मोदी की पीएम आवास गारंटी योजना में एफआईआर के लिए महापौर की ही नहीं सुन रही पुलिस

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी पर सवार सत्ता में लौटी बीजेपी, अब इसी गारंटी में हुई गड़बड़ी को लेकर पुलिस से एफआईआर तक नहीं करा पा रही है।

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Pratibha Rana
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पीएम आवास गारंटी योजना

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संजय गुप्ता, INDORE. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi )की गारंटी पर सवार सत्ता में लौटी बीजेपी(  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी ), अब इसी गारंटी में हुई गड़बड़ी को लेकर पुलिस से एफआईआर तक नहीं करा पा रही है। पीएम आवास योजना( Prime Minister Narendra Modi Guarantee ) में वित्तीय अनियमितता सामने आने के बाद महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने पुलिस को इस मामले में एफआईआर करने के लिए लिखा था, लेकिन अभी तक पुलिस ने इसमें केस तक दर्ज ( FIR in PM Housing Guarantee Scheme )नहीं किया।

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शर्म की बात है अभी तक एफआईआर नहीं हुई

इस मामले को उठाने वाले एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर ने कहा कि यह शर्म की बात है कि जांच करने के बाद अधिकारी एफआईआर के लिए पुलिस के पास गए और उन्होंने केस भी दर्ज नहीं किया। पीएम आवास योजना में कंपनी का अनुबंध खत्म हो चुका है और इसके बाद भी इसे बढ़ाने की बात कही जा रही है लेकिन इसके दस्तावेज अधिकारी नहीं दे रहे हैं। उधर महापौर का कहना है कि एजेंसियों के दफ्तर सील कर दिए हैं, वरिष्ठ अधिकारियों से जांच कराई जा रही है, जो भी दोषी होगा कार्रवाई करेंगे।

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सेंट्रल कोतवाली थाने को निगम लिख चुका पत्र

महापौर पुष्यमित्र भार्गव एवं निगमायुक्त हर्षिका सिंह के निर्देशों पर प्रकरण से संबंधित मार्केटिंग एजेन्सी के दोषी कर्मचारियों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराने के लिए विभाग द्वारा पुलिस थाना सेन्ट्रल कोतवाली को पत्र क्र. 5458 किया गया है। साथ ही एजेन्सी को कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया, जिसका संतोषजनक जवाब प्राप्त ना होने से मार्केटिंग एजेन्सी का अनुबंध समाप्त करने की कार्यवाही प्रचलन में है।

महापौर, निगमायुक्त ने जाकर देखी फाइलें

प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाय) के तहत फ्लैट बुकिंग को लेकर गड़बड़ी सामने आने के बाद गुरुवार को महापौर पुष्यमित्र भार्गव और निगमायुक्त हर्षिका सिंह पालिका प्लाजा पहुंचे। यहां पीएमएवाय के ऑफिस में बंद कमरे में अधिकारी-कर्मचारियों से बात की गई। फाइलें मंगवाई गईं। 5-6 साल के सारे रिकॉर्ड जांचने के लिए कहा है।

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दो एजेंसियों का अनुबंध तो पहले ही खत्म हो चुका

वहीं सामने आया है कि जिन दो मार्केटिंग एजेंसियों की भूमिका की बात कही जा रही है, निगम ने वर्ष 2019 में उनसे अनुबंध किया था, जो वर्ष 2022 तक के लिए मान्य था। इसके बाद एक साल के एक्सटेंशन की बात कही गई, लेकिन अब तक नए अनुबंध के दस्तावेज सामने नहीं आए हैं। उधर, अब नगर निगम ने ऑनलाइन व्यवस्था कर दी है। अब कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन मकान बुक कर सकेगा। 

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एजेंसियों नोटिस के बाद भी करते रहे काम

दिसंबर-जनवरी में भी शिकायतें सामने आने के बाद निगमायुक्त ने जांच करवाई थी। 5 जनवरी को एजेंसियों को नोटिस दिया था। उस नोटिस का जवाब भी उन्होंने दिया और काम करते रहे। अब जब एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर ने इस पर आपत्ति ली तब जाकर सख्त कार्रवाई की जा रही है।

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