नक्सलियों के ठिकाने से मिली सरकारी रायफल, MP एटीएस ने देश के नौ राज्यों को भेजा अलर्ट
बालाघाट में नक्सलियों के ठिकाने से एक सरकारी रायफल बरामद हुई, जो सेना और पुलिस को दी जाती है। रायफल पर सरकारी बैच नंबर और रिकॉर्ड दर्ज है। इस बरामदगी ने सुरक्षा तंत्र को भीतर तक झकझोर दिया है।
BHOPAL.मध्यप्रदेश के जंगलों में माओवादियों पर चली गोलियों की आवाज भले ही थम चुकी हो, लेकिन बालाघाट ऑपरेशन के बाद बड़ी खबर सामने आई है। यह खबर देश के सुरक्षा ढांचे को भीतर तक झकझोरने वाली है।
दरअसल, बालाघाट जिले में कुछ महीने पहले नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई थी। मुठभेड़ खत्म होने के बाद जब पुलिस ने इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया तो नक्सलियों के ठिकाने से एक सरकारी रायफल बरामद हुई है, जिस पर सरकारी बैच नंबर साफ लिखा है। यह रायफल कोई साधारण हथियार नहीं, बल्कि वही 7.62 एमएम एसएलआर रायफल है, जो सेना और एमपी पुलिस के जवानों को दी जाती है। रायफल का बॉडी नंबर 15610094 और ब्रीच ब्लॉक नंबर 1005001570 सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है। नक्सलियों के ठिकाने से मिली सरकारी रायफल
यह खुलासा होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि यह सरकारी हथियार नक्सलियों के पास पहुंचा कैसे? यह रायफल न मध्यप्रदेश में कहीं चोरी हुई, ना ही इसकी लूट की कोई शिकायत दर्ज है। यानी यह हथियार बिना किसी को भनक लगे गायब हुआ और सीधा नक्सलियों के पास पहुंच गया।
इस घटना के बाद मध्यप्रदेश एटीएस (MP ATS) चीफ पंकज कुमार श्रीवास्तव ने देश के 9 राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को चिट्ठी लिखकर अलर्ट किया है। जिन राज्यों को यह चेतावनी भेजी गई है, उनमें झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इन राज्यों से पूछा गया है कि कहीं यह रायफल उनके यहां से तो नहीं गायब हुई? साथ ही चेतावनी दी है कि यह सुरक्षा बलों की संवेदनशीलता और गोपनीयता पर बड़ा खतरा हो सकता है।
सिस्टम में सेंध की आशंका!
गृह मंत्रालय ने पहले ही ऐलान किया है कि मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म करना है। खुद गृहमंत्री अमित शाह राज्यों को साफ कह चुके हैं कि नक्सलियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। अब मध्यप्रदेश बालाघाट से निकली यह खबर बताती है कि नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई के बीच कहीं न कहीं सिस्टम में भी सेंध है। जांच एजेंसियां पता लगाने में जुटी हैं कि आखिर यह रायफल नक्सलियों तक कैसे पहुंची? क्या किसी ने अंदर से मदद की? या फिर यह कहीं से छीन ली गई?
सतर्क हुईं सुरक्षा एजेसियां
फिलहाल, सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। नौ राज्यों से जवाब मांगा गया है। जांच के बाद ही साफ होगा कि इस सरकारी रायफल की चोरी या गुमशुदगी के पीछे कौन जिम्मेदार है। साफ है कि अगर अंदर ही अंदर कोई गड़बड़ हो रही है तो सबसे पहले उसी पर सख्त कार्रवाई जरूरी है। जंगल के बाहर बैठा दुश्मन तो दिखता है, लेकिन सिस्टम में छिपा गद्दार ज्यादा खतरनाक है। यही वजह है कि बालाघाट की मुठभेड़ ने पूरे देश में सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है।
बालाघाट की मुठभेड़ से निकला यह मामला आंतरिक सुरक्षा पर गहरा सवाल है, जिसमें जवाबदेही सिर्फ जंगलों में गोली चलाने से पूरी नहीं होगी। असली चुनौती यह है कि सिस्टम की उन दरारों को बंद किया जाए, जहां से हथियार बाहर निकल रहे हैं। फिलहाल, एटीएस ने अलर्ट कर दिया है, जांच बैठा दी गई है और जवाब तलब कर लिए गए हैं। बड़ा सवाल यही है कि जंगल में बैठे दुश्मनों को ढूंढ निकालना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है सिस्टम में छिपे गद्दारों को बेनकाब करना। अगर यह जहर अंदर से ही फैलता रहा तो बंदूक की नली से बाहर उठती गोलियों को रोकना मुश्किल होगा।