके से पता लगाया जा रहा है?

किस जिले में कितने गुम हुए बच्चे...

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गायब बच्चियों के परिजनों की कहानी

इंदौर के कई परिवारों में बेटियां अचानक गायब हो गईं, और उनका कोई पता नहीं चला। एक परिवार की बेटी भी एक महीने पहले बिना बताए घर से चली गई थी।

परिजन ने पूरी तरह से ढूंढने की कोशिश की, लेकिन उसे कोई सुराग नहीं मिला। उसके पास फोन भी नहीं था, और वह कहीं से भी संपर्क नहीं कर रही थी। उसके परिवार ने इंदौर और आसपास के इलाकों में अपनी बेटी की तलाश की, लेकिन उनकी कोई खबर नहीं मिली।

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पुलिस की कार्रवाई पर सवाल

लापता बच्चियों के मामलों में पुलिस की कार्रवाई को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। लसूडिया थाना क्षेत्र में 16 साल की एक लड़की के लापता होने के बाद उसके माता-पिता ने पुलिस से मदद मांगी थी, लेकिन पहले तो पुलिस ने शिकायत ही दर्ज नहीं की। फिर जब रिपोर्ट दर्ज हुई, तो पुलिस ने कहा कि वे भी तलाश कर रहे हैं। ऐसे में परिवार का कहना है कि पुलिस ठीक से काम नहीं कर रही है, जिससे लापता बच्चियां चिंता का विषय बनती जा रही है।

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क्या हैं लापता होने के कारण?

लापता होने के कारणों का पता लगाने के लिए कई पहलुओं पर विचार किया गया है। परिवारों का कहना है कि बच्चों का मनोबल कमजोर होता है और वे मानसिक दबाव में आकर घर छोड़ देती हैं। इसके अलावा, कई बच्चे बाहरी दबावों के कारण भी घर से बाहर निकल जाते हैं। सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म भी बच्चों के लापता होने का कारण बन सकते हैं।

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क्या कर सकती है सरकार और पुलिस?

मध्यप्रदेश सरकार और मध्यप्रदेश पुलिस को इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है। पुलिस को  मध्यप्रदेश में लापता बच्चे के मामले को प्राथमिकता से जांचना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए ताकि वे घर से बाहर जाते समय सुरक्षित महसूस करें और घरवालों से संपर्क बनाए रखें।

FAQ

मध्यप्रदेश में बच्चों के लापता होने के सबसे अधिक मामले कहां हैं?
मध्यप्रदेश में सबसे अधिक लापता होने के मामले इंदौर और धार जिले से सामने आए हैं। इंदौर के बाणगंगा और लसूड़िया थाना क्षेत्रों से बड़ी संख्या में बच्चियां गायब हुई हैं।
क्या पुलिस लापता बच्चों के मामलों में सही कदम उठा रही है?
कई मामलों में पुलिस की कार्रवाई को लेकर सवाल उठे हैं। कई परिवारों ने यह शिकायत की है कि पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने में समय लेती है, और कार्रवाई में ढिलाई करती है। पुलिस को इस मामले में तेजी से काम करने की जरूरत है।

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