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पन्ना के जज राजाराम भारती को उनके रिटायरमेंट से सिर्फ 11 दिन पहले निलंबित कर दिया गया था। उनके आखिरी समय में दिए गए फैसलों पर सवाल उठने लगे थे।
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है कि कुछ जज रिटायरमेंट से पहले जल्दी-जल्दी फैसले सुनाते हैं। चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने इसे क्रिकेट के आखिरी ओवर से जोड़ते हुए कहा कि जैसे बल्लेबाज आखिरी ओवर में छक्के मारने की कोशिश करता है, वैसे ही ये जज फैसले सुनाने की कोशिश करते हैं। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला
क्यों निलंबित किए गए थे जज राजाराम भारती?
जज राजाराम भारती के रिटायरमेंट से पहले कई फैसले सुनाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इसे क्रिकेट मैच के आखिरी ओवर से तुलना करते हुए चिंता जताई है।
कोर्ट ने कहा कि यह उस समय जैसा है जब बल्लेबाज लगातार छक्के मारने की कोशिश करता है। आरोप है कि जज ने रिटायरमेंट से 10 दिन पहले कई विवादास्पद फैसले सुनाए थे। इसी आधार पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
जांच के बाद आए निलंबन के आदेश
हाई कोर्ट ने जज राजाराम के खिलाफ आई शिकायतों की गोपनीय जांच कराई थी। दिलचस्प बात यह है कि यह जांच किसी बाहरी एजेंसी से नहीं, बल्कि एक अन्य प्रधान जिला न्यायाधीश को सौंपी गई थी। इस जांच के बाद हाई कोर्ट की फुल कोर्ट बैठक में जज को निलंबित करने का आदेश जारी किया गया था।
जज ने सुप्रीम कोर्ट में दी थी फैसले को चुनौती
जज राजाराम को 19 नवंबर 2025 को निलंबित किया गया था। वहीं, उनका रिटायरमेंट 30 नवंबर को था। यानी, उन्हें रिटायरमेंट से मात्र 11 दिन पहले निलंबित किया गया था।
इस मामले में आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उनका मुख्यालय भी बदल दिया गया था। जज ने इस निलंबन आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली है।
सुप्रीम कोर्ट में जज की ओर से दलीलें
सुप्रीम कोर्ट में जज राजाराम का पक्ष सीनियर वकील विपिन सांघी ने रखा था। उन्होंने कहा कि निलंबन आदेश में कोई स्पष्ट कारण नहीं था। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि गलत आदेश पर अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हो सकती है।
वह यह मानते थे कि ऊपरी अदालत में इसे सुधारा जा सकता है। इस पर चीफ जस्टिस ने सवाल किया। उन्होंने पूछा कि यदि आदेश बेईमानी से दिया गया हो, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो सकती?
रिटायरमेंट से जुड़े जरूरी तथ्य
राजाराम भारती ने 1994 में न्यायिक सेवा में कदम रखा था। वे 2009 में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश और 2022 में प्रधान जिला न्यायाधीश बने थे। उनका रिटायरमेंट 30 नवंबर को होने वाला था।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद मध्यप्रदेश में न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 61 वर्ष कर दी गई थी। इससे उनका रिटायरमेंट एक साल के लिए टल गया था। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि विवादित आदेश पारित करते समय उन्हें अपनी सेवानिवृत्ति आयु बढ़ने की जानकारी नहीं थी।
सुप्रीम कोर्ट के दो प्रमुख सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दो प्रमुख सवाल उठाए
हाई कोर्ट के बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जज राजाराम सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए। उन्हें पहले हाई कोर्ट से संपर्क करना चाहिए था। जज ने जवाब दिया कि निलंबन का फैसला फुल कोर्ट का था। इसलिए, उन्होंने सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
आरटीआई पर आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई कि जज राजाराम ने आरटीआई के तहत आवेदन किया था। कोर्ट ने कहा कि एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी से ऐसी उम्मीद नहीं की जाती। उन्हें हाई कोर्ट के समक्ष अभ्यावेदन देना चाहिए था, न कि आरटीआई लगाना।
आगे की प्रक्रिया
अब सुप्रीम कोर्ट ने जज राजाराम भारती को हाई कोर्ट में निलंबन के खिलाफ रिप्रेजेंटेशन देने की छूट दी है। हाई कोर्ट को इस रिप्रेजेंटेशन पर चार सप्ताह के भीतर फैसला लेने का आदेश दिया गया है।
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