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Photograph: (thesootr)
BHOPAL. नेशनल मेडिकल कमीशन पर मेडिकल कॉलेजों से लेनदेन कर मान्यता देने के आरोपों के बाद NCISM ने प्रोटोकॉल सख्त कर दिए हैं। अब भारतीय चिकित्सा प्रणाली से संबंधित आयुष कॉलेजों की मान्यता के लिए आयोग में सीधी मुलाकात नहीं हो पाएगी।
आयुर्वेद, यूनानी, सिद्धा सहित अन्य भारतीय चिकित्सा पद्धति आधारित कॉलेज के संचालक आयोग के अध्यक्ष या सदस्यों से मिलते समय उपहार, बुके या अन्य कोई वस्तु भेंट नहीं कर सकेंगे। इसके लिए आयोग ने गाइडलाइन में बदलाव कर प्रोटोकॉल में सख्ती की है।
मेलजोल से भ्रष्टाचार पनपने का अंदेशा
मध्य प्रदेश सहित देशभर में भारतीय चिकित्सा पद्धतियों पर आधारित चिकित्सा विज्ञान कॉलेजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आयुर्वेद, यूनानी पद्धतियों पर संचालित आयुष कॉलेजों का मध्य प्रदेश में भी विस्तार हुआ है।
आयूष कॉलेजों को मान्यता के लिए संचालकों का राष्ट्रीय आयोग NCISM में आना- जाना लगा रहता है। राष्ट्रीय आयोग ने अपने अधिकारियों और संचालकों के बीच बढ़ते मेलजोल से भ्रष्टाचार की शुरूआत की आशंका को देखते हुए नई व्यवस्था दी है।
साल 2025-26 के लिए मध्य प्रदेश के 39 आयुर्वेदिक, यूनानी सहित आयुष कॉलेजों को मान्यता मिली है। वहीं देश के अन्य राज्यों में भी आयुष चिकित्सा कॉलेजों की संख्या में इजाफा हुआ है।
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आयुष कॉलेजों की बढ़ रही संख्या
ऐलोपैथिक के साथ ही अब आयुर्वेदिक, यूनानी और भारतीय चिकित्सा पद्धति पर आधारित चिकित्सा से उपचार में लोगों का रुझान बढ़ा है। इसी वजह से अब आयुष चिकित्सा कॉलेजों में भी बीएएमएस और बीयूएमएस जैसे पाठ्यक्रमों में छात्र एडमिशन ले रहे हैं।
आयुष कॉलेजों की ओर छात्रों के रुझान के कारण अब मध्य प्रदेश में भी इनकी स्थापना बढ़ रही है। इसके लिए भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग के मध्य प्रदेश दौरे और कॉलेज संचालकों की आयोग में आवाजाही बढ़ी है। इससे आयोग के सदस्यों और कॉलेज प्रबंधन के बीच मुलाकातों का सिलसिला भी अधिक हुआ है।
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आयोग के बाहर मुलाकात पर रोक
बीते महीनों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान सहित अन्य राज्यों में मेडिकल कॉलेजों की मान्यता के मामले में नेशनल मेडिकल कमीशन पर आरोप लगे हैं। एनएमसी के अधिकारियों की साठगांठ भी सामने आ चुकी है। एमबीबीएस पाठ्यक्रमों के संचालन की मान्यता देने वाले आयोग के आरोपों में घिरने के बाद भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग ने कसावट शुरू कर दी है।
NCISM के कॉलेज प्रबंधनों को भी नए प्रोटोकॉल के पालन की हिदायत दी है। आयोग के प्रोटोकॉल के अनुसार अब आयुष कॉलेज प्रबंधन से कोई भी आयोग के अधिकारियों से सीधी मुलाकात नहीं कर सकेगा। इसके लिए उन्हें विधिवत सूचना देकर समय लेना होगा। इसके लिए संबंधित कॉलेज के प्राचार्य की ओर से आयोग को सूचना देना जरूरी होगा। निर्धारित समय पर आयोग में ही मुलाकात करना होगी और आयोग के बाहर मुलाकात नहीं की जाएगी।
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नए प्रोटोकॉल पर विरोधाभास
भारतीय चिकित्सा प्रणाली राष्ट्रीय आयोग के नए प्रोटोकॉल से आयुष कॉलेज प्रबंधन के सदस्य असहज हैं। आयुष कॉलेज प्रबंधन और सरकारी आयुष कॉलेज के अधिकारियों का कहना है उन्हें लगातार किसी न किसी काम के चलते आयोग में उपस्थिति दर्ज करानी होती है। ऐसे में बार- बार समय लेकर मुलाकात करना मुश्किल भरा होगा।
वहीं आयुष चिकित्सा एसोसिएशन के पदाधिकारी डॉ. राकेश पांडेय का मानना है नई गाइडलाइन पारदर्शी व्यवस्था बनाने लागू की गई है। इससे आयुष कॉलेजों की जवाबदेही तय होगी और मान्यता संबंधी प्रकरणों में आयोग के अधिकारी भी भ्रष्टाचार से दूर रहेंगे। इसके बावजूद यदि आयोग के अधिकारी या कॉलेज प्रबंधन प्रोटोकॉल की अनदेखी करेंगे तो उन पर कार्रवाई तय की जाएगी।
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