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BHOPAL. मध्यप्रदेश लोक निर्माण विभाग (PWD) के इंजीनियरों ने 22 दिसंबर को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। लगभग 1000 इंजीनियरों ने इस दिन कैजुअल लीव का आवेदन दिया था, जो विभाग ने खारिज कर दिया है।
इंजीनियरों का कहना है कि सुधार की प्रक्रिया में उन्हें दोषी ठहराया जा रहा है। उनका आरोप है कि इस प्रक्रिया में ठेकेदारों की भूमिका है, न कि उनकी। इंजीनियरों का कहना है कि ठेकेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए, न कि उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाए।
क्या है हड़ताल की मुख्य वजह?
इन इंजीनियरों का कहना है कि विभाग में सुधार के नाम पर उन्हें दोषी ठहराया जा रहा है। वे कहते हैं कि औचक निरीक्षण और डामर की खरीद के मामलों में जिम्मेदारी पूरी तरह से उन पर डाली जा रही है।
उनका आरोप है कि विभाग में कई पद खाली हैं, जिससे उन्हें और ज्यादा दबाव में काम करना पड़ता है। 600 जूनियर इंजीनियरों और 200 एसडीओ के पद रिक्त हैं।
असली दोषी ठेकेदार- इंजीनियर
भोपाल प्रांत के मप्र डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, आरपी शर्मा ने कहा कि इंजीनियरों पर कार्रवाई की जा रही है, जबकि असली दोषी ठेकेदार हैं। शर्मा ने बताया कि इंजीनियर सिर्फ अपने काम की निगरानी करते हैं। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी नहीं होती।
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मुख्य सचिव से दो बार की शिकायत
इंजीनियरों ने विभाग के प्रमुख सचिव को दो बार पत्र लिखा था। पहला पत्र तब लिखा गया, जब बरेली-पिपरिया मार्ग पर एक पुल टूटने के बाद अफसरों पर बिना रिपोर्ट के एफआईआर दर्ज की गई थी।
इसके बाद दूसरा पत्र लिखा गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि विभाग में निर्माण की गुणवत्ता को लेकर सिर्फ इंजीनियरों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जा रही है।
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