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Bhopal.मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को ओंकारेश्वर अभयारण्य (सेंचुरी) बनाने की घोषणा की। इसमें बाघों के साथ ही असम के जंगली भैंसा व गेंडे भी होंगे। यह सेंचुरी खंडवा और देवास जिले को मिलाकर बनाया जाएगा जो 611 वर्ग किलोमीटर का होगा। इंदिरा सागर बांध के डूब क्षेत्र को अभयारण्य से बाहर रखा गया है।
40 साल का इंतजार खत्म हुआ
इंदिरा सागर बांध के निर्माण की स्वीकृति के करीब 39 साल बाद ओंकारेश्वर वन्यप्राणी अभयारण्य की उम्मीद अब पूरी हो रही है। सभी प्रक्रियाएं पूरी कर जिले से प्रस्ताव शासन के पास भेजा गया था, लेकिन चार दशकों से योजना कागजों से बाहर नहीं आ सका। अधिसूचना जारी होते ही ओंकारेश्वर अभयारण्य अस्तित्व में आ जाएगा।
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नेशनल पार्क बनाने की थी योजना
इंदिरा सागर बांध निर्माण के दौरान प्रदेश सरकार की ओर से तत्कालीन मुख्य सचिव केएस शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक शपथ पत्र पेश किया था। इसमें सामान्य वनमंडल खंडवा अंतर्गत ओंकारेश्वर नेशनल पार्क बनाए जाने की बात कही गई थी।
इस वनमंडल का वन क्षेत्र 283773.23 हेक्टेयर है। इसमें इंदिरा सागर बांध का डूब क्षेत्र अधिक होने से नेशनल पार्क की अवधारणा संभव नहीं थी। इसके चलते ओंकारेश्वर को अभ्यारण्य से काम चलाना पड़ा।
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निमाड़ का सबसे बड़ा वन्य प्राणी अभयारण्य
ओंकारेश्वर अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 61407.09 हेक्टेयर होगा। जो करीब 611 वर्ग किमी है। यह निमाड़ का सबसे बड़ा वन्य प्राणी अभयारण्य होगा। इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर के बैकवाटर व नर्मदा नदी के आसपास बनेगा। इसमें पुनासा, मूंदी चांदगढ़ वन परिक्षेत्र के अलावा देवास जिले का वनक्षेत्र शामिल है।
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सैलानी सुन पाएंगे बाघों की दहाड़
निमाड़ के जंगल में वन्य प्राणियों को सुरक्षित आवास और परिवेश मिलने के साथ ही बाघों की दहाड़ सुनने और सैलानियों को सेंचुरी घूमने की सुविधा मिल सकेगी। अभयारण्य से बाघ, तेंदुआ, सियार, चीतल, भालू जैसे वन्य प्राणियों को बेहतर परिवेश के साथ ही पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
यहां तेंदुओं की संख्या को देखते हुए जल्द ही 500 हिरण छोड़े जाएंगे। वर्तमान में यहां सौ से अधिक तेंदुए हैं। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने अभयारण्य में असम के जंगली भैंसे व गेंडे लाए जाने की बात भी कही।
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