पन्ना जिले के धरमपुर थाना परिसर में शनिवार रात टीआई बलवीर सिंह के जन्मदिन के मौके पर पुलिसकर्मियों ने नियमों को नजरअंदाज करते हुए जमकर ठुमके लगाए। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने कई गानों पर डांस किया और पार्टी का आनंद लिया, जो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। घटना के सामने आने के बाद पुलिस अधीक्षक ने मामले की गंभीरता से जांच का आदेश दिया और कार्रवाई शुरू कर दी।
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टीआई के जन्मदिन पर पुलिसकर्मियों का डांस
धरमपुर थाना परिसर में टीआई बलवीर सिंह के जन्मदिन पर आयोजित पार्टी में पुलिसकर्मियों ने खुलेआम डांस किया। इस दौरान गाने बजाए गए जिनमें "पीले-पीले ओ मोरे राजा" जैसे गाने प्रमुख थे, जिन पर पुलिसकर्मी खुशी से झूमते नजर आए। यह घटना रात के समय हुई जब आसपास के क्षेत्र में परीक्षा चल रही थी और तेज संगीत की आवाजें सुनाई दे रही थीं। पुलिसकर्मियों का यह व्यवहार नियमों का उल्लंघन था, जो कि बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
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सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
जन्मदिन की पार्टी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। पुलिसकर्मियों ने न केवल डांस किया बल्कि पार्टी की तस्वीरें और वीडियो अपने सोशल मीडिया स्टेटस पर भी अपलोड कीं।
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लाइन अटैच किए गए पुलिसकर्मी
मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक ने कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की। एएसआई रावेंद्र, आरक्षक अखिल, अशोक और अजय पटेल को तत्काल प्रभाव से लाइन अटैच कर दिया गया। मामले की पूरी जांच एसडीओपी अजयगढ़ राजीव सिंह भदौरिया को सौंपी गई है, जो अब इस मामले की निष्पक्ष जांच कर रहे हैं।
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थाना परिसर में नियमों का उल्लंघन
धरमपुर थाना, जो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है, एक संवेदनशील थाना माना जाता है। यह क्षेत्र आपराधिक गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है, और यहां सुरक्षा की जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण है। ऐसे में पुलिसकर्मियों द्वारा थाना परिसर में नियमों का उल्लंघन करना गंभीर चिंता का विषय है, खासकर तब जब यह घटना एक ऐसे स्थान पर हुई है जहां अपराधों की गतिविधि अधिक रहती है।
पुलिस की छवि पर पड़ता है असर
पुलिस विभाग को अनुशासन और नियमों का पालन करवाने वाले विभाग के रूप में देखा जाता है। ऐसे में पुलिसकर्मियों द्वारा इस तरह के वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करना विभाग की छवि को धूमिल करता है। कांग्रेस पार्टी ने भी इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर आलोचना की और इसे "नशे में नाचता सिस्टम" करार दिया। पुलिस विभाग की छवि को बचाने के लिए इस तरह की घटनाओं की जांच की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।