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मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में स्थित रिलायंस सासन पावर प्रोजेक्ट (Reliance Sasan Power Project) विवादों में है। यहां ऐश डैम (Ash Dam) से हो रहे जहरीले रिसाव ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में अब कड़ा रुख अपनाते हुए प्रशासन से एक्शन लेने को कहा है।
जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस रामकुमार चौबे की बेंच ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने सिंगरौली कलेक्टर को मौके का संयुक्त निरीक्षण (Joint Inspection) करने को कहा है। प्रशासन को अगले 45 दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी होगी।
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2012 से बंजर हो रही जमीनें- किसान
यह कानूनी लड़ाई ग्राम हर्रहवा के किसान कृष्णदास शाह और उनके साथियों ने शुरू की है। इन किसानों का आरोप है कि 2012 से उनकी जमीनें लगातार बंजर (soil pollution) हो रही हैं। कोयले की राख का जहरीला पानी उनके खेतों की मिट्टी को खराब कर रहा है।
किसानों ने बताया उपजाऊ जमीन अब धीरे-धीरे बंजर रेगिस्तान में तब्दील होती जा रही है। पिछले 13 साल से किसान इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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ऐश डैम रिसाव और पर्यावरणीय संकट
पावर प्लांट (Reliance Group) से निकलने वाली राख को ऐश डैम में जमा किया जाता है। यदि बांध की दीवारें कमजोर हों, तो जहरीला रसायन जमीन में रिसने लगता है। इससे न केवल मिट्टी बल्कि भूजल प्रदूषण (Groundwater Pollution) का खतरा भी बढ़ जाता है।
कंपनी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कोर्ट में जवाब
सुनवाई के दौरान रिलायंस सासन पावर की ओर से अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखा। कंपनी ने कहा कि यदि बांध में कोई लीकेज है, तो उसे सुधारेंगे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution Control Board) के वकील भी इस दौरान कोर्ट में उपस्थित रहे।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसानों के हितों की रक्षा करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। कलेक्टर की टीम मौके पर जाकर रिसाव की जमीनी हकीकत की जांच करेगी। इस निरीक्षण में किसानों और कंपनी के प्रतिनिधियों की मौजूदगी अनिवार्य की गई है।
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