BHOPAL : वैसे ही नौकरी की तलाश में शिक्षित बेरोजगार भटक रहे हैं। रोजगार उपलब्ध कराने के मोर्चे पर प्रदेश सरकार फेल साबित हो रही है। रोजगार की मांग को लेकर आए दिन आंदोलन तक होने लगे हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार की एक और गंभीर चूक सामने आई है। मामला केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण अभियान आजीविका मिशन के प्रोजेक्ट NRETP यानी राष्ट्रीय ग्रामीण आर्थिक परिवर्तन परियोजना से जुड़ा है। प्रोजेक्ट को केंद्र से बजट और रिन्यूअल मिलने के बाद भी प्रदेश में इस पर काम ठप है। वहीं प्रोजेक्ट पर सरकार के लिए काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारी भी बेरोजगारी का संकट झेल रहे हैं। यानी सरकार अपनी ओर से तो युवाओं को रोजगार देने में विफल है और दूसरे केंद्र की योजनाओं से मिलने वाले कामों में भी रोड़ा अटका रही है।
बेरोजगारी का संकट बढ़ाने वाला ताजा मामला क्या है पहले आपको ये बताते हैं। दरअसल केंद्र सरकार विभिन्न राज्यों में आजीविका मिशन चला रही है। इसी के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण आर्थिक परिवर्तन परियोजना यानी NRETP प्रोजेक्ट काम कर रहा है। जिसमें ग्रामीण अंचल में चल रहे स्वसहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर करने की योजनाओं का क्रियान्वयन होता है। प्रदेश में ग्रामीण विकास मंत्रालय के माध्यम से इस प्रोजेक्ट का संचालन 18 जिलों में चल रहा था। साल 2021 से शुरू प्रोजेक्ट के तहत महिला स्वसहायता समूहों के जरिए आर्थिक सशक्तिकरण पर काफी काम हुआ है। समूहों के माध्यम से लाखों परिवारों को आजीविका के अवसर मिले थे। लेकिन अब इन लाखों परिवारों को आजीविका उपलब्ध कराने में दिनरात एक करने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों के सामने रोजगार का संकट छाया हुआ है।
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दूसरे राज्यों में हुआ मर्जर, एमपी में इंतजार
आउटसोर्स कर्मचारियों के अनुसार देश के 13 राज्यों में आजीविका मिशन के तहत NRETP प्रोजेक्ट चल रहा है। प्रदेश के 18 जिलों को भी इससे लाभ मिला है। इस प्रोजेक्ट के संचालन, समूहों की समस्याओं के समाधान और निगरानी के लिए प्रदेश में मुंबई की एक कंपनी के माध्यम से आउटसोर्स कर्मी काम पर रखे गए थे। जून 2024 में प्रोजेक्ट पूरा होने से हजारों कर्मचारियों की नौकरी छिन गई। इस बीच केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट के तहत काम कर रहे कर्मचारियों को राष्ट्रीय आजीविका मिशन में रिक्त पदों पर काम देने का आदेश जारी करते हुए प्रोजेक्ट आगे बढ़ा दिया। केंद्र से स्वीकृति और बजट आवंटन को देखते हुए असम, राजस्थान, झारखंड और अन्य राज्यों ने प्रोजेक्ट पर काम कर रहे कर्मियों को आजीविका मिशन और अन्य कार्यक्रमों में समायोजित कर लिया है। लेकिन मध्यप्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग को केंद्र सरकार के आदेश की सुध ही नहीं है। केंद्र से आदेश और वित्त मंत्रालय से बजट स्वीकृति के बावजूद आउटसोर्स कर्मियों को आजीविका मिशन में शामिल नहीं किया गया है। इस वजह से मिशन में सैंकड़ों पद रिक्त हैं और काम अटका पड़ा है।
अधिकारी मौन, नेता दे रहे कोरे आश्वासन
आउटसोर्स कर्मचारियों का प्रतिनिधिमंडल अब तक ग्रामीण विकास के कई चक्कर काट चुका है। लेकिन आजीविका मिशन के सीईओ ने अब तक उनसे मुलाकात भी नहीं की है। मिशन में कार्यरत दूसरे अधिकारी भी केंद्र सरकार का आदेश और उनकी परेशानी सुनने तैयार नहीं हैं। वे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और खजुराहो सांसद वीडी शर्मा, प्रदेश के वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा से मिलकर अपनी समस्या उनके सामने रख चुके हैं। केंद्र सरकार के आदेश और मिशन के जरिए संचालित महत्वपूर्ण कार्यक्रम को देखते हुए जनप्रतिनिधियों ने उन्हें आश्वस्त किया है लेकिन विभाग की ओर से अब तक कोई आदेश जारी किया गया है।
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500 आउटसोर्स कर्मी बाहर इसलिए काम ठप
आउटसोर्स कर्मियों को निकाल देने से ग्रामीण आर्थिक परिवर्तन प्रोजेक्ट के अंतर्गत होने वाले सभी काम तीन माह से ठप हैं। आउटसोर्सकर्मी इसको लेकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल को भी पत्र सौंप चुके हैं। उनका कहना है जैसे MPRLP यानी मध्यप्रदेश ग्रामीण आजीविका प्रोजेक्ट और DPIP यानी जिला गरीबी उन्मूलन प्रोजेक्ट के कर्मचारियों का विलय आजीविका मिशन में किया गया है उसी आधार पर NRETP कर्मियों को भी योग्यता के आधार पर रोजगार दिया जा सकता है। क्योंकि इस काम के लिए सरकार को कर्मचारी तो चाहिए ही हैं। उन्हें रखने से विभाग को दक्ष कर्मचारियों की तलाश भी नहीं करनी होगी और सैंकड़ों कर्मचारी और उनके परिवार के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा नहीं होगा।