अर्जुन अवार्ड लौटाएंगे एमपी के दो पैरालिंपियन, सालभर से नौकरी के लिए हैं परेशान, सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप

मध्यप्रदेश के दो पैरालिंपियन कपिल परमार और प्राची यादव ने अर्जुन अवॉर्ड लौटाने का निर्णय लिया है, क्योंकि सरकार ने उन्हें नौकरी और अन्य वादे पूरे नहीं किए। इस आर्टिकल में उनके संघर्ष और सरकार की निष्क्रियता पर प्रकाश डाला गया है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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मध्यप्रदेश का नाम पूरे विश्व में रोशन करने वाले प्रदेश के दो होनहार पैरा ओलिंपिक खिलाड़ियों ने सरकारी उपेक्षा से परेशान होकर अब अपने अर्जुन अवॉर्ड लौटाने का निर्णय लिया है। इन दोनों खिलाड़ियों ने प्रदेश सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है।

इन पैरालिंपियन का कहना है कि सरकार ने इन्हें सरकारी नौकरी देने का वादा किया था, लेकिन यह वादा एक साल बाद भी अधूरा है। नौकरी के लिए ये खिलाड़ी मंत्री और अफसरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन इन्हें केवल कोरे आश्वासन ही मिल रहे हैं। बार-बार चक्कर लगाकर परेशान हो चुके इन खिलाड़ियों ने अब अपना अर्जुन अवॉर्ड वापस करने की घोषणा की है। 

कपिल बोले अवार्ड लेकर शर्म महसूस हो रही

पैरालिंपियन कपिल ने कहा कि उन्हें देश के राष्ट्रपति द्वारा अर्जुन अवॉर्ड प्राप्त करने के बाद गर्व महसूस हुआ था, लेकिन अब उन्हें यह अवार्ड लेकर शर्म महसूस हो रही है। उन्होंने अपनी स्थिति को लेकर कहा, हमारे साथ अन्य राज्यों के खिलाड़ी अच्छे पदों पर काम कर रहे हैं, लेकिन हमारी राज्य सरकार ने हमें बिल्कुल भी सपोर्ट नहीं दिया।

कपिल ने बताया कि उसे मध्यप्रदेश सरकार ने गैजेटेड ऑफिसर की पोस्ट देने का वादा किया था। हम मंत्री और अधिकारियों के चक्कर काट-काट कर परेशान हो चुके है। नौकरी के लिए यहां-वहां भटकने के कारण उनकी प्रैक्टिस भी प्रभावित हो रही है। इस लिए अब उन्होंने अवाॅर्ड वापस करने का निर्णय लिया है। 

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पैरा एथलीट्स की स्थिति

कपिल का कहना है कि अगर उनके साथ केंद्रीय संस्थाएं जैसे OGQ और TOPS नहीं होतीं, तो वे आज संघर्ष कर रहे होते। कपिल की यह चिंता सही है, क्योंकि एक पैरा खिलाड़ी को मिलने वाले प्रोत्साहन और समर्थन से ही उसकी सफलता तय होती है। सरकार द्वारा की गई वादाखिलाफी ने उन्हें इस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है जहां वो प्रैक्टिस करने की बजाए नौकरी के लिए यहां-वहां चक्कर काट रहे है। 

यह वादा किया था कपिल से सरकार ने 

कपिल परमार ने पेरिस पैरालिंपिक 2024 में ब्रॉन्ज मेडल जीता था, और उन्हें मध्यप्रदेश सरकार ने एक करोड़ रुपए और नौकरी देने का वादा किया था। इस घोषणा के एक साल बाद भी नौकरी नहीं मिली। कपिल का कहना है कि सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों के साथ कई बार मिलने के बावजूद उन्हें कोई समाधान नहीं मिला। उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिति न केवल उनके लिए, बल्कि अन्य खेल खिलाड़ियों के लिए भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। 

प्रदेश के दो होनहार खिलाड़ियों से सरकार की वादा खिलाफी

को ऐसे समझें 

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  1. कपिल परमार और प्राची यादव ने अर्जुन अवॉर्ड लौटाने का फैसला किया, क्योंकि मध्यप्रदेश सरकार ने उनके साथ किए गए वादों को पूरा नहीं किया, जैसे कि सरकारी नौकरी और अन्य सहायता।
  2. कपिल परमार ने एक साल तक सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों से नौकरी के लिए मुलाकात की, लेकिन उन्हें कोई ठोस मदद नहीं मिली, जिससे उन्हें निराशा हुई।
  3. प्राची यादव ने बताया कि पेरिस पैरालिंपिक के दौरान उनका इलाज निजी खर्च पर हुआ, और सरकार ने उनके इलाज के लिए कोई सहायता नहीं दी।
  4. कपिल ने कहा कि अन्य राज्यों के खिलाड़ियों को नौकरी मिली, जबकि मध्यप्रदेश में पैरा खिलाड़ियों को कोई प्रोत्साहन नहीं मिला।
  5. प्राची और कपिल दोनों ने सरकार की निष्क्रियता के कारण अर्जुन अवॉर्ड वापस करने का निर्णय लिया, जिससे उनका आक्रोश और निराशा स्पष्ट होती है।

इलाज तक नहीं करवा रही सरकार

यह कहना है प्रदेश की दूसरी पैराओलंपियन प्राची यादव का। उन्होंने बताया कि पेरिस में रेस के दौरान उनकी एक आंख का कार्निया ब्लास्ट हो गया था, इसके इलाज के लिए उन्होंने अपने स्तर पर बजट की व्यवस्था की। मांग के बावजूद राज्य सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की।

अर्जुन अवॉर्ड और विक्रम अवॉर्ड से सम्मानित प्राची बताती हैं कि उन्हें भी पैरा ओलंपिक 2022 में देश के लिए गोल्ड जीतने के बाद एक करोड़ रुपये नकद और सरकारी नौकरी का वादा किया गया था। उन्हें पीडब्ल्यूडी में क्लर्क की नौकरी ऑफर की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया था। तब सरकार ने उन्हें अच्छी नौकरी का आश्वासन दिया था, लेकिन इस आश्वासन पर एक साल बाद भी अमल नहीं हो सका है।

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ओजीक्यू और साई ने की मदद

प्राची यादव, जो विक्रम अवॉर्ड से सम्मानित हैं, उन्होंने भी अपने संघर्ष को साझा किया। उन्होंने कहा कि अगर ओजीक्यू और साई संस्थाएं उन्हें सहायता न करतीं, तो वे कभी भी इस स्तर तक नहीं पहुंच पातीं। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार से कई बार सहायता की उम्मीद की, लेकिन उन्हें कभी भी सपोर्ट नहीं मिला। 

मानसिक तनाव में हैं, प्रैक्टिस पर असर

यह कहना है अर्जुन अवॉर्डी कपिल परमार का। उन्होंने बताया कि वे एक बहुत ही आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आते हैं। कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक लाए हैं। उनके पिता ठेले पर चाय बनाते थे, तो मां लोगों के घर काम करती थीं।

दोस्तों और अन्य संस्थाओं की मदद से वे यहां तक पहुंचे हैं। अब आर्थिक चिंता के कारण वे प्रैक्टिस पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। नौकरी के लिए रोज भोपाल में मंत्री और अधिकारियों के चक्कर काटने में उनका समय नष्ट हो रहा है।  जबकि उन्हें लॉस एंजिल्स ओलिंपिक की तैयारी करनी है। 

अन्य  राज्यों का दिया उदाहरण

कपिल ने यूपी राज्य का उदाहरण दिया, जहाँ पैरालिंपिक में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी मिली है। उन्होंने कहा कि हमारे पास अन्य राज्यों के खिलाड़ियों के मुकाबले कोई सपोर्ट नहीं है। यह स्थिति हमें निराश करती है।

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