रविकांत दीक्षित, ग्वालियर. मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड के जिम्मेदारों ने जीएसटी के नाम पर सरकार को 29 करोड़ रुपए की चपत लगाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन 'द सूत्र' की खबर के बाद कलई खुल गई है। खबर प्रकाशित होने के बाद पुराना टेंडर रद्द कर दिया गया है। दो दिन पहले इसके आदेश जारी हो गए हैं।
मामला ग्वालियर का है। यहां न्यू थाटीपुर में आवासीय और कमर्शियल कॉम्पलेक्स निर्माण होना है। इस मामले में EOW में शिकायत की गई थी। शिकायतकर्ता का आरोप था कि ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए अधिकारी उससे जीएसटी नहीं ले रहे हैं। EOW की एआईजी पल्लवी त्रिवेदी ने सरकार से जीएसटी के नाम पर बोर्ड को चपत लगाने के बारे में जानकारी मांगी। पड़ताल के बाद अब इस प्रकरण में हाउसिंग बोर्ड मुख्यालय ने ग्वालियर के डिप्टी हाउसिंग कमिश्नर को पत्र लिखकर कहा है कि इस प्रोजेक्ट के टेंडर जब भी जारी हों, तब उसमें यह शर्त आवश्यक रूप से जोड़ी जाए कि जीएसटी ठेकेदार ही भरेगा।
क्या था शिकायत में?
शिकायतकर्ता का आरोप था कि मध्यप्रदेश हाउसिंग बोर्ड (Madhya Pradesh Housing Board ) के अध्यक्ष आशुतोष तिवारी, कमिश्नर चन्द्रमौली शुक्ला सहित तकनीकी सलाहकार बीके अग्निहोत्री और ग्वालियर संभाग-2 के कार्यपालन यंत्री सूर्यकांत शर्मा ने बोर्ड को 29 करोड़ रुपए की चपत लगाने की तैयारी कर ली थी। शिकायतकर्ता ने कहा था कि हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी और अध्यक्ष ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए बोर्ड को 29 करोड़ रुपए की चपत लगा रहे हैं। यही वजह है कि नियमों के खिलाफ जाकर 160 करोड़ रुपए के ठेके पर 18 प्रतिशत जीएसटी जो कि 29 करोड़ रुपए बनता है, अलग से ठेकेदार को देने की तैयारी की गई है।
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टेंडर में कर दिया था गोलमाल
शुरुआत में बोर्ड ने जो टेंडर जारी किया था, उसमें साफ लिखा था कि ठेकेदार को ही जीएसटी देना होगा, लेकिन बाद में अफसरों ने टेंडर खोलने से पहले उसमें संशोधन कर जीएसटी की राशि अलग से ठेकेदार को देने की बात कह दी। इस प्रावधान से बोर्ड को 29 करोड़ रुपए की चपत लग रही थी। इस प्रकरण को जब द सूत्र ने प्रमुखता से उठाया तो विभाग में हड़कंप मच गया।
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बोर्ड ने अब शर्त भी जोड़ी
ग्वालियर के हाउसिंग प्रोजेक्ट का ये टेंडर दिल्ली की श्रीवर्धनम इन्फ्रा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर खुला था। सूत्रों के अनुसार, बोर्ड के कमिश्नर चन्द्रमौली शुक्ला विभाग के प्रमुख सचिव को गुमराह कर इस टेंडर को मंजूर करवाना चाहते थे। बोर्ड ने टेंडर को पास करने प्रमुख सचिव को भेज दिया था। द सूत्र के खुलासे के बाद अब यह टेंडर न केवल निरस्त किया गया, बल्कि उसमें शर्त भी जोड़ी गई है कि जब भी टेंडर जारी होगा तो जीएसटी ठेकेदार ही भरेगा।
शिकायतकर्ता ने उदाहरण से बताया था
शिकायतकर्ता ने कहा था कि ग्वालियर में एक और हाउसिंग प्रोजेक्ट अटल कुंज टावर में चल रहा है, जिसकी लागत 60 करोड़ रुपए है। इस प्रोजेक्ट में जीएसटी ठेकेदार से ही लिया गया। ऐसे में न्यू ठाटीपुर के प्रोजेक्ट में जीएसटी की राशि ठेकेदार से लेने की बजाय बोर्ड के खजाने से देकर बोर्ड को करोड़ों रुपए की चपत लगाई जा रही है। (सीएम मोहन यादव | टेंडर निरस्त।CM Mohan Yadav)
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