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Photograph: (The Sootr)
BHOPAL. मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण (OBC reservation in Madhya Pradesh) का मुद्दा एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में गरमा गया है। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव को एक बेहद तीखा और सीधा पत्र लिखकर सरकार के रुख पर गहरी नाराजगी जताई है।
जीतू पटवारी ने आरोप लगाया है कि ओबीसी छात्रों के लिए 13% होल्ड पदों को बहाल करने के वादे से सरकार पीछे हट गई है। उन्होंने इसे न केवल ओबीसी समुदाय के साथ "धोखा" बताया, बल्कि सरकार पर 'हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और' वाली कहावत को चरितार्थ करने का भी आरोप लगाया है। इस पत्र ने प्रदेश की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है और आगामी दिनों में इसके बड़े राजनीतिक परिणाम देखने को मिल सकते हैं।
जीतू पटवारी का सीएम के नाम लेटर
ओबीसी आरक्षण को लेकर हुई थी सर्वदलीय बैठक
पटवारी के पत्र ने उस समय की याद दिलाई जब 28 अगस्त को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। उस बैठक में ओबीसी आरक्षण से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई थी और सभी राजनीतिक दलों ने एकमत होकर इस पर सहमति व्यक्त की थी। जीतू पटवारी ने अपने पत्र में इस बैठक का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि सीएम मोहन यादव ने स्वयं ओबीसी छात्रों के लिए 13% होल्ड पदों को बहाल करने का आश्वासन दिया था। बैठक में कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने एकजुट होकर रिक्त पदों पर तुरंत बहाली का आग्रह भी किया था।
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लाखों उम्मीदवारों के मन में जगी थी नई उम्मीद
पटवारी ने लिखा, "आपने आश्वस्त किया था कि दिल्ली में एडवोकेट जनरल के साथ एक अलग बैठक में इस पर चर्चा कर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।" इस आश्वासन से ओबीसी समुदाय और लाखों उम्मीदवारों के मन में एक नई उम्मीद जगी थी कि वर्षों से लंबित यह मुद्दा अब जल्द ही हल हो जाएगा।
सर्वदलीय बैठक में मिला था आश्वासन, दिल्ली में यू-टर्न
दिल्ली में हुई बैठक का नतीजा कांग्रेस की उम्मीदों के बिल्कुल विपरीत रहा। जीतू पटवारी के पत्र के अनुसार, "दिल्ली में हुई बैठक का नतीजा बिल्कुल विपरीत रहा! ओबीसी छात्रों और उनके वकीलों की मौजूदगी में आपके एडवोकेट जनरल ने 13% होल्ड पदों को बहाल करने की बात से सीधे तौर पर इनकार कर दिया। उनका पूरा जोर सिर्फ ओबीसी आरक्षण के लिए एक विशेष अधिवक्ता नियुक्त करने पर था।"
ओबीसी छात्रों के भविष्य को लेकर जताई नाराजगी
जीतू पटवारी के मुताबिक, यह घटनाक्रम बेहद निराशाजनक था, क्योंकि यह सीधे तौर पर मुख्यमंत्री के आश्वासन का खंडन करता है। कांग्रेस नेता ने इस घटना को सरकार की "कथनी और करनी में जमीन-आसमान का अंतर" बताया है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से सीधे सवाल किया है कि "यदि आप सच में ओबीसी समुदाय का भला चाहते हैं, तो अपने वादे पर अडिग क्यों नहीं रहते?"
पटवारी ने भाजपा सरकार की इस "यू-टर्न" लेने की आदत पर निशाना साधा और कहा कि यह साफ दिखाती है कि "सत्ता के अहंकार में आप लोग केवल झूठे आश्वासन देते हैं और जनता को गुमराह करते हैं।"
पटवारी के इस आरोप ने मध्य प्रदेश सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है क्योंकि यह लाखों छात्रों के भविष्य से जुड़ा है।
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ओबीसी आरक्षण विवाद: मुख्य तथ्य
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क्या है 13% होल्ड पदों का विवाद?
यह कानूनी लड़ाई 2019 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा लाए गए 27% ओबीसी आरक्षण अध्यादेश के बाद शुरू हुई थी, जिसे बाद में विधानसभा में कानून का रूप दिया गया। हालांकि, इस पर विवाद तब पैदा हुआ जब हाई कोर्ट ने पीजी-नीट में इस पर रोक लगाते हुए केवल 14% आरक्षण को मान्यता दी।
इसके बाद से ही सौ से ज्यादा याचिकाएं दायर हुईं और करीब 70 याचिकाएं दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर हो चुकी हैं। इस बीच सरकार ने 87-13 का फॉर्मूला लागू कर दिया, जिसके तहत 13% पदों पर परिणाम रोक दिए गए हैं। इसका सीधा असर हजारों उम्मीदवारों पर पड़ा है, जिनके पद वर्षों से होल्ड हैं और उनका भविष्य अधर में लटका हुआ है।
यह विवाद न केवल कानूनी है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक भी है। ओबीसी समुदाय लंबे समय से 27% आरक्षण की मांग कर रहा है और सरकार की तरफ से लगातार मिल रहे आश्वासनों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। पटवारी का पत्र इसी निराशा और आक्रोश को दर्शाता है। यह पत्र ओबीसी समुदाय के युवाओं के बीच बढ़ती बेचैनी को भी उजागर करता है, जो सरकारी नौकरियों के लिए वर्षों से इंतजार कर रहे हैं।
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PCC अध्यक्ष पटवारी ने दी आंदोलन की चेतावनी
जीतू पटवारी ने अपने पत्र में लिखा, "सर्वदलीय बैठक में भी आपको आश्वस्त किया था कि हम ओबीसी समुदाय की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए किसी भी हद तक समझौता करने को तैयार हैं। लेकिन, आपकी सरकार की नीयत पर अब संदेह हो रहा है!" उन्होंने यह भी जोड़ा कि "मैं फिर से बहुत स्पष्ट शब्दों में दोहरा रहा हूं कि 13% होल्ड आरक्षण को हटाकर ओबीसी छात्रों को नियुक्तियां दें!"
यह पत्र केवल एक मांग नहीं है, बल्कि "मध्य प्रदेश के ओबीसी युवाओं के भविष्य और आपके द्वारा किए गए वादे की याद दिलाने की लोकतांत्रिक और संवैधानिक आवाज है!" पटवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को सीधे तौर पर चेतावनी देते हुए कहा कि "यदि इसे अनसुना किया गया, तो यह एक बड़े आंदोलन का आधार बनेगा!"
यह चेतावनी दर्शाती है कि कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर गंभीर है और आने वाले समय में इसे एक बड़े राजनीतिक आंदोलन में बदल सकती है। यह सरकार पर दबाव बनाने की एक रणनीति है ताकि 13% होल्ड पदों पर जल्द से जल्द कोई फैसला लिया जा सके।
सरकार के सामने ये होगी बड़ी चुनौती
जीतू पटवारी का यह पत्र मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनकी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। ओबीसी समुदाय की नाराजगी को नजरअंदाज करना सरकार के लिए आसान नहीं होगा। खासकर तब, जब कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर आक्रामक रुख अपना रही है। सरकार को अब या तो 13% होल्ड पदों पर कोई स्पष्ट निर्णय लेना होगा या फिर इस राजनीतिक दबाव का सामना करना होगा।
यह मुद्दा सिर्फ आरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सरकार के वादे और विश्वसनीयता से भी जुड़ा है। अगर सरकार अपने वादे से पीछे हटती है, तो इसका असर न केवल ओबीसी समुदाय पर होगा, बल्कि यह सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंचाएगा। इसलिए, अब गेंद सरकार के पाले में है और सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि वह इस गंभीर आरोप का जवाब कैसे देती है।
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