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Jabalpur. नर्सिंग से जुड़ी भर्ती में 100% महिला आरक्षण दिए जाने का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच चुका है। कोर्ट ने सरकार सहित ESB को नोटिस जारी किया है। कोर्ट में सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में 100% महिला आरक्षण वाली भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ याचिका दायर हुई है।
कोर्ट ने राज्य सरकार सहित ESB और मेडिकल बोर्ड को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। कोर्ट ने इस भर्ती विज्ञापन पर याचिकाकर्ताओं की दलीलों को सुनने के बाद सरकार को अपना पक्ष पेश करने का समय दिया है। अगली सुनवाई 5 जनवरी 2026 को होगी।
286 पदों में 100% महिला आरक्षण
मध्य प्रदेश के सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में 286 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इन पदों में सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सिस्टर ट्यूटर शामिल है। अब इस विज्ञापन को लेकर विवाद खड़ा हो गया है।
इस भर्ती विज्ञापन में महिलाओं को सभी पदों पर आरक्षण दे दिया गया है। इसमें पुरुष उम्मीदवारों को आवेदन करने से पूरी तरह वंचित रखा गया है, जो संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
जबलपुर के नौशाद अली की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि, इस भर्ती प्रक्रिया में पुरुष उम्मीदवारों को मौका ही नहीं दिया गया। इससे संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), अनुच्छेद 15 (भेदभाव निषेध) और अनुच्छेद 16 (समान अवसर) का उल्लंघन हो रहा है।
पुरुषों से छीन लिया रोजगार का अवसर
याचिकाकर्ता के वकील विशाल बघेल ने कोर्ट को बताया है। मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल (ESB) के समूह-1 व समूह-2 संयुक्त भर्ती परीक्षा 2025 के विज्ञापन में नियमों को अनदेखा किया गया है। इसमें केवल महिला उम्मीदवारों को ही पात्र माना गया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है।
इंद्रा साहनी केस का दिया गया हवाला
सोमवार 29 दिसंबर को वेकेशनल बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट में यह बताया गया कि यह भर्ती प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के जरिए तय की गई 50% आरक्षण की सीमा का उल्लंघन है। जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने इंद्रा साहनी मामले में स्पष्ट किया था। इस सीमा के अनुसार किसी भी सामाजिक या लैंगिक समूह के पक्ष में 50% से अधिक आरक्षण देना अवैध माना गया है।
ESB और मेडिकल बोर्ड डायरेक्टर को नोटिस
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस अमित सेठ और जस्टिस हिमांशु जोशी की बेंच ने नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में एमपी सरकार, ESB और मेडिकल एजुकेशन बोर्ड को शामिल किया गया है।
पांच जनवरी 2026 को अगली सुनवाई में सरकार और विभाग की ओर से अपना पक्ष रखा जाएगा। अब ESB और मेडिकल बोर्ड के सामने चुनौती होगी कि वह भर्ती विज्ञापन के पीछे के तर्क और कानूनी आधार को कोर्ट में कैसे स्पष्ट करते हैं। जबलपुर हाईकोर्ट
समान अवसर के अधिकार का हुआ हनन
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत, हर नागरिक को समानता का अधिकार है। इसके साथ ही, उन्हें रोजगार के समान अवसर भी मिलते हैं। जबकि महिला उम्मीदवारों को आरक्षण देना प्रोत्साहन का एक रूप है। पूरी तरह से पुरुष उम्मीदवारों को बाहर रखना संवैधानिक समीकरण में विवादास्पद माना जाता है। इसी कारण जबलपुर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है। नर्सिंग भर्ती
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