वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन के शाखा प्रबंधक और ऑपरेटर 50 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार

भ्रष्टाचार के खिलाफ जबलपुर लोकायुक्त की कार्रवाई जारी है। लोकायुक्त ने एमपी वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन शाखा प्रबंधक और ऑपरेटर को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया। जानें क्यों मांगी गई थी रिश्वत

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Neel Tiwari
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Mp Warehousing Corporation manager and operator arrested for taking bribe
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JABALPUR. मध्य प्रदेश लोकायुक्त संगठन ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम को तेज करते हुए Mp Warehousing and Logistics Corporation में बड़ा खुलासा किया है। जबलपुर के तिलसानी शाखा में संचालित इस सरकारी वेयरहाउस में भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें जम चुकी थीं। रिश्वतखोरी की इस गड़बड़ी को उजागर करते हुए लोकायुक्त पुलिस ने शाखा प्रबंधक और एक आउटसोर्स ऑपरेटर को 50 हजार की रिश्वत (bribe) लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह पूरी कार्रवाई पुलिस महानिदेशक लोकायुक्त जयदीप प्रसाद के सख्त निर्देश पर की गई, जिससे साफ है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त की कार्रवाई लगातार तेज हो रही है।

वेयरहाउस संचालक की शिकायत के बाद खुलासा

रिश्वतखोरी का यह मामला दमनीत सिंह प्रिंस भसीन की शिकायत के बाद सामने आया, जो जबलपुर के राधाकृष्ण मंदिर रोड, रांझी के निवासी हैं। उन्होंने पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त जबलपुर के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई थी कि उनका गुरु नानक वेयरहाउस, हंसापुर पड़वार रोड, तहसील कुंडम, जिला जबलपुर में संचालन हो रहा है।

दमनीत सिंह ने बताया कि 2024 में उनके वेयरहाउस में गेहूं का भंडारण किया गया था, जो सरकारी खाद्य आपूर्ति व्यवस्था का हिस्सा था। कुछ समय पहले जब इस वेयरहाउस से भंडारित गेहूं का उठाव शुरू हुआ तो यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि 100 क्विंटल गेहूं स्टॉक से गायब है। इस भारी गड़बड़ी की सूचना वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के अधिकारियों को दी गई, लेकिन अधिकारियों ने इसकी सही जांच करने या समाधान निकालने के बजाय रिश्वत की मांग कर दी।

स्टॉक की कमी छिपाने की कीमत 92 हजार

शिकायतकर्ता के अनुसार, जब इस स्टॉक की कमी का मुद्दा उठाया गया तो Mp Warehousing and Logistics Corporation, तिलसानी शाखा के प्रबंधक प्रदीप पटले ने सीधे तौर पर उनसे 92 हजार की रिश्वत मांगी। यह राशि कथित रूप से इस गड़बड़ी को दबाने और किसी भी कानूनी कार्रवाई से बचाने के लिए मांगी गई थी। शाखा प्रबंधक ने रिश्वत की यह राशि किश्तों में लेने की योजना बनाई थी, जिसमें पहली किश्त 50 हजार तय की गई। रिश्वत की मांग की पुष्टि होने के बाद, दमनीत सिंह ने लोकायुक्त पुलिस से संपर्क किया और अपनी शिकायत दर्ज करवाई।

लोकायुक्त ने बिछाया जाल, आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ा

शिकायत मिलने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने मामले की गहनता से जांच की और सत्यापन किया। जब स्पष्ट हो गया कि रिश्वत की मांग वास्तव में की जा रही है, तब 19 फरवरी 2025 को लोकायुक्त पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने के लिए जाल बिछाया। प्लान के अनुसार, शिकायतकर्ता ने शाखा प्रबंधक प्रदीप पटले और कंप्यूटर ऑपरेटर शैलेष बिसेन को रिश्वत की पहली किश्त 50 हजार देने की पेशकश की। जैसे ही दोनों ने रिश्वत की यह रकम ली, लोकायुक्त पुलिस की टीम ने उन्हें मौके पर ही रंगे हाथों पकड़ लिया।

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भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज

रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद लोकायुक्त पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधन 2018) की इन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

  • धारा 7 – लोक सेवक द्वारा रिश्वत लेना
  • धारा 12 – रिश्वत देने और लेने की साजिश
  • धारा 13(1)B – आपराधिक कदाचार
  • धारा 13(2) – लोक सेवकों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का दंड

लोकायुक्त पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच के दौरान अगर किसी अन्य अधिकारी या व्यक्ति की संलिप्तता पाई जाती है, तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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लोकायुक्त की इस टीम ने दिया ऑपरेशन को अंजाम

इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने में लोकायुक्त जबलपुर की विशेष टीम शामिल थी। टीम का नेतृत्व उप पुलिस अधीक्षक दिलीप झरवड़े ने किया, जबकि उनकी सहायता के लिए इंस्पेक्टर नरेश बेहरा, इंस्पेक्टर कमल सिंह उईके, निरीक्षक जितेंद्र यादव समेत लोकायुक्त के अन्य अधिकारी मौजूद रहे। यह पूरी कार्रवाई बेहद गोपनीय तरीके से की गई, ताकि आरोपी सतर्क न हो सकें। लोकायुक्त टीम की यह मुस्तैदी दर्शाती है कि सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए वे पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।

डीजी लोकायुक्त बोले- भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई रियायत नहीं

डीजी लोकायुक्त जयदीप प्रसाद ने इस सफल ट्रैप के बाद एक कड़ा संदेश दिया है कि प्रदेश में किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोकायुक्त टीम भ्रष्टाचार के मामलों पर सतर्कता से नजर रख रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। जयदीप प्रसाद के अनुसार, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की दिशा में लोकायुक्त का यह ऑपरेशन एक और महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने आम नागरिकों से भी अपील की कि अगर उन्हें किसी भी सरकारी विभाग में भ्रष्टाचार की जानकारी मिले, तो वे बेझिझक लोकायुक्त पुलिस से संपर्क करें।

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बड़े मगरमच्छों के नाम भी आ सकते हैं सामने

अब जब रिश्वतखोरी के इस मामले का खुलासा हो गया है, लोकायुक्त पुलिस आगे की जांच करेगी कि कैसे 100 क्विंटल गेहूं स्टॉक में कम हो गया और इस मामले में अन्य कौन-कौन से अधिकारी या कर्मचारी शामिल हो सकते हैं। लोकायुक्त पुलिस अब इस मामले में अन्य पहलुओं पर भी ध्यान दे रही है और संभावना है कि आने वाले दिनों में इस घोटाले से जुड़े और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।

लोकायुक्त की लगातार की जा रही कार्रवाई साबित कर रहीं है कि मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार करने वालों की अब खैर नहीं। सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए लोकायुक्त की टीमें लगातार सक्रिय हैं और आने वाले समय में भी ऐसे और मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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