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INDORE. मध्य प्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत पर सरकार की लीपापोती जारी है। इसके पहले 2 और 3 सितंबर को इंदौर एमवाय अस्पताल में चूहा कांड से दो नवजातों की मौत अभी ठंडी भी नहीं हुई है। लेकिन इस मामले में द सूत्र को इस मामले की जांच (या कहें मुद्दा ठंडा करने) के लिए अस्पताल स्तर पर डीन द्वारा बनाई गई जांच कमेटी की रिपोर्ट मिली है। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें सबसे गंभीर इन मौतों की बजाय ध्यान इस बात पर था कि एनआईसीयू में चूहा घूमने वाला वीडियो किसने बनाया और यह लीक होकर मीडिया में कैसे गया।
हाईकोर्ट पूछ चुका एफआईआर क्यों नहीं हुई
वहीं हाईकोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लिए गए मामले में 6 अक्टूबर को तारीख लगी थी लेकिन केस लिस्ट पर नहीं है। यानी अब इसमें आने वाले दिनों में सुनवाई संभावित है। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने बीती सुनवाई 15 सितंबर में पूछा था कि इसमें एफआईआर क्यों नहीं हुई और साथ ही पेस्ट कंट्रोल कंपनी और पीडब्ल्यूडी से भी जानकारी तलब की थी।
इन्होंने बनाया वीडियो और ऐसे हुआ लीक
इस पूरे मामले में सामने आया कि जब 30 अगस्त की रात बेबी रेहाना को चूहे द्वारा काटने की घटना सामने आई तब नर्सिंग ऑफिसर श्वेता चौहान ने इसकी जानकारी दी, लेकिन ड्यूटी डॉक्टर ने पूछा कि वाकई वह चूहा था। इस पर फिर जब बेबी को इन्क्यूबेटर से शिफ्ट किया गया, तब सुबह चार बजे फिर वह चूहा दिखा। इस पर चौहान ने वह वीडियो बना लिया और संबंधित डॉक्टर को डाल दिया। इसमें से उनके ग्रुप पीडियाट्रिक सर्जरी पर भी यह गया। उधर विभागाध्यक्ष ब्रजेश लाहोटी और अधीक्षक डॉ. अशोक यादव को भी गया। इन्होंने इसे एचएलएल कंपनी के अतुल मराठे को भेजा। यहीं से यह वीडियो लीक होकर मीडिया में गया।
जांच कमेटी ने की यह सिफारिश, वीडियो लीक नहीं हो
इस मामले में जांच कमेटी ने सख्त अनुशंसा की है कि सभी शासकीय अधिकारी व कर्मचारी हैं और शासन व अस्पताल की छवि का सवाल है। ऐसे में छवि खराब करने वाली फोटो, वीडियो निजी के पास नहीं जाना चाहिए थी, एचएलएल कंपनी निजी है उनके अतुल मराठे को भी यह वीडियो नहीं भेजा जाना चाहिए था। इन्हें शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों के बीच ही रखा जाना चाहिए।
पेस्ट कंट्रोल वाला केवल 12वीं पास, सर्टिफिकेट 1 दिन का
जांच में यह भी सामने आया कि पेस्ट कंट्रोल कंपनी एजाइल ने इसके लिए विवेक पाल को नियुक्त किया हुआ था जो केवल 12वीं पास है और इसके बाद सर्टिफिकेट के नाम पर केवल 1 दिन का कोई सर्टिफिकेट है। कंपनी के पास कोई अनुभवी व्यक्ति ही नहीं है। वहीं पाल ने भी जानकारी मिलने के बाद भी रविवार 31 अगस्त को आकर पेस्ट कंट्रोल नहीं किया और बारिश का बोल टालमटोल कर दी।
सीनियर डॉक्टर ने राउंड ही नहीं लिया
एमवाय हॉस्पिटल की जांच के दौरान सामने आया कि दो दिन तक लगातार चूहा काटने की घटना सामने आई पहले बेबी रेहाना और फिर बेबी मंजू की। इसकी जानकारी स्टाफ द्वारा दी गई, लेकिन इसके बाद भी कोई सीनियर डॉक्टर ने राउंड लेना उचित नहीं समझा। यह वरिष्ठों की लापरवाही है और इसमें कार्रवाई होना चाहिए।
प्रभारी बोले यह अधीक्षक की जिम्मेदारी थी
लाहोटी 31 अगस्त से 3 सितंबर तक छुट्टी पर थे, प्रभार डॉ. मनोज जोशी (एमवायएच प्रबंधन) के पास था। उन्होंने अपने बयान में साफ कहा कि यह जिम्मेदारी अधीक्षक और पेस्ट कंट्रोलर की है मेरी नहीं। मैं केवल प्रभार में था और चूहे एक दिन में नहीं आ गए। वैसे भी मैं सुपर स्पेशलिटी में पदस्थ हूं, यहां केवल सेवाएं दे रहा था।
लाहोटी और अधीक्षक ने भी झाड़ा पल्ला
लाहोटी ने अपने बयान में कहा कि वह डॉक्टर हैं और यह देखना उनका काम नहीं है। जनवरी में पेस्ट कंट्रोल हुआ था। वहीं अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने भी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लिया और इसे पेस्ट कंट्रोल कंपनी और ड्यूटी पर तैनात लोगों पर डाल दिया।
सरकार ने दिया शपथपत्र, हम जिम्मेदारों को नहीं बचा रहे
उधर शासन पक्ष की ओर से सीएमएचओ डॉ. माधव हसानी ने जो शपथपत्र दिया है उसमें केवल सरकार के काम गिनाए गए हैं कि वह कितनी संवेदनशील है। इसमें कहा गया है कि सरकार किसी भी जिम्मेदार को नहीं बचा रही है और इसकी निंदा करती है। सरकार बेहतर सुविधाएं दे रही है। यह भवन 75 साल पुराना है और 773 करोड़ से नया भवन बनाया जा रहा है तो तीन साल में बनकर तैयार होगा। डॉक्टर, स्टाफ की नियुक्तियां हो रही हैं और कई सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। पेस्ट कंट्रोल कंपनी को टर्मिनेट किया गया और तत्काल सभी को पेस्ट कंट्रोल के लिए आदेश जारी किए गए।
जांच कमेटी में यह थे
जांच कमेटी प्रमुख डॉ. एसबी बंसल थे। साथ में डॉ. अरविंद कुमार शुक्ला, डॉ. निर्भय मेहता, डॉ. बसंत निंगवाल, डॉ. शशिशंकर शर्मा, दयावंती दयाल आदि थे।
इनके बयान लिए गए थे
आकांक्षा बेंजामिन, नर्सिंग ऑफिसर शिशुरोग सर्जरी विभाग, श्वेता चौहान- नर्सिंग ऑफिसर, प्रवीणा सिंह, प्रभारी नर्सिंग ऑफिसर, कलावती भलावी- सहायक प्रभारी नर्सिंग ऑफिसर, माग्रेट जोसफ नर्सिंग अधीक्षक, डॉ. देवाशीष वर्मा, आरएसओ सर्जरी विभाग, डॉ. सुनील राठौर आरएसओ, डॉ. अशोक यादव- अधीक्षक, डॉ. ब्रजेश लाहोटी- विभागाध्यक्ष शिशुरोग सर्जरी, डॉ. मनोज जोशी प्राध्यापक शिशुरोग सर्जरी, प्रबंधक एचएलएल अतुल मराठे, विवेक पाल पेस्ट कंट्रोलर व अन्य।
जयस ने कहा आंदोलन जारी रहेगा
वहीं इस मामले में सात दिन तक दिन-रात आंदोलन करने और रैली निकालने वाले जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दे ने कहा कि जयस चूहा कांड में डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया, अधीक्षक डॉ. अशोक यादव सहित जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहा है। जिला प्रशासन द्वारा हाई कोर्ट में मामला होने का हवाला दिया जा रहा था जिस कारण आंदोलन 6 अक्टूबर तक स्थगित किया गया था।
सरकार दोषियों को बचाने का प्रयास कर रही है। ऐसा क्या कारण है कि भोपाल से राज्य शासन की कमेटी योगेश भरसट आई ए एस की अध्यक्षता में जांच करने आई थी उस रिपोर्ट को सरकार दबाने का प्रयास कर रही है। भरसट की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। शासन ने भी हाई कोर्ट के समक्ष असत्य दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं।
राज्य स्तर की जांच कमेटी की रिपोर्ट में कुछ तथ्य सामने आए होंगे जिससे डीन और अधीक्षक सहित जिम्मेदार अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होती होगी जिससे उन्हें बचाने के लिए रिपोर्ट को दबाया जा रहा है। रिपोर्ट को पुलिस को भी नहीं दी जा रही है। उस रिपोर्ट में कुछ तथ्य ऐसे हैं जिसके कारण जिम्मेदारों पर एफआईआर भी हो सकती है इसलिए इस रिपोर्ट को पुलिस को भी नहीं दी जा रही है। मृतक बच्ची के पिता देवाराम ने संयोगितागंज थाने में आवेदन देकर राज्य शासन की रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।