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Photograph: (thesootr)
BHOPAL. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (NVDA) में अरबों रुपए के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। जबलपुर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में पिछले पांच माह से चीफ इंजीनियर का पद खाली पड़ा है। हाल ही में एक पद पर प्रमुख अभियंता डीएल वर्मा को प्रभार सौंपा गया, लेकिन उनके खिलाफ विभागीय जांच और शास्ति की कार्रवाई चल रही है।
जानकारी के अनुसार, वर्मा पर अनियमितताओं के कई मामले लंबित हैं, फिर भी उन्हें अहम जिम्मेदारी दी गई है। दूसरा चीफ इंजीनियर का पद अब तक रिक्त है, जबकि सनावद में यह जिम्मेदारी हाल ही में एसई सीएल आरख को दी गई है।
मुख्यालय में बैठे अधिकारी, फील्ड की निगरानी ठप
वर्तमान में चीफ इंजीनियर डीएल वर्मा को जबलपुर का प्रभार दिया गया है, लेकिन वे भोपाल में बैठकर वहां के निर्माण कार्यों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। दूसरी ओर सीएल आरख भी भोपाल मुख्यालय में तैनात हैं और विधानसभा कार्य के कारण फील्ड में नहीं जा पा रहे।
आरख को सनावद का चीफ इंजीनियर बना दिया गया है, जबकि वे पांच माह बाद रिटायर होने वाले हैं। इससे नर्मदा घाटी के निर्माण कार्यों की निगरानी लगभग ठप पड़ी है और प्रोजेक्ट की गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
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रिश्वत के आरोपों ने बढ़ाई हलचल
पूर्व विधायक और संयुक्त क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष किशोर समरीते ने इस मामले में मुख्य सचिव को शिकायत पत्र भेजा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में पांच करोड़ रुपए की रिश्वत लेकर डीएल वर्मा की पदस्थापना की गई।
समरीते ने लिखा कि वर्मा के खिलाफ कई शिकायतें और विभागीय जांच लंबित हैं, इसके बावजूद सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों का उल्लंघन करते हुए उन्हें सदस्य अभियांत्रिकी (Chief Engineer) के पद पर नियुक्त किया गया।
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बिना सीएम की अनुशंसा के पदस्थापना
शिकायत में कहा गया है कि इस पदस्थापना के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के आदेशों की अवमानना की गई। समरीते के अनुसार, प्रमुख सचिव (नर्मदा घाटी विकास) ने नौशाद नामक व्यक्ति के माध्यम से रिश्वत लेकर यह नियुक्ति कराई। बिना मुख्यमंत्री की अनुशंसा के आदेश भी जारी कर दिए गए। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की लोकायुक्त जांच की मांग की है, ताकि नियम विरुद्ध नियुक्तियों और भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सके।
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पैसे लेकर पद देने की प्रवृत्ति पर लगे रोक
पूर्व विधायक किशोर समरीते ने कहा कि राज्य में पैसे लेकर की जा रही पदस्थापनाओं पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। जांच में फंसे अभियंता डीएल वर्मा को पद से हटाकर किसी योग्य अधिकारी को जिम्मेदारी दी जानी चाहिए।
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