कमलेश सारडा@NEEMUCH
नीमच की महिला डॉक्टर आकांक्षा सिंह को व्हाट्सएप स्टेटस की वजह से निलंबित किया गया है। उन्होंने हाल ही में राजगढ़ से नीमच स्वैच्छिक स्थानांतरण लिया था। उनके स्टेटस को विभागीय आचार संहिता का उल्लंघन माना गया। विभाग ने उनकी भाषा और संदर्भ को अनुशासनहीन बताया। निलंबन के दौरान उनका मुख्यालय खरगोन जिला अस्पताल रखा गया है। यह घटना सरकारी कर्मचारियों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर सवाल उठाती है। डॉक्टर ने 27 मई को एक स्टेटस पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने अपने स्थानांतरण और विभागीय व्यवहार को लेकर अप्रत्यक्ष आलोचना की।
डॉ. सिंह ने अपने स्टेटस में लिखा...
डॉ. सिंह ने लिखा, “याद रहे स्वयं के व्यय पर और अपनी मनचाही जगह पर... पीछा छूटा... अपना तो...” इसके साथ ही एक और टिप्पणी की, “नोट: लेटर हेड पर जिन आदरणीय ने उछल-उछलकर लिख कर दिया था कि हमारा ट्रांसफर कर दिया जाए, वह अपनी एप्लिकेशन डस्टबिन से उठा लें, वह वहीं पड़ी है अब तक।”
इस स्टेटस में किसी का नाम नहीं था, पर संदर्भ और भाषा को विभाग ने अनुशासनहीन माना।
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स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई और निलंबन का कारण
स्वास्थ्य विभाग ने इसे सरकारी कर्मचारी के मर्यादित आचरण के खिलाफ माना और डॉ. आकांक्षा सिंह को तत्काल निलंबित कर दिया। निलंबन के दौरान उनका मुख्यालय जिला अस्पताल खरगोन रखा गया है।
डॉ. आकांक्षा सिंह ने हाल ही में राजगढ़ से नीमच स्वैच्छिक स्थानांतरण मांगा था जिसे मंजूर किया गया था। इसके बाद उन्होंने यह विवादित स्टेटस पोस्ट किया।
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सरकारी कर्मचारियों की सोशल मीडिया गतिविधियों पर सवाल
यह घटना सरकारी कर्मचारियों के सोशल मीडिया उपयोग और आचार संहिता पालन पर सवाल उठाती है। विभागीय नियमों के अनुसार सरकारी सेवकों को सोशल मीडिया पर संभलकर और मर्यादित भाषा का प्रयोग करना होता है।
सरकारी कर्मचारियों के लिए आचार संहिता में स्पष्ट निर्देश हैं कि वे सरकारी मामलों और विभागीय नीतियों पर सोशल मीडिया पर टिप्पणी करते समय सावधानी बरतें।
निलंबन के बाद स्थिति क्या है?
डॉ. आकांक्षा सिंह फिलहाल निलंबित हैं और उनके खिलाफ जांच जारी है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
सस्पेंड | मध्यप्रदेश
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