संजय गुप्ता, INDORE. आर्टिफिशियल इंटेंलीजेंसी (Artificial Intelligence) ने अब प्रापर्टी की गाइडलाइन भी तय करना शुरू कर दिया है। मप्र में साल 2024-25 की गाइडलाइन तय करने में पहली बार इसका उपयोग हुआ है ( Guidelines AI Use )। एआई तकनीक के जरिए हर लोकेशन के तीन साल के रिकार्ड का एनालिस किया गया है और इसके आधार पर फार्मूला बनाकर बताया गया कि कहां पर कितने दाम बढ़ाए जाने चाहिए। इसी का उपयोग इंदौर की गाइडलाइन तय करने में भी हुआ। इसके आधार पर इंदौर की करीब साढ़े चार हजार लोकेशन में से 900 लोकेशन पर दाम बढ़ाने के लिए जिला मूल्यांकन कमेटी की शनिवार को हुई बैठक में मंजूरी मिल गई।
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कलेक्टर ने भी दिया एआई के आधार पर और लोकेशन जोड़ने के आदेश
जिला पंजीयक अधिकारियों द्वारा 900 लोकेशन पर दाम बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया, हालांकि इस एआई ने इससे ज्यादा करीब 1500 लोकेशन पर दाम बढ़ाने का फार्मूला सुझाया था। लेकिन कम लोकेशन पर प्रस्ताव बढ़ाने के पीछे पंजीयक अधिकारियों ने तर्क दिया कि गंदी बस्तियां, पिछड़ी बस्तियां व पैक लोकेशन है जहां दस्तावेज कम पंजीकृत होते हैं, इसलिए वहां बढ़ाने का मतलब नहीं निकलता। फिर भी कलेक्टर ने कहा कि एआई और प्रस्ताव के बीच में गेप कम से कम किया जाए। लोकेशन को और अधिक बढ़ाया जाए और अभी 25 फीसदी बढोतरी वाली लोकेशन कम रखी गई है, इन्हें भी बढ़ाया जाए।
इंदौर में इस तरह रखे गए दाम बढ़ाने के प्रस्ताव
- 239 लोकेशन- यहां दाम 1- 10 फीसदी बढ़ेंगे, इसमें 130 शहरी और 109 ग्रामीण लोकेशन
- 436 लोकेशन- यहां दाम 10- 20 फीसदी बढ़ेंगे, इसमें 252 शहरी और 184 ग्रामीण लोकेशन
- 155 लोकेशन- यहां दाम 20- 25 फीसदी बढ़ेंगे, इसमें 101 शहरी और 54 ग्रामीण लोकेशन
- 78 लोकेशन- यहां दाम 25 फीसदी से अधिक बढ़ेंगे, इसमें 48 शहरी और 30 ग्रामीण लोकेशन
- 596 लोकेशन- यहां भी अधिक दाम पर रजिस्ट्री हुई लेकिन यहां वृदिध् के प्रस्ताव अभी नहीं है, जिसे बढ़ाने के लिए कलेक्टर ने आदेश दिए हैं।
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फोकस फिर आउटर इंदौर की ओर
दाम बढ़ोतरी के लिए फोकस मुख्य तौर पर सुपर कॉरिडोर, मेट्रो रूट, जहां ब्रिज, फ्लायओवर बन रहे वह रूट जैसे बायपास, रिंग रोड, खंडवा रोड, इंदौर-उज्जैन रोड इन पर रखा गया है। यहां पर पंजीकृत होने वाल दस्तावेजों की संख्या अधिक है। शहर के पैक हो चुके मध्य क्षेत्र व अन्य क्षेत्रों पर अधिक फोकस नहीं किया गया है, यहां सामान्य बढ़ोतरी ही है।
नोटरी वालों की कराई जाए रजिस्ट्री
वहीं रिवेन्यू बढ़ाने और दस्तावेज भी वैध करने के लिए कलेक्टर ने आदेश दिए कि जिनके पास भी संपत्ति की नोटरी है, उनके लिए रजिस्ट्री कराई जाए। इस पर पंजीयन अधिकारियो ने बताया कि नोटरी के आधार पर निगम में नामांतरण नहीं होता है, यदि निगम इनके नामांतरण कर दें और रसीद दे दे तो इस आधार पर रजिस्ट्री की जा सकती है। कलेक्टर सिंह ने इसके लिए निगमायुक्त हर्षिका सिंह को भी नियम जांचकर इस मामले में शिविर लगाकर कार्रवाई करने के लिए कहा है।