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Photograph: (the sootr)
BHOPAL. मध्य प्रदेश परिवहन विभाग लंबे समय से भ्रष्टाचार और दलालों की सक्रियता को लेकर बदनाम रहा है।लेकिन इसके पीछे की एक बड़ी वजह मैदानी अमले की भारी कमी। आलम यह कि प्रदेश के सभी जिलों में आरटीओ दफ्तर प्रभार पर हैं। क्लर्क व आरटीओ के बीच की कड़ी पूरी तरह खत्म है। बड़ा सवाल यह भी है कि यह सिस्टम की सुस्ती है या सौरभ शर्मा जैसे लोग तैयार करने ये हालात जानबूझकर पैदा किए गए?
आरटीओ का पूरा ढांचा ही खाली
प्रदेश में स्वीकृत क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ)के स्वीकृत 39 पदों में से फिलहाल 38 पहले से खाली हैं। भिंड के जिला आरटीओ निर्मल कुमावत भी इसी माह रिटायर हो रहे हैं। इसके साथ ही राज्य में एक भी नियमित आरटीओ नहीं बचेगा। इस खालीपन ने विभाग को मजबूरी में सहायक आरटीओ (एआरटीओ) को प्रभारी आरटीओ बनाकर काम चलाने के लिए विवश कर दिया है।
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एक प्रभारी आरटीओ को 3-3 जिले की जिम्मेदारी
आरटीओ के साथ-साथ एआरटीओ के 64 में से 21 पद भी खाली हैं। नतीजतन, अधिकांश प्रभारी आरटीओ को दो से तीन जिलों का अतिरिक्त प्रभार संभालना पड़ रहा है। यह व्यवस्था अस्थायी समाधान तो है, लेकिन जमीनी निगरानी कमजोर कर रही है। बानगी जानिए—
- शिवपुरी की प्रभारी आरटीओ रंजना भदौरिया के पास श्योपुर और अशोकनगर का भी जिम्मा है।
- जबलपुर जैसे बड़े शहर की जिम्मेदारी छतरपुर और कटनी के आरटीओ में बांटी गई है।
- बैतूल के आरटीओ अनुराग शुक्ला छिंदवाड़ा व पांर्ढुना जिले की परिवहन व्यवस्था भी संभाल रहे हैं।
- सागर आरटीओ मनोज तेनगुरिया के पास टीकमगढ़,निवाड़ी का भी दायित्व है।
कमोवेश यही स्थिति राजगढ़,गुना,रीवा,सीधी,शहडोल,सिंगरौली,झाबुआ खरगोन,खंडवा व अन्य जिलों में भी है।
चेकिंग प्वाइंट हैं,जांच अधिकारी नहीं
प्रदेशभर में 41 वाहन चेकिंग प्वाइंट बनाए गए हैं, लेकिन इन पर तैनाती के लिए न इंस्पेक्टर हैं, न सब-इंस्पेक्टर। सब-इंस्पेक्टर के 35 पद वर्षों से खाली पड़े हैं। पहले यह कमी पुलिस प्रतिनियुक्ति से पूरी होती थी,लेकिन 2014 के बाद इस व्यवस्था पर रोक लग चुकी है।
मुख्यालय भी स्टाफ संकट से अछूता नहीं
केवल मैदानी अमला ही नहीं, बल्कि मुख्यालय स्तर पर भी अधिकारियों की कमी है। अतिरिक्त परिवहन आयुक्त का एकमात्र पद लंबे समय से खाली है। संयुक्त आयुक्त के दो में से केवल एक पद भरा हुआ है।
इसका असर नीतिगत फैसलों और फाइलों की गति पर भी पड़ रहा है।
नीचे का काम, ऊपर तक दबाव
फिटनेस जांच,लाइसेंस,परमिट जैसे कामों में तृतीय श्रेणी कर्मचारियों की भी कमी है। स्थिति यह है कि क्लर्क के बाद सीधा संपर्क प्रभारी आरटीओ से करना पड़ता है। इस खालीपन का फायदा दलाल और एजेंट उठा रहे हैं। जो दफ्तरों में फाइलें इधर-उधर करते आसानी से दिख जाते हैं।
पांच दशक पुराना ढांचा, कई गुना बढ़ा बोझ
सूत्रों के अनुसार,परिवहन विभाग का मौजूदा कैडर स्ट्रक्चर वर्ष 1980—81 में बनाया गया था। जब वाहनों की संख्या चंद लाख थी। करीब 45 वर्षों बाद हालात अब बिल्कुल उलट हैं।
तुलना करें तो महाराष्ट्र जैसे राज्य में 150 से अधिक आरटीओ और दो हजार से ज्यादा इंस्पेक्टर परिवहन व्यवस्था संभाल रहे हैं। ऐसे में मप्र में कैडर रिव्यू की जरूरत और ज्यादा महसूस होने लगी है।
वित्त ने बदले फायनेंस अफसर
एक तो विभाग में मैदानी अमले की कमी,इस पर वित्त विभाग की मार। वित्त विभाग ने चार साल की पदस्थापना का हवाला देकर विभाग के सभी अकाउंट अफसरों को बदल दिया है। सूत्रों के मुताबिक,परिवहन विभाग टैक्स आधारित राजस्व देने वाला महकमा है। जहां परिवहन की धाराओं के आधार पर राजस्व की वित्तीय गणना की जाती है। नए वित्त अधिकारियों को इसे समझने में दिक्कतें पेश आ रही है। इससे भी विभाग के कामकाज पर विपरीत असर पड़ रहा है।
विभाग में भर्ती की कवायद जारी:शर्मा
परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा मानते हैं कि विभाग में स्टाफ की कमी एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि वाहनों की फिटनेस जांचने वाले मोटर वाहन उप-निरीक्षक (एमवीएसआई)के 35 पदों की भर्ती एमपीपीएससी के जरिए प्रक्रिया में है। वहीं,क्लर्क स्तर के 29 पदों पर चयन पूरा हो चुका है।
उन्होंने कहा कि एआरटीओ समेत कई पदों पर लंबे समय से पदोन्नति न होने से ऊपरी स्तर पर रिक्तता बनी है। शर्मा ने कहा कि समस्या को चरणबद्ध तरीके से दूर करने की दिशा में प्रयास जारी हैं।
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पदोन्नति का ठहराव, जिम्मेदारी का दबाव
एआरटीओ पद पर कार्यरत अधिकारियों की बीते नौ वर्षों से पदोन्नति नहीं हुई। यही वजह है कि सहायक आरटीओ, प्रभारी आरटीओ बनकर अतिरिक्त जिम्मेदारी निभा रहे हैं। यह व्यवस्था सिस्टम को चलाए रखने का जरिया तो है, लेकिन लंबे समय का उपाय नहीं।
परिवहन विभाग में खाली पदों की स्थिति
| पद का नाम | स्वीकृत पद | रिक्त पद | वर्तमान स्थिति |
| क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (RTO) | 39 | 39 | सभी पद खाली हैं (100% रिक्तता) |
| सहायक आरटीओ (ARTO) | 64 | 21 | कई अधिकारियों के पास 2-3 जिलों का अतिरिक्त प्रभार है |
| परिवहन उप-निरीक्षक (Sub-Inspector) | 35 | 35 | सभी पद वर्षों से खाली पड़े हैं |
| मोटर वाहन उप-निरीक्षक (MVSI) | — | 35 | वर्तमान में भर्ती प्रक्रिया (MPPSC) के अधीन है |
| अतिरिक्त परिवहन आयुक्त | 01 | 01 | लंबे समय से पद खाली पड़ा है |
| संयुक्त आयुक्त | 02 | 01 | आधा ढांचा खाली है |
| उपायुक्त (Deputy Commissioner) | 10 | 08 | केवल 2 पद भरे हैं, वो भी प्रतिनियुक्ति से |
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