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INDORE. जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा 28 जनवरी को यूथ फॉर इक्वेलिटी की एक याचिका (18105/2021) खारिज कर दी गई है। यह फैसला मेरिट पर नहीं होकर मेंटेनेबल है या नहीं इस आधार पर की गई है। इसके बाद से ही प्रदेश में मुद्दा चल रहा है कि अब 87-13 फीसदी फार्मूला खत्म होगा और ओबीसी का रुका हुआ 27 फीसदी आरक्षण मिल जाएगा। लेकिन मप्र सरकार के ही मंत्री विश्वास सारंग ने साफ कर दिया है कि हम ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देना चाहते है लेकिन मामला अभी कोर्ट याचिकाओं में उलझा है।
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सबसे अहम बात
सबसे अहम तथ्य है कि यूथ फॉर इक्वेलिटी की याचिका 18105/2021 पर हाईकोर्ट जबलपुर ने ने मप्र शासन के 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने के दो सितंबर 2021 के सर्कुलर पर स्टे 4 अगस्त 2023 को दे दिया। लेकिन मप्र शासन जीएडी ने 87-13 फीसदी का फार्मूला तो 29 सितंबर 2022 को पीएससी को पत्र जारी कर लागू कर दिया। यानी साफ है कि यह फार्मूला इसके पहले आया और यह हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण के विविध मामले में लंबित याचिकाओं के चलते रुकी भर्तियों को जारी करने के लिए जीएडी ने दिया।
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पहले आखिर यूथ फॉर इक्वेलिटी में आर्डर क्या था
यह याचिका 18105/21 मप्र शासन जीएडी द्वारा दो सितंबर 2021 को जारी सर्कुलर के खिलाफ लगी थी। जिसके तहत मप्र में 27 फीसदी आरक्षण को लागू करने का आदेश था। इसमें था कि जिन भर्तियों में ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी देने पर अंतरिम रोक है, उन्हें छोड़कर बाकी में 27 फीसदी आरक्षण दिया जाए। इस याचिका के तहत 4 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू और जस्टिस अमरनाथ ने इस सर्कुलर को स्टे कर दिया और इस याचिका को मूल याचिका 5901/2019 के साथ लिंक कर दिया जिसमें हाईकोर्ट ने 14 फीसदी से अधिक ओबीसी आरक्षण पर अंतरिम रोक लगाई थी। अब यही यूथ इक्वेलिटी की याचिका खारिज हुई है।
इस मुद्दे पर अब कई और पेंच के खुलासे द सूत्र कर रहा है
इस मुद्दे पर लगातार 'द सूत्र' सटीक और सबसे पहले खबर देता आया है। पहले जबलपुर हाईकोर्ट में जो हुआ वह सबसे पहले बताया और फिर सरकार में क्या तकनीकी पेंच चल रहे है वह विस्तार से बताया। अब इसमें और क्या सब पेंच है इसके खुलासे द सूत्र कर रहा है।
87-13 फार्मूले के पत्र में खारिज याचिका का जिक्र नहीं
यह है कि जो बात कही जा रही है कि 87-13 फीसदी का फार्मूला यूथ फॉर इक्वेलिटी की याचिका के मामले में ही दिया गया था। लेकिन जीएडी का पत्र कुछ और कहता है। इसके लिए जीएडी का 87-13 फीसदी फार्मूला लागू करने वाला 29 सितंबर 2022 का पत्र देखा जा सकता है जो उन्होंने मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) को राज्य सेवा परीक्षा 2019 व अन्य परीक्षाओं की लंबित भर्ती रिजल्ट के चलते लिखा था।
जीएडी के सचिव डॉ. श्रीनिवास शर्मा ने यह पत्र 29 सितंबर 2022 को मप्र लोक सेवा आयोग को लिखा था। इसमें है कि ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने पर हाईकोर्ट में 5901/2019 व अन्य याचिकाएं लंबित है। हाईकोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेश के तहत आयोग द्वारा संचालित विविध परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने में कठिनाई हो रही है। इसलिए हाई कोर्ट द्वारा पारित अंतरिम आदेशों के मद्देनजर निर्देशित किया जाता है कि राज्य सेवा व अन्य भर्ती परीक्षाओं का रिजल्ट दो भाग 87 व 13 फीसदी में (जिसके लिए 13 फीसदी ओबीसी व अनारक्षित) पर रिजल्ट घोषित किया जाए। यानी इसके मायने- यानी इसके मायने साफ है कि यह फार्मूला 87-13 का यूथ फॉर इक्वेलिटी की याचिका 18105/21 से नहीं आया। हां इस याचिका जरिए मप्र शासन के दो सितंबर 2021 को जारी 27 फीसदी आरक्षण दिए जाने के सर्कुलर को स्टे जरूर कर दिया गया था।
दूसरा पेंच- ईएसबी पत्राचार में खारिज याचिका का जिक्र
दूसरी बड़ी बात यह है कि ईएसबी यानी कर्मचारी चयन मंडल ने यह 87-13 फीसदी फार्मूला बाद में लगाया और ईएसबी ने अपनी सभी भर्ती विज्ञप्ति और सूचना के अधिकार में उम्मीदवारों को दी गई जानकारियों में 87-13 फीसदी फार्मूले का कारण यूथ फार इक्वेलिटी वाली 18105/21 की याचिका को कारण बताया है। यानी ईएसबी के पत्राचार के हिसाब से यह फार्मूला 5901/19 याचिका से नहीं आया, बल्कि अब खारिज हो चुकी यूथ फॉर इक्वेलिटी वाली याचिका से आया था। यानी इसमें पेंच है। हालांकि ईसएबी की भर्ती विज्ञापन में ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी ही बताया गया है। वहीं यह भी सही है कि ईएसबी कई परीक्षाओं में जैसे पटवारी भर्ती में ही 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण देकर नियुक्ति दे चुका है।
3- तीसरा पेंच- पीएससी भर्ती विज्ञापन में अलग याचिकाएं
अब इसमें तीसरा और बड़ा पेंच है कि पीएससी की सभी भर्तियों और रिजल्ट के लिए जारी विज्ञापनों में खारिज याचिका का हवाला नहीं है। बल्कि इसमें सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी 8764/2023 का हवाला है। सुप्रीम कोर्ट की यह याचिका हाईकोर्ट जबलपुर की दो याचिकाओं 24847/22 और 8750/22 के कारण है। सुप्रीम कोर्ट में लगी एसएलपी पर संभावित तारीख 4 फरवरी लगी हुई है।
चौथा पेंच- मूल याचिका अभी सुप्रीम कोर्ट में
वहीं इस पूरे मामले में सबसे बडी और मूल याचिका है 5901/2019 जो अब हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट शिफ्ट हो चुकी है। यह मेडिकल आफिसर की भर्ती को लेकर थी और जब 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण किया गया तब यह आशिता दुबे द्वारा लगी पहली याचिका थी। इसमें हाईकोर्ट जस्टिस रविशंकर झा और जस्टिस संजय दिवेदी की बेंच ने 19 मार्च 2019 को ओबीसी को 14 फीसदी से अधिक आरक्षण देने पर अंतरिम रोक लगा दी। इसी तरह एक अन्य याचिका 2927/22 में भी 5901 वाला ही आदेश अंतरिम लागू करते हुए इसे भी लिंक कर दिया गया। यह जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस एमएस भाटी ने 16 फरवरी 2022 को आदेश दिया।
5- 87 फीसदी की मेरिट जारी करने वाली याचिका भी अहम
मप्र हाईकोर्ट में एक याचिका 5596/2024 भी इसके लिए लगी थी कि हमारे 87 फीसदी और 13 फीसदी की मेरिट लिस्ट जारी की जाए। ताकि पता चल सके कि जब 27 फीसदी ओबीसी का निराकरण हो तो हम चयनित भी है या नहीं, यह खुलासा हो। इसमें चार अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट ने मेरिट सूची जारी करने का अधिकार दिया, फैसला नहीं मानने पर 16 जुलाई को हाईकोर्ट ने शासन पर 50 हजार की कास्ट लगाई। इसके बाद यह याचिका भी 5901 के साथ लिंक हो गई।
6- सुप्रीम कोर्ट में 69 याचिकाएं भी ट्रांसपर
वहीं 27 फीसदी आरक्षण को लेकर करीब 69 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर हो चुकी है। हालांकि अभी तक इसमें सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई, केस डायरी नंबर भी अभी जनरेट नहीं हुआ है।