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मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) ने लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग की फूड सेफ्टी ऑफिसर की भर्ती निकाली है। यह भर्ती 17 साल बाद आई है। भर्ती के लिए अभी हाल ही में नियम जारी हुए हैं। इसमें सबसे ज्यादा 'द सूत्र' के पास फोन और संदेश दो सब्जेक्ट्स (विषयों) के लिए आ रहे हैं। पहला डिग्री को लेकर खासकर जो बीएससी प्लेन और बीटेक किए हुए हैं कि वह पात्र है या नहीं और दूसरा इसका एक प्रश्नपत्र केवल अंग्रेजी में कराने को लेकर। 'द सूत्र' ने विभाग से और आयोग से हर जगह से जानकारी जुटाई, इसके बाद यह सामने आया।
- यह राजस्थान का पेपर जो हिंदी और अंग्रेजी दोनों में हुआ
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इतने पदों के लिए निकली भर्ती
यह भर्ती 120 पदों के लिए निकली है। इसमें 87 फीसदी कैटेगरी में 106 और 13 फीसदी कैटेगरी में 14 पद शामिल है। अनारक्षित के लिए 28 पद, एससी के लिए 16, एसटी के लिए 28, ओबीसी के लिए 38 और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के लिए 10 पद है। इसके लिए आवेदन 28 मार्च से 27 अप्रैल तक हो सकेंगे।
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डिग्री को लेकर यह कन्फ्यूजन दूर होगा
इसमें 'द सूत्र' को सबसे ज्यादा सवाल आ रहे हैं कि क्या पीसीएम (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स) वाले इसके लिए पात्र है या नहीं। इसे लेकर 'द सूत्र' बता रहा है कि इसमें प्लेन बीएससी वाले हो या बीटेक वाले हो, वह सभी उम्मीदवार पात्र होंगे जिनका एक सब्जेक्ट केमिस्ट्री यानी रसायन शास्त्र अनिवार्य तौर पर रहा हो। यानी कि जो फाइनल मार्कशीट बनी हो इसमें केमिस्ट्री विषय अंकित हो या कहें कि डिग्री के हर साल केमिस्ट्री सब्जेक्ट पढ़ा हो और उसकी परीक्षा दी हो, तो वह इसके लिए पात्र (eligible) होगा। इसके लिए विभागीय स्तर पर यह बात हो चुकी है और विभाग फरवरी आखिर तक आयोग को भी इस संबंध में औपचारिक तौर पर जानकारी भेज देगा। वहीं इसके साथ ही कुछ उम्मीदवारों ने फार्मेसी, बीएएमएस, बीएचएमएस वालों के भी पात्र होने की बात पूछी थी। क्योंकि पात्रता में मेडिसिन की बात थी, तो अधिकारियों ने इस पर 'द सूत्र' को बताया कि यह पात्र नहीं होंगे। केवल एमबीबीएस वाले ही पात्र होंगे।
( उम्मीदवारों को कोई भी असमंजस है तो वह विभाग स्तर पर औपचारिक पत्राचार करके जानकारी ले सकते हैं, पात्रता पीएससी तय नहीं करता है, हालांकि वह आपके असमंजस, क्वेरी को विभाग जरूर भेज सकता है। 'द सूत्र' को अधिकारियों से जो जानकारी मिली है, उसी के अनुसार यह न्यूज दी गई है)
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पेपर के सबसे ज्यादा अंक का हिस्सा केवल अंग्रेजी में क्यों
इसमें सबसे गंभीर मुद्दा यह है कि परीक्षा नियम जो जारी हुए इसमें कहा गया है कि 450 अंकों का जो प्रश्न पत्र वस्तुनिष्ठ आधार (objective based) पर होगा इसमें खंड ए जो 150 नंबर का है और सामान्य अध्ययन (general Studies) का है वह हिंदी और अंग्रेजी दोनों में होगा, लेकिन इसका 300 नंबर का खंड बी जो खाद्य विज्ञान (food science) और तकनीकी सब्जेक्ट पर है वह केवल अंग्रेजी में होगा। इसका सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है। हिंदी भाषी राज्य होने के चलते इसका कड़ा विरोध हो रहा है। इसके अलावा भी कोई भी दूसरी तकनीकी परीक्षा भी हुई तो वह हिंदी और अंग्रेजी दोनों में ही हुई है, यह पहली परीक्षा है जिसके लिए यह शर्त लगाई गई है कि केवल अंग्रेजी में पेपर होगा। इससे हजारों उम्मीदवार परीक्षा देने पर भी इसमें पिछड़ जाएंगे और केवल एक सब्जेक्ट अंग्रेजी में होने के चलते सब्जेक्ट में मजबूत होने के बाद भी हिंदी भाषी उम्मीदवारों को खासा नुकसान होगा। सबसे बड़ी बात सबसे ज्यादा वेटेज भी 450 में से 300 अंकों पर अंग्रेजी सब्जेक्ट का ही है। वहीं नेगेटिव मार्किंग भी है, सही आंसर के 3 अंक और गलत होने पर माइनस वन है। ऐसे में उम्मीदवारों को दोहरा झटका लगेगा।
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इसमें यह चल रहा है
वहीं इस मुद्दे पर आयोग औपचारिक तौर पर कोई कमेंट नहीं कर रहा है। वहीं विभाग से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक सब्जेक्ट विशेषज्ञों ने ही यह परीक्षा पैटर्न बनाकर आयोग को दे दिया और उन्होंने जारी कर दिया। ऐसे में आपत्तियां लगने के बाद और यह मुद्दा उठने के बाद आयोग इस पर सब्जेक्ट विशेषज्ञों से और विभाग स्तर पर बात कर रहा है, लेकिन अभी औपचारिक तौर पर कब तक इसमें फैसला कर सूचना जारी होगी यह अभी साफ नहीं है। हालांकि विचार इसे लेकर शुरू हो चुका है। वहीं 'द सूत्र' ने इसे लेकर कानूनविदों से बात की तो उन्होंने कहा कि यदि आयोग और विभाग इस पेपर को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में नहीं कराते हैं तो उम्मीदवारों को इस पैटर्न पर आपत्ति लेते हुए सीधे हाईकोर्ट में आपत्ति लेना चाहिए, हिंदी भाषी राज्य में केवल अंग्रेजी में पेपर किया जाना उनके अधिकारों का हनन है और इसमें बात सीधे याचिका दायर करके उठाई जा सकती है।
राजस्थान में भी दोनों भाषा में हुआ
वहीं राजस्थान में भी हाल ही में फूड सेफ्टी आफिसर पद के लिए परीक्षा हुई थी, इसमें जो प्रश्न पत्र रहा वह हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में रहा। यह पेपर भी वस्तुनिष्ठ आधार पर रहा और इसमें भी नेगेटिव मार्किंग का प्रावधान था। ऐसे में साफ है कि केवल अंग्रेजी में ही प्रश्न पूछे जाएं यह किसी भी नियम, कायदे में अनिवार्य नहीं है। यह विभाग और आयोग अपने स्तर पर कर सकता है और प्रश्न पत्र हिंदी और अंग्रेजी में ही होना चाहिए।
उम्मीदवारों ने दिया ज्ञापन
उधर कुछ उम्मीदवरों ने सोमवार को मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) के दफ्तर जाकर ज्ञापन भी दिया है और इसमें मांग की है कि यह प्रश्न पत्र अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी किया जाए। ऐसा नहीं होने पर अंग्रेजी वालों को ज्यादा फायदा होगा और हिंदी भाषी को योग्यता के बाद भी एक भाषा का ज्ञान कम होने से नुकसान हो जाएगा।
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