एमपी में रेवेन्यू केस की सुनवाई होगी तेज, 426 अधिकारियों को मिले कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के अधिकार

मध्य प्रदेश में राजस्व विभाग ने 426 अधिकारियों को कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के अधिकार दिए हैं। इससे राजस्व मामलों की सुनवाई तेजी से हो सकेगी। साथ ही, प्रशासनिक सुविधाएं बेहतर होंगी।

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Amresh Kushwaha
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BHOPAL. मध्य प्रदेश में राजस्व विभाग ने प्रशासनिक स्तर पर बड़ा बदलाव किया है। अब 426 अधिकारियों को कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के अधिकार दिए गए हैं। यह बदलाव 144 अधीक्षक भू-अभिलेख (LLR) और 282 सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख (ALLR) के लिए किया गया है। इस कदम से विभाग के कार्यों में गति आएगी और लंबित मामलों का शीघ्र समाधान संभव होगा।

नई व्यवस्था का क्या है असर?

इस बदलाव के बाद इन अधिकारियों को अब न्यायिक और प्रशासनिक दोनों प्रकार के अधिकार प्राप्त हो गए हैं। इसका फायदा यह होगा कि मप्र के राजस्व विभाग में कुल 2278 अधिकारी राजस्व मामलों की सुनवाई कर सकेंगे। इससे राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों के निपटारे में तेजी आएगी और प्रशासनिक कार्यों में भी सुविधा होगी।

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बदल गया प्रशासनिक ढांचा

मप्र में पहले 610 तहसीलदार थे, लेकिन अब 144 अधीक्षक भू अभिलेख के समायोजन के बाद उनकी संख्या बढ़कर 754 हो गई है। यह समायोजन तब तक जारी रहेगा, जब तक पूरा भू-अभिलेख कैडर रिटायर नहीं हो जाता। इसके साथ ही एलआर पद पर नियुक्त अधिकारी पहले की तरह डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए पात्र रहेंगे।

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विभाग में सुधार की दिशा

नई व्यवस्था से तहसील और ग्रामीण स्तर पर प्रशासनिक सुविधा में वृद्धि होगी। इससे स्थानीय अधिकारियों को अधिक अधिकार मिलेंगे। साथ ही, वे अपनी जिम्मेदारी अधिक प्रभावी ढंग से निभा सकेंगे। इससे शासन स्तर पर कार्यों में पारदर्शिता और सटीकता भी बढ़ेगी।

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क्या है आगे का प्लान?

यह बदलाव सितंबर 2025 में ही प्रस्तावित किया गया था। शुक्रवार, 25 अक्टूबर से इसका कार्यान्वयन शुरू हो चुका है। मप्र सरकार का उद्देश्य है कि राजस्व मामलों में गति लाकर आम नागरिकों को जल्दी और सही तरीके से न्याय मिले।

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