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ओबीसी आरक्षण के लिहाज से 14 जनवरी बेहद अहम तारीख साबित हो सकती है। आज शुक्रवार को सर्वोच्च अदालत में ओबीसी आरक्षण से जुड़ी ट्रांसफर याचिकाओं पर सुनवाई होगी, जो सरकार ने लगाई हैं। इससे पहले गुरुवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधि विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों के साथ अहम बैठक की। बैठक में एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों और AG से ओबीसी आरक्षण की कानूनी स्थिति जानी और जल्द सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन लगाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने दिए दिशा-निर्देश
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि उनकी सरकार बनने के पहले से ही 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को लेकर कोर्ट में कई याचिकाएं लगी हुई हैं। जिन पर जल्द सुनवाई होना चाहिए, इसलिए AG जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट में आवेदन लगाएं। बीजेपी सरकार 27% ओबीसी आरक्षण लागू करना चाहती है और ये बात सुप्रीम कोर्ट में पूरी ताकत से रखना है। फिर कोर्ट के आदेश के मुताबिक सरकार कदम बढ़ाएगी। इसके अलावा एससी और एसटी वर्ग को भी कानून के तहत आरक्षण दिया जाएगा।
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जल्द हो मामले का निपटारा
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि हाईकोर्ट के ताजा फैसले (28 जनवरी) को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति बन रही है। इसलिए AG पूरी पारदर्शिता के साथ हर कानूनी पहलू स्पष्ट करें और जल्द से जल्द मामले का निपटारा करवाएं। ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई को लेकर मुख्यमंत्री की यह पहल बहुत महत्वपूर्ण है।
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क्या है ओबीसी आरक्षण विवाद ?
बताते चलें कि मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण का कानूनी विवाद लंबे वक्त से चला आ रहा है। इस विवाद पर ओबीसी वर्ग के पक्ष में बीते 28 जनवरी को हाईकोर्ट ने अहम आदेश सुनाया है। कोर्ट ने वो जनहित याचिका निरस्त कर दी, जिसमें ओबीसी को 27% आरक्षण देने के राज्य सरकार के 2019 के प्रशासनिक निर्णय को चुनौती दी गई थी। 2021 में सागर की संस्था यूथ फॉर इक्वालिटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर ही 4 अगस्त 2023 को कोर्ट ने 87:13% का फॉर्मूला तय किया था, जिससे मामला विवादित हो गया था, क्योंकि इसके बाद से तमाम सरकारी भर्तियां प्रभावित हो रही हैं। इसके अंतर्गत राज्य सरकार के निर्णय अनुसार ओबीसी के लिए बढ़ाए गए 13 प्रतिशत पदों को होल्ड कर बाकी 87 प्रतिशत पदों पर पूर्ववत आरक्षण व्यवस्था से भर्ती लागू रखने के निर्देश दिए गए थे।
याचिका के साथ इस आदेश को भी निरस्त करने के साथ कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई बाधा नहीं है। ऐसे में प्रदेश में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। होल्ड 13 प्रतिशत पदों पर भी भर्ती हो सकेगी। ये खबर सबसे पहले द सूत्र ने ही ब्रेक की थी।
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एडवोकेट जनरल के अभिमत से शुरू हुआ था विवाद
प्रदेश के तत्कालीन महाधिवक्ता की ओर से 26 अगस्त, 2021 को दिए गए अभिमत के आधार पर सामान्य प्रशासन विभाग ने 2 सितंबर 2021 को एक परिपत्र जारी कर ओबीसी वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ देने की अनुमति प्रदान की थी। इनमें नीट पीजी प्रवेश परीक्षा 2019-20, पीएससी द्वारा मेडिकल आफिसर भर्ती-2020 और हाई स्कूल शिक्षक भर्ती के पांच विषय सम्मलित थे। हाईकोर्ट ने चार अगस्त, 2023 को अंतरिम आदेश के तहत सामान्य प्रशासन विभाग के इस परिपत्र पर रोक लगा दी थी। आशय यह था कि सभी नियुक्तियों में ओबीसी को पूर्ववत 14 प्रतिशत आरक्षण ही दिया जाएगा।
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