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मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा दिसंबर 2024 में जारी की गई असिस्टेंट प्रोफेसर 2024 की भर्ती को लेकर नया पेंच फंस गया है। इस मामले में हाईकोर्ट इंदौर में याचिका लगी है। इस भर्ती में गेस्ट फैकल्टी यानी अतिथि विद्वानों के लिए 25 फीसदी पद आरक्षित किए जाने पर आपत्ति ली गई है।
यह हुआ है प्रावधान-
मप्र शासन ने फैसला लिया और सीधी भर्ती में अतिथि विद्वान के लिए 25 फीसदी पद आरक्षित कर दिए। इस आधार पर मप्र में हो रही 2024 की 1923 पदों की भर्ती में पद अतिथि विद्वान के लिए भी आरक्षित हो गए।
इस पर लगी याचिका में कहा गया, इसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है। उक्त परीक्षा में सहायक अध्यापकों को 25% आरक्षण का लाभ शासन द्वारा आदेश दिनांक 24.12.2024 के माध्यम से दिया गया था। जिसे याचिकाकर्ता सोनू जाटव द्वारा याचिका दायर कर चुनौती दी गई। जाटव के अधिवक्ता जयेश गुरनानी ने याचिका में कहा कि आरक्षण पिछड़े एवं कमजोर वर्ग के लिए बनाई गई एक संवैधानिक नीति है। सहायक अध्यापक ना तो समाज का पिछड़ा वर्ग है और ना ही कमजोर वर्ग, इसीलिए उन्हें आरक्षण दिया जाना संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध है, जिसे असंवैधानिक घोषित किया जाना चाहिए। गुरनानी के तर्क से सहमत होते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस बिनोद कुमार दिवेदी की बेंच ने इसमें नोटिस जारी कर शासन से जवाब मांगा है कि उक्त आरक्षण किस प्रकार से संवैधानिक है।
इसके पहले अतिथि विद्वान ने लगाई थी याचिका
इसके पहले अतिथि विद्वान की ओर से भी 33 याचिकाएं जबलपुर हाईकोर्ट में मार्च 2025 को लगाई गई थी। इसमें मुद्दा उठाया गया था कि शासन ने 25 फीसदी जो आरक्षण दिया है, उसमें भेदभाव किया है। यह आरक्षण सेल्फ फाइनेंस और जनभागीदारी से संचालित कॉलेजों में पढ़ाने वाले फैकल्टी को नहीं मिल रहा है। केवल रिक्त पद पर पढ़ाने वाले गेस्ट फैकल्टी को ही यह आरक्षण मिल रहा है। इस पर जबलपुर हाईकोर्ट ने सशर्त इन फैकल्टी को भी परीक्षा में बैठने की मंजूरी दी थी और रिजल्ट को याचिका के अधीन कर दिया था।
MPPSC की असिस्टेंट प्रोफेसर 2024 मामले पर एक नजर
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मप्र में इतने पद हैं असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त
मप्र में 3675 पद असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पड़े हुए हैं और 4500 अतिथि विद्वान कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं। इन्हें दो हजार/प्रतिदिन का भत्ता मिलता है।
स्कूल भर्ती में 50 फीसदी पद आरक्षित-
यदि इस मुद्दे में संवैधानिक आधार पर हाईकोर्ट आगे कुछ आदेश जारी करती है, तो इसमें फिर मुद्दा स्कूल शिक्षा विभाग की भर्ती का भी उठेगा। कारण है कि इसमें अतिथि शिक्षक के लिए 50 फीसदी पद आरक्षित होते हैं। फिर बात तो यहां भी उठेगी कि यह किस संवैधानिक आधार पर दिया जा रहा है।
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