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ये कहानी है भारतीय सेना के एक सेवानिवृत्त अधिकारी की। देश के लिए अपना जीवन समर्पित कर देने वाले रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल बलवंत राव आज मध्यप्रदेश में साजिश का शिकार हैं। उन्हें अपनी संपत्ति को बचाने के लिए मुश्किलों से गुजरना पड़ रहा है। हिल स्टेशन पचमढ़ी में उनकी ढाई एकड़ जमीन पर नजरें गड़ाए बैठे कारोबारी, नेता और अधिकारी साजिशें रच रहे हैं। इनमें नर्मदापुरम क्षेत्र के एक नेताजी हैं जिन्हें लगता है कि क्षेत्र में उनके बिना सूरज भी उदय नहीं हो सकता है। वहीं, एक डॉक्टर साहब भी इस षड्यंत्र में शामिल हैं जो इस मुगालते में हैं कि वे मरीज को चिरायु कर देते हैं। साथ ही न्याय से जुड़े एक कानून के पूर्व रखवाले भी अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर इस पूरे खेल में शामिल हैं।
प्रशासन और पुलिस इन साजिशों में हमराज हैं और वृद्ध अफसर के सामने दुश्वारियां पैदा की जा रही हैं। जो जमीन लेफ्टिनेंट कर्नल ने अपने बुढ़ापे की गुजर बसर के लिए लीज पर खरीदी थी, अब राजस्व विभाग के अधिकारी चार दशक बाद उसे अवैध बता रहे हैं।
हृदय रोग और शारीरिक रूप से कमजोर हो चुके राव व्हीलचेयर के सहारे हैं। उनकी पत्नी और इकलौती बेटी उनका सहारा हैं। ये दोनों ही संपत्ति को बचाने की जद्दोजहद में उनके साथ खड़ी हैं। नेताओं के इशारे पर इस ढाई एकड़ जमीन को हड़पने के लिए अधिकारी मनमाने नियम थोप रहे हैं।
लाचार सैन्य अफसर और उनके परिवार को पेशियों के नाम पर यहां से वहां दौड़ाया जा रहा है। राजनीति और प्रशासनिक रसूख के सहारे उन्हें फोन पर प्रलोभन और धमकियां दी जा रही हैं।
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सेवानिवृत्ति के बाद पचमढ़ी में खरीदी जमीन
अब आपको पूरा मामला बताते हैं। दरअसल, बलवंत राव 1964 में भारतीय सेना की गार्ड रेजिमेंट की दूसरी बटालियन में शामिल हुए थे। बाद में उन्हें 31वीं गार्ड और फिर 14वीं गार्ड बटालियन में ट्रांसफर कर दिया गया। 1973 में लेफ्टिनेंट कर्नल ने आर्मी एज्युकेशन कोर में पोस्टिंग ले ली और 1991 में सेवानिवृत्ति के बाद वे अपनी पसंदीदा जगह पचमढ़ी में बस गए।
यहीं उन्होंने साल 1995 में कारमल माउंट कॉन्वेंट संस्था की करीब ढाई एकड़ जमीन खरीदी थी। जमीन लीज पर थी, जिसका विक्रय अनुबंध पत्र भी संस्था की सुपीरियर सिस्टर मर्सी के जरिए निष्पादित कराया गया था। पूरी प्रक्रिया तत्कालीन राजस्व न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी और नजूल अधिकारी पिपरिया में राजस्व प्रकरण पर जारी आदेश के माध्यम से हुई थी। बलवंत राव ने लीज रेंट और जुर्माना राशि भी जमा की थी।
अधिकारियों ने अटकाया नवीनीकरण में रोड़ा
अब तक सब ठीक चल रहा था, लेकिन इसी साल यानी 2025 में लीज के नवीनीकरण के लिए आवेदन करने के बाद अचानक ही जमीन हड़पने की साजिश शुरू हो गई। बलवंत राव ने जुलाई 2024 में अपने भूखंड शीला कॉटेज के नवीनीकरण के लिए आवेदन किया था।
इस पर पिपरिया तहसीलदार के राजस्व न्यायालय ने अक्टूबर 2024 को जांच करते हुए पट्टे की शर्तों में कोई उल्लंघन न पाते हुए लीज 30 साल के लिए बढ़ाने की अनुशंसा की थी। तहसीलदार के जांच प्रतिवेदन पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व न्यायालय एवं नजूल अधिकारी पिपरिया ने भी नवम्बर 2024 में पट्टा नवीनीकरण की अनुशंसा के साथ प्रतिवेदन आगे बढ़ा दिया।
यहीं से राजस्व अधिकारियों ने पेंच उलझना शुरू किया। अनुविभागीय अधिकारी के जांच प्रतिवेदन पर अपर कलेक्टर डीके पटेल ने शासन की अनुमति न होने का रोड़ा अटकाया। उन्होंने दस्तावेजों का परीक्षण किए बिना ही इस लीज डीड को नियम विरुद्ध करार दे दिया।
यही नहीं उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर भी आवेदक बलवंत राव की बेटी समीरा राव खरबंदा को भी धमकाया। हालांकि ये रोड़ा अटकाने वाले अपर कलेक्टर पिछले महीने ही रिटायर्ड हो गए हैं। सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी बलवंत राव अधिकारियों के इस दोहरे व्यवहार से हैरान हैं। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि सुनवाई का मौका दिए बिना या दस्तावेजों का परीक्षण किए बिना कैसे जिम्मेदार अधिकारी एकतरफा कार्रवाई तय कर सकते हैं।
दस्तावेज सुना रहे साजिश की कहानी
बांए से लेफ्टिनेंट कर्नल बलवंत राव की बेटी, बीच में कर्नल और दाएं उनकी पत्नी
लेफ्टिनेंट कर्नल बलवंत राव की जमीन हड़पने राजस्व अधिकारियों का सहारा कैसे लिया जा रहा है, ये दस्तावेज ही उजागर कर रहे हैं। जिस लीज नवीनीकरण को शासन की अनुमति न होने का हवाला देकर नर्मदापुरम के अपर कलेक्टर ने आपत्ति दर्ज कर रोका है, वे खुद ही इसकी शर्तों से अंजान थे।
पिपरिया के राजस्व न्यायालय में दर्ज कार्रवाई में यह सब दर्ज है। तहसीलदार के राजस्व न्यायालय के एक आदेश पर नजर डालें तो काफी कुछ समझ आ जाएगा। प्रतिवेदन 13 मार्च 2023 को जारी किया गया था। इसे अपर कलेक्टर की आपत्ति के साथ प्रकरण वापस कर दिया गया है।
पट्टेदार सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल बलवंत राव के नाम पर भूखंड शीट क्रमांक 23 दर्ज है। यह भूखंड 3.25 लाख रुपए में मिशनरी संस्था कारमल माउंट की ओर से सिस्टर मर्सी ने 1988 में बेचा था। इसमें शासन से अनुमति नहीं ली गई थी। इसी प्रतिवेदन में यह भी दर्ज है कि पंजीकृत बैनामा कराते हुए खरीदी गई जमीन का नामांतरण किया गया था।
प्रकरण तत्कालीन कलेक्टर को भेजा गया था। वहां सुनवाई जारी रही, लेकिन एक अन्य मामले के हाईकोर्ट में विचाराधीन होने की वजह से नवीनीकरण अटका रहा। प्रकरण के निराकरण के बाद लीज रेंट और जुर्माना राशि जमा कराते हुए राजस्व रिकॉर्ड में यह भूखंड बलवंत राव के नाम पर दर्ज कर नवीनीकरण कर दिया गया। इसके साथ ही राव का नाम खतौनी रिकॉर्ड पर भी दर्ज हो चुका है।
दरअसल देश की आजादी से पहले साल 1919 में ये जमीन ब्रिटिश महिला ईएस लिवजे के नाम थी। इसे वर्ष 1948 में बंदोबस्त के तहत शामिल कर 90 साल की लीज पर डब्ल्यु.लिवजे के नाम पर दर्ज कर दिया गया। 1995 में बंदोबस्त के तहत स्थायी लीज के रूप में दर्ज इस जमीन को लेफ्टिनेंट कर्नल बलवंत राव ने खरीदा था। तब इस लीज के हस्तांतरण की शर्तों में शासन की अनुमति की बाध्यता नहीं थी, क्योंकि ये लीज बंदोबस्त के रूप में स्थायी लीज थी। इस लीज के मूल दस्तावेज में सारी शर्तें दर्ज हैं।
होटल इंडस्ट्री की संभावना साजिश की वजह
पचमढ़ी मध्यप्रदेश का इकलौता हिल स्टेशन है। इससे सटा हुआ सतपुड़ा टाइगर रिजर्व भी है। पिछले कुछ साल में यहां पर्यटन तेजी से विकसित हुआ है। इस वजह से यहां टूरिज्म इंडस्ट्री की संभावनाएं भी कई गुना बढ़ गई हैं। हाल ही में सरकार ने भी यहां पर्यटन को बढ़ावा देने हवाई पट्टी से लेकर तमाम सुविधाओं का दावे किए हैं।
इसे देखते हुए होटल उद्योग से जुड़े कारोबारियों की नजरें यहां की जमीनों पर हैं। पचमढ़ी में जमीन दो संस्थाओं के अधीन है। यहां का आधा हिस्सा सेना के अधीन छावनी की निगरानी में है जबकि दूसरा विशिष्ट क्षेत्र विकास प्राधिकरण यानी साडा के तहत आता है। ऐसे में यहां खुली जमीनों की कमी है और होटल इंडस्ट्री में दिलचस्पी लेने वाले कारोबारी लीज होल्डरों से जमीन औने-पौने दामों पर हथियाने की कोशिश में लग गए हैं।
इसमें कुछ स्थानीय बिचौलिए भी उनके मददगार बन गए हैं। ये बिचौलिए नेताओं के संरक्षण में फर्जी दस्तावेज तैयार करने से लेकर लीज होल्डरों को धमकाने का भी काम कर रहे हैं। कर्नल राव की बेटी समीरा का कहना है कि वे अपने पति के साथ कुछ साल तक विदेश में थीं। इसी का फायदा उठाकर उनके पिता की जमीन हड़पने की साजिशें रची गई हैं। उनकी मां को दवा का ओवरडोज देने की भी कोशिश की गई है।
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फर्जीवाड़े से जमीन हथियाने किया षड़यंत्र
एक ओर सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल बलवंत राव की बेशकीमती जमीन हथियाने के लिए हर स्तर पर साजिशें रची जा रही हैं। उनकी जमीन पर न केवल नेता, अधिकारी और कारोबारी बल्कि उनके कर्मचारी की भी नजर है। सेवानिवृत्ति के बाद अपनी और होमस्टे की देखरेख के लिए बलवंत राव ने जिस कर्मचारी रमेश जवारिया को काम पर रखा था, उसने भी जमीन हड़पने का षड्यंत्र किया। इसके लिए जवारिया ने कर्नल को नशीले पान खिलाए और फर्जी दान पत्र तैयार कर जमीन अपने नाम दर्ज कराने की कोशिश की।
हालांकि उसकी साजिश पकड़ी गई और अब जवारिया जेल में है। जवारिया करीब डेढ़ साल तक बलवंत राव के बैंक खातों से सवा दो करोड़ रुपए उड़ाता रहा। उसके द्वारा बनाए गए दान पत्र और सेल डीड के फर्जी होने की पुष्टि पुलिस विभाग की क्यूडी शाखा की रिपोर्ट भी कर चुकी है। इसके इतर पुलिस जवारिया पर मेहरबान है और केवल फर्जी दान पत्र के मामले में ही उसे गिरफ्तार किया गया है। उनके बैंक खातों से सवा दो करोड़ रुपए अपने, परिजनों और दोस्तों के बैंक खातों में ट्रांसफर करने के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
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