एमपी सरकार का बड़ा कदम, 10 से कम छात्र वाले स्कूल होंगे मर्ज और शिक्षकों का होगा ट्रांसफर

मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों को मर्ज करने का फैसला लिया है। ऐसे स्कूल जिनमें 10 से कम बच्चे हैं, वे पास के बड़े स्कूलों में मर्ज होंगे। यह जानकारी स्कूल शिक्षा मंत्री ने विधानसभा में दी है। टीचर्स को खाली पदों पर ट्रांसफर किया जाएगा।

author-image
Anjali Dwivedi
New Update
school
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

BHOPAL. मध्य प्रदेश सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। एमपी सरकार ने सरकारी स्कूलों को मर्ज करने का फैसला किया है। सरकार का कहना है जिन स्कूलों में 10 से कम छात्र हैं, उन्हें अब पास के बड़े स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। मध्य प्रदेश स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह ने यह जानकारी सदन को दी है। उन्होंने गुरुवार को विधानसभा में इस फैसले का ऐलान किया। यह जानकारी एक सवाल के जवाब में दी गई थी।

विधायक ने पूछा था सवाल

विधायक अमर सिंह यादव ने विधानसभा में सवाल किया था। उन्होंने पूछा था कि कम एडमिशन वाले स्कूलों की क्या योजना है। सरकार इन स्कूलों को लेकर क्या करने वाली है। जवाब में स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने सदन को बताया। उन्होंने बताया कि सरकार ने स्कूलों को मर्ज करने का निर्णय लिया है। जिन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 10 से कम है, उन्हें मर्ज किया जाएगा। ये सभी स्कूल पास के बड़े स्कूल में मर्ज होंगे। स्कूल एक किलोमीटर के दायरे में बड़ी स्कूल में मर्ज होंगे।

ये खबरें भी पढ़ें...

आईएएस संतोष वर्मा पर हो सकती है बड़ी कार्रवाई, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दिए संकेत

देश सेवा के लिए लंदन से वापस आईं, दूसरे प्रयास में ८वीं रैंक लाकर बनीं आईएएस हर्षिका सिंह

टीचर्स का अब क्या होगा?

मध्य प्रदेश सरकार उर्दू सहित सभी शिक्षकों की स्कूलों में उपयोगिता पर विचार कर रही है। उन्हें दूसरे स्कूलों में भेजने की योजना बनाई जा रही है। इस बदलाव के बाद, शिक्षकों को तीन साल तक दूसरे स्कूलों से नहीं हटाया जाएगा। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप ने विधानसभा में इसका खुलासा किया। उन्होंने कहा कि, हम यह देख रहे हैं कि कहां विद्यार्थी कम हैं और शिक्षक अधिक हैं।

सरकार ने यह भी बताया कि, प्रदेश में जनजातीय विभाग के 1881 स्कूलों को बंद या मर्ज कर दिया गया है। कांग्रेस विधायक अमर सिंह यादव ने राजगढ़ जिले के उर्दू शिक्षकों पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, राजगढ़ के कई स्कूलों में स्टूडेंट्स नहीं हैं, लेकिन उर्दू शिक्षक हैं। संसदीय कार्यमंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, राजगढ़ ही नहीं, पूरे प्रदेश में उर्दू शिक्षकों की समीक्षा करनी चाहिए।

क्यों लिया गया यह बड़ा फैसला?

सरकार ने यह निर्णय शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए लिया है। यह कदम स्कूलों की स्थिति दुरस्त करने के लिए उठाया गया है। इससे सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरेगा। सूत्रों के मुताबिक, यह निर्णय सीएम राइज और सांदीपनी विद्यालयों से जुड़ा है। यह फैसला इन बड़ी पहलों का एक हिस्सा बताया जा रहा है।

आकंड़े बताते हैं बड़ी समस्या

बीते समय में कुछ आकंड़े एमपी विधानसभा के सदन में पेश किए गए थे। सितंबर 2024 की एक रिपोर्ट सामने आई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में 11 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूल थे। इन स्कूलों में कक्षा 1 से 5 और 8 से 10 तक 10 से कम स्टूडेंट्स का दाखिला था।

सरकारी आकंड़ों के मुताबिक, प्रदेश में 94 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूल हैं। लगभग 5 हजार 500 स्कूल ऐसे थे जिनमें कक्षा 1 में कोई दाखिला नहीं था। पिछली रिपोर्ट के अनुसार, 22 हजार सरकारी स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे थे। इस बड़े फैसले से शिक्षा व्यवस्था में सुधार की उम्मीद है।

ये खबरें भी पढ़ें...

नाम नहीं जुड़वाओगे तो राशन-पानी बंद...SIR पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बयान ने मचाया बवाल

रिजल्ट सुधारने के लिए MP बोर्ड की पहल, 100% सफलता पाने वाले शिक्षकों को मिलेगा सम्मान

मंत्री कैलाश विजयवर्गीय एमपी सरकार कांग्रेस विधायक मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश सरकार विधानसभा एमपी विधानसभा सरकारी स्कूल स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह विधायक अमर सिंह यादव
Advertisment