MPPSC को लेकर हाईकोर्ट इंदौर की अहम टिप्पणी, इसी से उठे सवाल फिर रिजल्ट और अंक क्यों नहीं बताए जा रहे

मप्र लोक सेवा आयोग (MPPSC) के रिजल्ट और अंक सार्वजनिक नहीं किए जाने को लेकर इंदौर हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी आई है। वहीं, राज्य सेवा परीक्षा 2023 के रिजल्ट पर सवाल उठे हैं। आंदोलन और CM से मिलने के बावजूद, सरकार ने वादों पर कोई कदम नहीं उठाया।

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Sanjay Gupta
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INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग (MPPSC) को लेकर हाईकोर्ट इंदौर की खंडपीठ ने एक याचिका पर फैसले में अहम टिप्पणी की है। साथ ही इसी याचिका के दौरान एक उम्मीदवार का राज्य वन सेवा 2023 का रिजल्ट भी बंद लिफाफे में पेश हुआ। अब इस टिप्पणी और उम्मीदवार का फैसला हाईकोर्ट में पेश होने से कई सवाल खड़े हो गए हैं। 

पहले बताते हैं मामला क्या है-

मामला राज्य सेवा परीक्षा 2023 के उम्मीदवार विक्रांत सिंह चौधरी के केस से जुड़ा है। चौधरी प्री में फेल हुए, फिर उन्होंने प्री के सवालों पर आपत्ति ली और उन्हें सशर्त मेंस का फार्म भरने और देने की छूट मिली और केस जारी रहा।

जब दिसंबर 2024 में फाइनल रिजल्ट आया तो वह फेल हो गए। उनकी याचिका पर आगे फिर सुनवाई हुई तो जनवरी 2025 में उन्होंने आयोग पर आरोप लगाए कि इंटरव्यू में जानबूझकर कम अंक दिए। हाईकोर्ट उनके रिजल्ट को तलब किया। यह रिजल्ट हाईकोर्ट में आया और कहा कि वह फेल हैं और साथ ही हाईकोर्ट ने परीक्षा और पीएससी को लेकर अहम टिप्पणी की।

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हाईकोर्ट ने यह दो अहम टिप्पणी की...

इंटरव्यू के अंक को लेकर- 

याचिकाकर्ता ने यह तर्क देने की कोशिश की कि साक्षात्कार में अंक देना भी मनमाना है, लेकिन साक्षात्कार एक समिति द्वारा लिया जाता है। जब तक पर्याप्त और ठोस कारण दर्ज न किए जाएं, साक्षात्कार समिति द्वारा दिए गए अंकों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

पीएससी की परीक्षाओं पर-

हाईकोर्ट ने आगे कहा कि यह स्थापित कानूनी प्रस्ताव है कि न्यायालय उन चयन मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता जहां परीक्षा किसी विशेषज्ञ एजेंसी द्वारा आयोजित की जाती है और साक्षात्कार भी विशेषज्ञों द्वारा लिया जाता है, न्यायालय चयन मामलों में अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य नहीं कर सकता।

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इस याचिका से अब यह सवाल उठ रहे हैं-

  1. एक अभ्यर्थी की याचिका पर उसे रिजल्ट बताया गया, लेकिन साल 2019 से अभी तक पीएससी द्वारा केवल चयनितों के ही रिजल्ट और अंक बताए गए हैं। प्रोवीजनल कैटेगरी के 13 फीसदी का रिजल्ट तो पूरी तरह से बंद है, वहीं 87 फीसदी में ही केवल अंतिम चयन सूची में आए उम्मीदवारों के ही अंक घोषित किए गए हैं। इस कैटेगरी में भी बाकी फेल उम्मीदवारों के ना अंक बताए गए हैं और ना ही कापियां दिखाई गई है। फिर सवाल यह है कि याचिका लगाने वाले फेल उम्मीदवार का जब रिजल्ट बताया जा सकता है तो फिर अन्य का क्यों नहीं। इसमें क्या दिक्कत है
  2. दूसरा सवाल है कि हाईकोर्ट ने कहा है कि जब विशेषज्ञ एजेंसी परीक्षा कराती है तो फिर चयन मामलों में हाईकोर्ट अपीलीय प्राधिकारी के रूप में कार्य नहीं कर सकता। अब अन्य मामले देखें तो कई परीक्षाओं के रिजल्ट विविध याचिकाओं के चलते अधर में हैं। जैसे राज्य सेवा परीक्षा 2023 का रिजल्ट अभी होल्ड पर है, राज्य सेवा परीक्षा 2025 की मेंस पर रोक है,  असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती 2024 के रिजल्ट पर होल्ड है तो वहीं इसी तरह ईएसबी यानी कर्मचारी चयन मंडल की परीक्षा वर्ग टू के रिजल्ट होल्ड पर है। बिजली कंपनी के सहायक ग्रेड परीक्षा के चयनितों की ज्वाइनिंग होल्ड पर है। 

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दिसंबर के आंदोलन में हुए थे वादे, सब जीरो

दिसंबर 2024 में पीएससी के बाहर चार दिन तक दिन-रात प्रदर्शन, आंदोलन चला था। इसके बाद सभी को सीएम डॉ. मोहन यादव से भी मिलवाया हुआ।

मुख्य बात हुई कि कम से कम 87 फीसदी कैटेगरी के रिजल्ट वालों की कॉपियां दिखाई जाएंगी, इंटरव्यू प्रक्रिया में सुधार होगा, अधिक पदों पर भर्ती लाने की कोशिश होगी। लेकिन इसमें से एक भी वादे पर सरकार ने काम नहीं किया और आंदोलन के नेताओं पर कई प्रतिबंधात्मक धाराएं लगाकर जेल अलग भेजा गया। 

द सूत्र को पिता का दुखी मन से आया फोन

द सूत्र के संवाददाता को पीएससी की देरी से दुखी होकर गुरुवार 28 अगस्त को मुरैना से किसी संजय अग्रवाल का फोन आया। उन्होंने कहा कि- मेरा बेटा पीएससी की तैयारी कर रहा है, मेंस दे रहा है लेकिन चयन नहीं हो रहा है। वह कहता है नहीं पता मैं कहां फेल हो रहा हूं, ना अंक पता है ना कॉपियां दिखा रहे हैं।

अभी वह फिर 2025 की मेंस देने वाला है, लेकिन कब होगी पता नहीं। मैं मामूली परचून (किराने) की दुकान चलाता हूं, उसका हर दिन का खर्च 400 रुपए है और इतनी ज्यादा तो मेरी कमाई भी नहीं है। उसे यहां बुला लूं दुकान पर बैठा लूंगा तो शादी भी नहीं होगी। मुझे आपका नंबर मिला कि आप बात उठाते हैं, कैसे भी करके उसकी परीक्षा करा दीजिए। 

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लगातार उम्मीदवार कम हो रहे और कोचिंग भी

पीएससी परीक्षा की देरी, 13 फीसदी पद होल्ड, ओबीसी विवाद और पदों की कम होती संख्या ने युवाओं का मन पीएससी से दूर करना शुरू कर दिया है। साल 2019 की परीक्षा में करीब पौने चार लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे और 2025 की प्री में 1.19 लाख ने ही आवेदन भरे और दी एक लाख से भी कम उम्मीदवारों ने।

कोचिंग यहां पर एक तिहाई रह गई है और हर महीने ही किसी ना किसी कोचिंग में ताला डल रहा है। जब पद कम है और रिजल्ट के अते-पते नहीं तो फिर युवा अब एजुकेशन हब इंदौर में रूकना ही नहीं चाहते हैं।

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