मध्य प्रदेश के आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों ने अपनी लंबित मांगों को लेकर मोहन यादव सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कर्मचारियों ने बुधवार को प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम ज्ञापन सौंपे और चेतावनी दी कि अगर जल्द उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे। ये कर्मचारी कोरोना जैसे संकट के समय भी स्वास्थ्य सेवाएं देने में जुटे थे, लेकिन अब उन्हें अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इन कर्मचारियों ने आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया और ग्वालियर कलेक्ट्रेट पहुंचकर सीएम मोहन यादव के नाम 8 सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। कर्मचारियों ने तख्तियां लेकर अपनी आवाज उठाई।
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कर्मचारियों के साथ हो रहा भेदभाव
मध्य प्रदेश संविदा आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष कोमल सिंह ने कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार किए जाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। "हमारी प्रमुख मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा, इस कारण हम पूरे राज्य में बड़े प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं।"
पन्ना में तख्तियां लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे कर्मचारी
पन्ना जिले में भी आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारी ने मांगों को लेकर तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। ये सभी कर्मचारी हाथों में तख्तियां लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि सीएम, डिप्टी सीएम, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, आयुक्त और एमडीएनएएच से पत्राचार करने के बाद भी एनएचएम विभाग मांगों को लेकर गंभीर नहीं है।
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कोरोना महामारी में दी स्वास्थ्य सेवाएं
आउटसोर्स कर्मचारी 20 साल से अधिक समय से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्य कर रहे हैं और संकट के समय, जैसे कोरोना महामारी में, उन्होंने स्वास्थ्य सेवाएं देने में अपनी अहम भूमिका निभाई। कोरोना काल में परिवार और जान की परवाह किए बगैर सेवाएं दी है, करीब 32,000 आउटसोर्स कर्मचारी प्रदेशभर में काम कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री की घोषणाएं, फिर भी कोई राहत नहीं
आउटसोर्स स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि 4 जुलाई 2023 को पूर्व मुख्यमंत्री ने भोपाल में महापंचायत बुलाई थी, जहां संविदा कर्मचारियों के लिए कई घोषणाएं की गई थीं। इन घोषणाओं के बाद सामान्य प्रशासन विभाग ने 23 जुलाई 2023 को एक नीति जारी की थी। लेकिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने उन घोषणाओं में कटौती कर दी, जिससे कर्मचारियों में गहरी नाराजगी है।
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कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी
आउटसोर्स कर्मचारी संघ ने चेतावनी दी है कि अगर उनके सवालों का समाधान जल्द नहीं किया गया तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे और उग्र आंदोलन करेंगे। कर्मचारियों का कहना है कि उनकी मांगों में वेतन वृद्धि, नियमित पदों पर नियुक्ति, महिला कर्मचारियों के लिए विशेष छुट्टियां और समान कार्य के लिए समान वेतन जैसे मुद्दे शामिल हैं।
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कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
- आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित किया जाए और उन्हें विभाग में मर्ज किया जाए।
- वेतन नियमों में सुधार किया जाए और वेतन वृद्धि की जाए।
- महिला कर्मचारियों को प्रसूति अवकाश, मेडिकल अवकाश, और आकस्मिक अवकाश दिया जाए।
- सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए।
- निष्कासित कर्मचारियों को पुनः सेवा में लिया जाए और भविष्य में बिना जांच के किसी कर्मचारी को बाहर नहीं किया जाए।
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